एक दिन अप्पू की कापी को,
गधेपुत्र ने फाड़ दिया|
क्रोधित हाथी के बच्चे ने,
जंगल पूर्ण उजाड़ दिया|
बड़े गुरूजी भालूजी ने,
गधेपुत्र को बुलवाया|
उसको दंड स्वरूप वहीं पर,
झटपट मुरगा बनवाया|
बोला अगर किसी बच्चे ने,
फाड़ी या गूदी कापी|
कड़ा दंड हम देंगे उसको,
नहीं मिलेगी फिर माफी|
तब से लेकर अब तक शिक्षक,
यही सजा दिलवाते हैं|
यदि किसी ने फाड़ी कापी,
मुरगा उसे बनाते हैं
देवनागरी लिपि मे मै अपना नाम बीनू लिखती हूँ शायद आपो यह पसन्द आय
https://www.pravakta.com/what-is-your-name
बहुत बहुत धन्यवाद बिनूजी
बाल कविता अति सुन्दर है।