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कठपुतली - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
ये डोर मेरी खलासी को इख्तियार कर लिएमेरे कर, पद बंदिश में हैंओ! नटवर मुझे छोड़ दो ,मेरे अनुरागी को दो टेकहै एक डोर हमाराशुष्क दरख़्त की भांति मेरा हयात हैंप्रशाखा की भांति कर मेरेखुश्क दरख़्त की भांति मैं खड़ीविवश मैं , बिन तुम्हारे वियोग में पड़ीमेरे अश्क है बेशकीमतगिरते…
श्लोक कुमार