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मृत संवेदनाओं के बीच शांत सुशांत - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
बात दिल्ली के रिक्से, ऑटो, बस चालक से शुरू करें तो,इनका भी अपना एक संगठन है, नही, नही, सबका घाल मेंल नहीं, वह विशेषज्ञता की बात समझते हैं । इसलिये रिक्से वालों का अलग यूनियन, आटो वालों का अलग और बस ड्राइवर का अलग, यहाँ तक कि ओला/ऊबर जैसे ऐप…