आर. सिंह की कविता/दान वीर - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
मर रहा था वह भूख से, आ गया तुम्हारे सामने. तुमको दया आ गयी.(सचमुच?) तुमने फेंका एक टुकड़ा रोटी का. रोटी का एक टुकड़ा? फेंकते ही तुम अपने को महान समझने लगे. तुमको लगा तुम तो विधाता हो गये. मरणासन्न को जिन्दगी जो दे दी. मैं कहूं यह भूल है…