राफेल डील : राहुल गांधी सौ जूते भी खाएंगे और सौ प्याज़ भी?

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डॉ मनीष कुमार

एक पुरानी कहावत है सौ जूते भी खाया और सौ प्याज भी खाए. लेकिन बहुत कम लोग इस कहावत के पीछे की कहानी जानते हैं. दरअसल, किसी बड़ी ग़लती पर एक बादशाह ने सज़ा सुनाई कि ग़लती करने वाला या तो सौ प्याज़ खाए या सौ जूते. सज़ा चुनने का अवसर उसने ग़लती करने वाले को दिया. ग़लती करने वाले शख्स ने सोचा कि प्याज़ खाना ज़्यादा आसान है, अत: उसने सौ प्याज़ खाने की सज़ा चुनी. उसने जैसे ही दस प्याज़ खाए, वैसे ही उसे लगा कि जूते खाना आसान है तो उसने कहा कि उसे जूते मारे जाएं. दस जूते खाते ही उसे लगा कि प्याज़ खाना आसान है, उसने फिर प्याज़ खाने की सजा चुनी. दस प्याज़ खाने के बाद फिर उसने कहा कि उसे जूते मारे जाएं. इस तरह वो अपराधी अपनी मूर्खता की वजह से सौ प्याज़ भी खाए और सौ जूते भी. यहीं से इस कहावत का प्रचलन प्रारंभ हुआ. राफेल डील पर राहुल गांधी का जो मूर्खतापूर्ण और गैरजिम्मेदाराना रवैया है उससे ये कहा जा सकता है कि राहुल गांधी सौ जूते भी खाएगें और सौ प्याज भी. वो कैसे? यही समझने की जरूरत है.

इमरान खान ने प्रधानमंत्री मोदी को छोटी सोच वाला बताया. ये मामला ठीक वैसा ही है जैसा कि नबाज शरीफ ने मनमोहन सिंह को एक देहाती औरत कहा था. अब नरेंद्र मोदी और मनमोहन सिंह सोच छोटी है या नहीं इसका तो अंदाजा लगाने की भी औकात पाकिस्तानियों की नहीं है. लेकिन राहुल गांधी छोटी सोच के एक छुटभैय्ये नेता हैं ये पूरी दुनिया जान गई. नबावज शऱीफ ने जब मनमोहन सिंह को देहाती औरत कहा था तब पूरा विपक्ष एक स्वर में नवाज शऱीफ की निंदा की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगले ही दिन दिल्ली के रोहणी में रैली हुई थी जिसमें उन्होंने नवाज शऱीफ को काफी खरीखोटी सुनाई थी.

इस बार जब इमरान खान ने सीमा लांघी तो राहुल गांधी ने अपना चाल चरित्र औऱ चेहरा दुनिया को दिखा दिया. वो इमरान खान की निंदा नहीं ही की उल्टा देश के प्रधानमंत्री पर ही हमला कर दिया. नरेंद्र मोदी को चोर बता दिया. ये भी बड़ी अजीब बात है कि चोरी के इल्जाम में बेल पर चल रहे राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर ही आरोप लगा रहे हैं. ये फ्रस्टेशन की इंतहा है. गटर पॉलिटिक्स में राहुल को काफी मजा आ रहा है. वो पिछले कुछ दिनों से लगातार गाली गलौच कर रहे हैं. राजनीति की सारी मर्यादा को ताक पर रख दिया है. वैसे इसका राफेल से कोई लेना देना नहीं है. राहुल गांधी को चोट कहीं और लगी है. जिसे वो दुनिया को नहीं दिखा सकते. दरअसल, जब से मायावती ने क्रांगेस का साथ छोड़ा है तब से राहुल बिलबिला गए हैं. जूते और प्याज, दोनों का आनंद उठा रहे हैं.

लेकिन इससे भी शर्मनाक बात तो ये है कि पाकिस्तानी नेता अब राहुल गांधी को डिफेंड करने और उन्हें अगला प्रधानमंत्री बनाने की अपील हिंदुस्तान की जनता से करने लगे हैं. ऐसा लगता है कि पाकिस्तान के नेताओं ने मणिशंकर अय्यर की गुहार को सुन ली है. सोशल मीडिया में कांग्रेसी ट्रोल्स इसे ट्रेंड करने में जुटे हैं. इन कांग्रेसियों की मूर्खता पर अब तरस आने लगा है. इनको ये पता नहीं है कि जिस रहमान मलिक ने राहुल के फेवर में ट्वीट किए उस पर 26/11 मुंबई हमले में शामिल होने का आरोप है. इस पर आतंकवादी हफिज सईद को संरक्षण देने का आरोप है. इस पर ये भी इल्जाम है कि जब मुबई में कसाब एंड पार्टी लोगों को मौत की घाट उतार रहे थे तब वो कराची में अपने आकाओं को फोन भी कर रहा था.

ये भी बात सामने आई कि कराची में बैठे आंतकी के तार रहमान मलिक से जुड़े थे. राहुल को अगला प्रधानमंत्री बनाने वाला पाकिस्तानी नेता रहमान मलिक वही है जिसने ये कहा था कि मुंबई हमला बाबरी मस्जिद का बदला है. रहमान मलिक के बाद पाकिस्तान के दो दो कैबिनेट मंत्री ने भी बयान दिया है. पाकिस्तान में भी ऱाफेल पर टीवी डिबेट शुरु हो गई है. कांग्रेस पार्टी को तो शर्म से डूब जाना चाहिए कि पाकिस्तानियों के ट्वीट को उन्होंने अब तक नकारा नहीं है. न ही निंदा की है. पाकिस्तानियों को भारत के अंदरूनी मामले में नाक घुसेड़ने का मौका राहुल गांधी की मूर्ख-राजनीति से मिला. राहुल गांधी को तो ये भी पता नहीं है कि ये मामला ऐसा है कि ऐसे मसले पर जनता थोक के भाव से जूते और प्याज सप्लाई करती है.

राफेल डील पर राहुल गांधी एक से बढ़ कर झूठ और भ्रामकप्रचार में जुटे हैं. ठीक अपनी मां की तरह. जिस तरह 2004 के चुनाव के दौरान सोनिया गांधी ने कारगिल कॉफिन को लेकर अफवाह उड़ाई थी, उसी तरह राहुल गांधी राफेल पर घटिया बयानबाजी कर रहे हैं. राहुल गांधी इतने बड़े मूर्ख होंगे ये कोई सोचा नहीं था. पूरी की पूरी राफेल डील ही 58000 करोड़ की है लेकिन महान कांग्रेस का महान अध्यक्ष ने ट्वीट किया कि नरेंद्र मोदी ने 1 लाख 30 हजार का घोटाला किया है. अब पता नहीं राहुल गांधी क्या खाते-पीते हैं कि मुंह खोलते ही कुछ गड़बड़ कर देते हैं. समझने वाली बात ये है कि अगर घोटाला हुआ है तो राहुल के पास इसका क्या प्रूफ है? कितना का घोटाला हुआ उसके क्या प्रमाण हैं? कौन दलाल था? किसने पैसे लिए? कितने पैसे लिए? इन सवालों का जवाब राहुल के पास नहीं है फिर भी बयानबाजी करने जुटे हैं. देश की सुरक्षा और सेना के मनोबल को खत्म करने में जुट गए हैं. क्या राहुल गांधी को अपनी जिम्मेदारियों का जरा भी इल्म है?

राहुल गांधी सरकार पर सवाल उठाएं इस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन झूठ बोलकर सिर्फ हंगामा खड़ा करें.. हर बार थूक फेंक कर भाग जाएं .. प्रधानमंत्री को चोर बता दें.. ऐसा तो चलने वाला नहीं है क्योंकि देश के लोग राहुल की तरह मूर्ख तो हैं नहीं. राहुल कहते हैं कि नरेंद्र मोदी ने ज्यादा कीमत पर राफेल खऱीदी है. अंबानी की मदद की है. HAL को नुकसान पहुंचाया है. इसलिए घोटाला है. कांग्रेस अध्यक्ष को ये बताना चाहिए कि राफेल की डील हो गई थी तो 10 तक कांग्रेस की सरकार ने विमान क्यों नहीं खरीदा? ये भी बताना चाहिए कि जब यूपीए के दौरान डील हुई थी तो मुकेश अंबानी के रिलायंस का क्या रोल था? और अगर राहुल की बात मान भी ली जाए कि डील फाइनल हो गई थी और उसमें HAL पार्टनर था तो फिर राफेल अब तक हिंदुस्तान क्यों नहीं पहुंचा?

हकीकत ये है कि न डील हुई न HAL शामिल हुआ.. सब कुछ कागजी ही था. राहुल गांधी सफेद झूठ बोल रहे हैं. हकीकत ये है कि यूपीए के दौरान राफेल डील में दलाल भी घुस चुके थे. दलाल का नाम था संजय भंडारी जो राहुल गांधी के जीजाजी रॉबर्ट वाड्रा के नजदीकी है. यूपीए सरकार वैसे ही कई घोटालों में फंस चुकी थी. जब राफेल डील का कागज तत्तकालीन रक्षा मंत्री एंटनी के पास पहुंचा तो उन्हें समझ में आ गया कि इस डील में कुछ गड़बड़झाला है. इसलिए उन्होंने दस्तावेज में यह लिख दिया कि इस पूरे डील पर पुनर्विचार करें. टाइम्स नाउ की वेबसाइट पर ये सारे दस्तावेज पड़े हैं. दूसरी समस्या ये हो गई कि जिस कीमत और शर्त पर ये बातचीत हुई उसमें राफेल बनाने वाली दस्सो कंपनी की तरफ ये आपत्ति उठाई कि HAL के साथ इसे पूरा नहीं किया जा सकता है.

हकीकत ये है कि राफेल डील से HAL की छुट्टी पहले ही हो गई थी. इसलिए राहुल गांधी का ये आरोप भी झूठा है कि HAL इस डील से बाहर निकाल दिया गया. समझने वाली बात ये है कि पहले 108 प्लेन हिंदुस्तान में एसेंबल होने वाले थे जिसको लेकर विवाद था. दस्सो और HAL के बीच डील नहीं हो पाई. लेकिन, मोदी सरकार ने जो डील किया है वो 36 के 36 फ्लेन बने बनाए हिंदुस्तान आएंगे. इन विमानों में एक भी बोल्ट हिंदुस्तान में नहीं लगाया जाएगा. लेकिन राहुल गांधी HAL के नाम पर लोगों को गुमराह करने पर जुटे हैं. दरअसल, राफेल डील में दस्सो के साथ न सिर्फ अंबानी बल्कि कई सारी कंपनियां है जो इस प्रोजेक्ट में शामिल हैं.

हकीकत ये है कि कांग्रेस पार्टी ने सैन्य हथियारों की खरीददारी को कोठे पर बिठा दिया था. भ्रष्ट कांग्रेसी सिस्टम में बिना दलाल के भारत कभी एक नटबोल्ट भी नहीं खऱीद सका. बिना दलाला के कोई खरीददारी संभव ही नहीं थी. ये भी सच्चाई है कि देश के हथियार माफिया क्रागेसी नेताओं के रिश्तेदारों का गैंग है. हिंदुस्तान के हथियार माफिया की गिनती दुनिया के सबसे दुर्दांत सिंडिकेट में होती है यही हकीकत है. समझने वाली बात ये है कि राफेल डील के खिलाफ राहुल गांधी को अवाज उठाना ही था. चाहे इसमें कोई घपला हुआ होता या नहीं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. वो इसलिए क्योंकि ऐसा पहली बार है जब इतना बड़ा डिफेंस डील दो सरकारों के बीच हुआ है. इसमें न तो कोई दलाल था न ही कोई हथियार माफिया इसमें घुस सका. इसी का दर्द राहुल गांधी पर साफ-साफ दिखता है.

हकीकत ये है कि राहुल गांधी का भ्रष्टाचार के बारे में बात करना ठीक वैसा ही है जैसे कि माल्या का शऱाबबंदी की बात करना. जो पार्टी सिर से लेकर पांव तक भ्रष्टाचार में डूबी हो.. जिसने जवाहर लाल नेहरू के जमाने से अब तक सिर्फ घोटाले ही घोटाले किए.. उसके नौसिखिए अध्यक्ष के मुंह से घोटाले का आरोप न तो शोभा देती है.. न ही जनता इस पर यकीन करती है. इसलिए राहुल गांधी के मुंह से निकले हर अपशब्द का जवाब जनता प्याज और जूते से देगी. ये अब तय है.

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