राफ़ेल: एक नज़र इधर भी

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                                                                     तनवीर जाफ़री
                                भारत चीन के बीच चल रही ज़बरदस्त तना तनी के बीच फ़्रांस निर्मित बहुचर्चित एवं विवादित युद्धक विमान ‘राफ़ेल’ गत 10 सितम्बर को औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल कर लिया गया। इस अवसर पर अम्बाला छावनी स्थित वायुसेना स्टेशन पर एक समारोह आयोजित हुआ जिसमें भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह,उनकी फ़्रांसीसी समकक्ष फ़्लोरेंस पार्ले व सेना व वायुसेना के सर्वोच्च अधिकारी मौजूद रहे। इससे पहले जब राफ़ेल  ने 29 जुलाई 20 को भारत की धरती पर अंबाला एयर फ़ोर्स स्टेशन के रनवे पर अपनी सबसे पहली लैंडिंग की थी उस समय भी इन युद्धक विमानों का ज़ोरदार स्वागत किया गया था। राफ़ेल को ‘वॉटर सेल्यूट’ देते हुए दोनों ओर से फ़ायर ब्रिगेड के स्प्रे के बीच से निकाला गया था। पूजा पाठ व राफ़ेल को बुरी नज़र से बचाने का सिलसिला तो फ़्रांस से लेकर अंबाला तक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में बल्कि उन्हीं के ‘पावन’ हाथों से होता आया है। नींबू-मिर्च व नज़र उतारने के सभी ‘उपाय’ भी किये जा चुके हैं। रक्षा मंत्री ने ‘हैप्पी लैंडिंग इन अंबाला’ का सन्देश देकर राफ़ेल का स्वागत किया था। ग़ौरतलब है कि मोदी सरकार द्वारा फ़्राँस सरकार के साथ 36 राफ़ेल विमानों की ख़रीद का सौदा लगभग 59,000 करोड़ रुपये में किया गया है। इन्हीं 36 राफ़ेल फ़ाइटर विमानों में से मात्र 5 विमानों का पहला बैच फ़्राँस के मेरिनेक एयरबेस से उड़कर संयुक्त अरब अमीरात होता हुआ अंबाला पहुंचा है और उन्हीं 5 विमानों की शान में 29 जुलाई से लेकर 10 सितंबर तक के यह सभी समारोह आयोजित होते रहे हैं। ख़बर है कि दिसंबर 2021 तक संभवतः सभी 36 राफ़ेल विमान भारत पहुँच जाएंगे।                               29 जुलाई को जिस दिन 5 राफ़ेल की आमद हो रही थी उस दिन का मीडिया कवरेज तथा अम्बाला वायुसेना स्टेशन के आस पास के सुरक्षा प्रबंध देखने लायक़ थे। अम्बाला वायु सेना क्षेत्र में प्रवेश निषेध होने के बावजूद मीडिया बता व दिखा रहा था कि किस समय 5 राफ़ेल की टुकड़ी ने भारतीय आकाश में प्रवेश किया और आकाश में ही भारतीय वायु सेना के दो सुखोई फ़ाइटर  विमानों ने  उनकी अगवानी की। अरब सागर में तैनात भारतीय नव सेना के युद्ध पोत आई एन एस कोलकाता द्वारा भी भारतीय जल क्षेत्र में प्रवेश करने पर राफ़ेल का स्वागत किया गया। 29 जुलाई को मीडिया के लगातार प्रसारण ने विशेषकर अंबाला में कुछ ऐसा माहौल बना दिया था कि हज़ारों लोग तेज़ धूप के बावजूद अपनी अपनी छतों पर खड़े होकर वायु सेना के इस नए मेहमान के दर्शन करने को बेचैन दिखाई दिए। कुछ स्थानीय अख़बारों ने उस दिन ‘ अम्बाला में आज दीवाली’  जैसे शीर्षक लगाकर राफ़ेल के आने की ख़बर प्रकाशित की थी।  29 जुलाई को  राफ़ेल की सुरक्षा के दृष्टिगत अंबाला ज़िला प्रशासन द्वारा एयर फ़ोर्स स्टेशन के तीन किलोमीटर परिक्षेत्र में ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। प्रशासन हाई एलर्ट पर था तथा राफ़ेल लैंडिंग के दौरान छतों से फ़ोटोग्राफ़ी करना व  लोगों का जमावड़ा लगाना पूरी तरह से प्रतिबंधित था । पक्षी उड़ाने व पतंगबाज़ी करने तक पर रोक थी। ज़ाहिर है यह सभी एहतियाती उपाय इसीलिये किये जा रहे थे ताकि बेशक़ीमती राफ़ेल की सुरक्षा में कोई चूक या कमी न रह जाने पाए।
                                  राफ़ेल के भारतीय वायुसेना में शामिल होने से पूर्व भी अंबाला वायु सेना स्टेशन मिग-21 व जगुआर जैसे युद्धक विमानों का केंद्र रहा है। देश के पश्चिम क्षेत्र की महत्वपूर्ण निगरानी केंद्र होने के कारण यहाँ दशकों से मिग-21 व जगुआर प्रायः अपनी नियमित उड़ानें भरते रहते हैं। कम से कम ऊंचाई पर भी उड़ने की क्षमता रखने वाले इन विमानों की सुरक्षित उड़ान के मद्देनज़र ही इस हवाई क्षेत्र के आसपास के इलाक़े में तीन मंज़िला इमारत बनाए जाने पर क़ानूनन रोक है। परन्तु इसी शहर में मोबाईल टावर्स की भरमार ज़रूर है। राफ़ेल की भारी क़ीमत और चीन से चल रहे वर्तमान तनावपूर्ण हालात को देखते हुए न केवल समस्त भारतवासियों बल्कि सभी सरकारी व ग़ैर सरकारी विभाग के लोगों की भी ज़िम्मेदारी है कि वे राफ़ेल की सुरक्षा सुनिश्चित करें और इस दिशा में अपना हर संभव योगदान भी दें। पिछले दिनों मैंने रात के समय अम्बाला के आस पास विशेषकर शहरी क्षेत्र का भ्रमण इसी मक़सद से किया ताकि देख सकूं कि राफ़ेल की आमद पर जश्न मनाने वाला देश आख़िर राफ़ेल की सुरक्षा के प्रति कितना गंभीर है। मैंने पाया कि 50 फ़ुट से लेकर 200 फ़ुट तक की ऊंचाई वाले अधिकांश मोबाईल टावर्स के शीर्ष का संकेत देने वाली लाल लाईट बुझी हुई हैं। इतना ही नहीं बल्कि बी एस एन एल व रेलवे जैसे माइक्रोवेव टावर्स जो कि लगभग 350 से लेकर 500 फ़ुट तक की ऊंचाई रखते हैं उनमें भी कई टावर्स के शीर्ष पर आवश्यक रूप से जलने वाली संकेत रुपी लाल बत्ती बुझी हुई थी। मिग हो या जगुआर या अब भारतीय वायु सेना में नया शामिल हुआ रफ़ेल,ज़रुरत पड़ने पर या अपनी नियमित उड़ान के समय भी कभी कभी बेहद कम ऊंचाई पर उड़ते हैं।                                
                          राफ़ेल की सुरक्षा के प्रति वायुसेना के अधिकारियों की भी चिंता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि गत 10 सितंबर को राफ़ेल के औपचारिक रूप से वायुसेना के बड़े में विधिवत शामिल होने से पूर्व ही भारतीय वायु सेना के निरीक्षण और सुरक्षा  महानिदेशक, एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह ने, हरियाणा की मुख्य सचिव, केशनी आनंद अरोड़ा को एक आधिकारिक पत्र लिखकर अंबाला एयर फ़ोर्स स्टेशन के आसपास के क्षेत्र में कचरा निपटाने के लिए त्वरित उपाय करने का अनुरोध किया है। ऐसा पत्र कचरे के चलते पक्षी इकट्ठा होने व इनके उड़ने के कारण राफ़ेल लड़ाकू विमान की सुरक्षा को होने वाले संभावित ख़तरे के दृष्टिगत लिखा गया है। ग़ौरतलब है कि  अंबाला वायुसेना क्षेत्र में पक्षियों की संख्या अधिक होने कारण टकराव होने से इन बेशक़ीमती विमानों को बहुत गंभीर नुक़सान पहुंच सकता है। वायु सेना ने स्थानीय शहरी  निकाय विभाग से भी मांग की है कि कम से कम अम्बाला एयरफ़ील्ड के आसपास 10 किलोमीटर की परिधि में पतंगों व बड़े पक्षियों की गति विधि को कम करने के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना (SWM) को तत्काल कार्यान्वित किया जाए । वायु क्षेत्र से उपयुक्त दूरी पर उपयुक्त सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट (SWM) संबंधी प्लांट तत्काल स्थापित किया जाए । इतना ही नहीं बल्कि वायुसेना द्वारा अंबाला वायु सेना स्टेशन के आसपास कबूतर प्रजनन गतिविधि को निषिद्ध व नियंत्रित करने के लिए भी प्रशासन से कहा गया है।
ज़ाहिर है कि राफ़ेल के शुभागमन मात्र से ही राफ़ेल की ज़रुरत नहीं पूरी होने वाली बल्कि इसके रखरखाव की सबसे अहम ज़रुरत अर्थात इसकी पूर्ण सुरक्षा तथा इसके लिए निर्बाध हवाई रास्ता उपलब्ध कराना भी उतना ही ज़रूरी है। लिहाज़ा केंद्र व राज्य सरकारों को आपसी ताल मेल से यथाशीघ्र इसकी सुरक्षा संबंधी सभी उपाय करने चाहिए। सभी ऊँचे टावर्स की लाल बत्ती रात के समय तत्काल जलनी चाहिए और हवाई क्षेत्र के आसपास से कूड़े के निपटान का काम व सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना (SWM) की स्थापना आदि जल्द से जल्द पूरा करना चाहिए।

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