राहुल के बदले सुर

-रवि श्रीवास्तव-

rahul

छुट्टियों के बाद विदेश से वापस आए कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी की नींव मजबूत करने में जुट गए हैं। जिस तरह से विदेश से आत्मचिंतन करके वापस आए हैं, लगता है कि इन 58 दिनों में इसका पूरा सिलेबस खत्म कर दिया हो। कांग्रेस पिछले कई चुनावों से लगातार गच्चा खा रही है। चाहे वो राज्यो के विधानसभा के चुनाव रहे हों या फिर लोकसभा के चुनाव। राहुल गांधी पार्टी के आत्मसम्मान को वापस लाने में पूरी तरह से जुट गए हैं। कभी किसानों से मिलना तो कभी पदयात्रा निकालना शुरू हो गया। कांग्रेस को लय में लाने की राहुल की तैयारी काफी अच्छी हैं। बारिश में खराब हुई फसलों को और भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर किसानों का दर्द बांटने कांग्रेस उपाध्यक्ष ट्रेन की जरनल बोगी से दो दिवसीय हरियाणा, पंजाब की यात्रा भी कर डाली। हालांकि पंजाब की यात्रा को अधूरे में छोड़कर वापस दिल्ली आ गए थे। उन्होने अनाज मंडियों का भी दौरा किया और किसानों से मुलाकात की। बर्बाद हुई फसलों को लेकर मुआवजे के लिए सरकार पर तीखे वार भी कर ड़ाले। पंजाब और हरियाणा के किसानों की बदहाली का मुद्दा संसद में उठाने की बात की। फिर जनरल बोगी से गए राहुल वापसी प्लेन से कर ली। दिल्ली में विधानसभा के चुनाव के नतीजे और कांग्रेस की करारी हार के बाद 23 फरवरी को आत्मचिंतन करने छुट्टी पर गए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी जब दो वापस आए तो उनके रूख बदले से थे। 58 दिन की लम्बी छुट्टी के बाद राहुल गांधी ने किसानों के ऊपर काफी मेहरबान रहे। भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर सरकार के खिलाफ किसानों के पक्ष में एक बड़ी रैली रामलीला मैदान में कांग्रेस ने आयोजित कर डाली। इस रैली में मोदी सरकार को घेरे में लिया था। जिसमें कहा था ये मोदी ने उद्योगपतियों से कर्ज लेकर ये चुनाव जीता है। उसके बाद फिर तो राहुल के सरकार पर लगातार वार पर वार हो रहे हैं। किसानों की फसल का मुद्दा संसद में भी दाग दिया। जिसमें बीजेपी के कुछ नेताओं ने उनकी आलोचना भी कर डाली। उन्होंने ने कहा कि राहुल को गेहूं और जौ में अंतर भी नही पता। अंतर पता हो या न हो पर जैसे सब गरीबों पर राजनीतिक रोटी सेंकते हैं तो किसी और ने किया तो क्या हर्ज हैं। नई फुर्ती लिए गांधी फिर महाराष्ट्र में दौरे पर निकल पड़े। जहां अमरावती में किसानों के साथ पदयात्रा भी की। उनका हाल-चाल भी पूंछा। चलो गनीमत रही, यहां तो किसानों को कायर कह देते हैं नेता। किसान कर्ज के बोझ से दबकर खुदकुशी कर रहा है तो कायर हो गया। जब उसने मेहनत कर फसल उगाई तो कायर नही। खुद को संभालो और किसानों को भी। किसानों के बाद राहुल गांधी ने एक नया दांव मिडिल क्लास फैमिली पर भी खेला। ठीक ही कहा एक मिडिल क्लास की हालात भी ज्यादा अच्छे देश में नही हैं। चलो सरकरा से जाने के बाद ये तो नज़र आया। किसानों और मिडिल क्लास फैमिली की याद तो आई। जब मिडिल क्लास की बात आ ही गई तो राहुल गांधी ने सरकार पर एक और हमला बोल दिया। रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण विधेयक के प्रावधानों को खरीदार समर्थक की बजाय बिल्डरों के हित में उन्होंने बताया साथ ही पारदर्शिता के अभाव के चलते फ्लैट खरीदने वालों को अधर में छोड़ दिया। उन्हें एक तय दिन को फ्लैट मिलने थे, लेकिन सालों से उन्हें फ्लैट नहीं मिले। कांग्रेस उपाध्यक्ष रीयल एस्टेट बिल के खिलाफ जंतर मंतर पर प्रदर्शन भी कर सकते हैं। छुट्टी के बाद अपनी राजनीति की दूसरी पारी में उतरे राहुल कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। ऐसा लगता है छुट्टी में राहुल गांधी ने काफी अच्छा देश के बारे में आत्मचिंतन किया। कम से कम सरकार जाने के बाद किसान, और मिडिस क्लास के लोग याद तो आए। कांग्रेस उपाध्यक्ष को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे वो इस बार विदेश में राजनीतिक और पार्टी को सत्ता में कैसे वापस लाया जाए उसकी पढ़ाई करके आए हो। राहुल गांधी इस बार पूरी तरीके से बदले नजर आ रहे हैं। जिस तरह से वापस आकर उन्होने लोकसभा में भाषण दिया ऐसा लग रहा था कि बहुत पहले तैयारी कर ली गई हो उसकी। पिछली लोकसभा में आखिर चुप-चाप रहने वाले राहुल गांधी में इतना बड़ा परिवर्तन आ गया? ये कांग्रेस के लिए शुभ संकेत कह सकते हैं ?

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