रेनकोट की चोट

पिछली बार कांग्रेस ने सदन चलने नहीं दिया। जिद पर अड़े रहे कि मोदी सदन में मौजूद रहे और जबाब दें। जब मोदी ने जबाब दिया तो कांग्रेस की हेकड़ी निकल गई। कांग्रेस को 33000 वाल्ट का झटका लगा और कांग्रेसी दर्द के मारे भागे भागे फिर रहे हैं। मोदी उस सफल डॉक्टर की तरह रहे जो आपरेशन करने से पहले मरीज का बीपी शुगर और अन्य छोटी मोटी बीमारी को पहले ठीक करके सही और उचित समय पर उसका आपरेशन करता है। अब जबकि मोदी जी ने हलके फुल्के और कटाक्ष पूर्ण अंदाज में जबाब दे दिया तो कांग्रेसी गस खा खा कर गिर पड़ रहे हैं। मोदी जी की ये टिप्पणी शिष्टाचार का कहीं उलंघन नहीं करती कि “उनकी सरकार में इतने घोटाले होते रहे मगर उनकी निजी ईमानदारी पर किसी ने कोई ऊँगली नहीं उठाई। “रेनकोट पहन कर स्नान करने की कला कोई उनसे सीखे। ये एक नया मुहावरा टाइप लगता है। कांग्रेस के राज में धरती -आकाश पाताल तक को नहीं बक्शा गया। मनमोहन सरकार के मंत्रियों और उनके नेताओं के नाम इन घोटालों में उछल रहे थे मगर डॉक्टर सिंह के लिए किसी ने ये नहीं कहा कि इस बेईमानी उनका भी हाथ हो सकता है। ये शुक्र है किसी भाजपा नेता ने ये नहीं कहा कि सरदार मनमोहन सिंह कांग्रेस में ऐसे रहे हैं जैसे विभीषण रावण की लंका में रहता था। सबने उन्हें एक भला और ईमानदार मानुष कहा। कांग्रेस रूपी काजल की कोठरी में रहते हुए भी डॉक्टर सिंह सदा उजले रहे। अब उनकी तारीफ करना भी गुनाह हो गया।

असल में कांग्रेसी और सभी गैर भाजपा दल सदा इस ताक में रहते है कि भाजपा के किसी नेता ,मंत्री के श्री मुख से ऐसी कोई बात निकले जिसे वे पकड़ कर होहल्ला कर सकें। कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़के कुत्ते शब्द का प्रयोग कर दें तो कोई बात नहीं अगर भाजपा के नेता वी के सिंह किसी कुत्ते का उदाहरण दे दें तो तो देश में हाहाकार मच जाता है। सोनिया गाँधी मोदी जी को मौत का सौदागर कह दे तो कोई बात नहीं ,राहुल गाँधी उन्हें खून की दलाली करने वाला कह दे तो वो कांग्रेसियों का ह्रदय सम्राट बन जाता है। सलमान खुर्शीद मोदी जी को नामर्द कह दे तो सबके मुह पर ताले लग जाते हैं। शुक्र है इस बात का जबाब भाजपा के किसी फायर ब्रांड नेता ने नहीं दिया नहीं तो भूचाल आ जाता। मोदी जी ने तो पूर्व प्रधान मंत्री जी की गुस्ताखी में आपत्तिजनक कुछ नहीं कहा बल्कि हल्का फुल्का मजाक किया जबकि कांग्रेस ने तो डॉक्टर सिंह को कई बार जलील किया। कांग्रेसी युवा सम्राट ने उनके अध्यादेश को फाड़ कर फेंक दिया। कांग्रेस ने मनमोहन सिंह को एक बेजान पुतला बनाकर रख दिया था। उनकी भली मानसी का फायदा उठाया। मुह पे चेपी लगा दी ,कानों में रुई दाल दी ,आँखों पे पट्टी बांध दी , दोनों हाथ रस्से से बांध दिए और जब जरुरत पड़ी तो खोल दिए। इस तरह बेजान सा बनाकर रख दिया। ऐसे लगा जैसे मुगलों ने एक सिख जांबाज को घेर लिया हो और बेदर्दी से उसके शरीर और आत्मा पर कब्ज़ा कर लिया हो।

जैसे शेर एक बार किसी इंसान का शिकार करके नरभक्षी हो जाता है उसी प्रकार कांग्रेस को सत्ता के स्वाद का 60 साल का चस्का पड़ गया है और वो भी नरभक्षी हो चुकी है। नरभक्षी शेर का एक ही इलाज होता है उसे गोली मार दी जाये या हमेशा के लिए पिंजरे में डाल दिया जाये। कांग्रेस की क्या दशा होनी चाहिए ये जनता जनार्दन को ही तय करना चाहिए।

चंद्र प्रकाश शर्मा

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