राजतंत्र का तबेला

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शर्मा जी की खुशी का पारावार नहीं था। जैसे पक्षी नहाने के बाद पंख झड़झड़कार आसपास वालों को भी गीला कर देते हैं, ऐसे ही शर्मा जी अपने घर से सामने से निकलने वालों को मिठाई खिलाकर गरम चाय भी पिला रहे थे। ठंड के कारण कई लोग तो तीन-चार बार आ गये; पर शर्मा जी ने किसी को मना नहीं किया।

आज सुबह वे पार्क में भी मिठाई ले आये। उनकी खुशी का कारण था कि आखिरकार राहुल बाबा कांग्रेस पार्टी पर कृपा करके उसके अध्यक्ष हो ही गये। मम्मीश्री और खानदानी दरबारी कई साल से कोशिश में लगे थे; पर ‘अंत भला, सो सब भला’की तर्ज पर जो हुआ, वो ठीक ही हुआ।

कहते हैं कि देसी घी का लड्डू टेढ़ा हो, तो भी मना नहीं किया जाता। ऐसे ही बेटा चाहे जैसा हो, हर मां उसे दूल्हा बने देखना चाहती है। मम्मीश्री की ये इच्छा तो अधूरी रही; पर कांग्रेस अध्यक्ष के खानदानी आसन पर बैठे देखने की दूसरी इच्छा जरूर पूरी हो गयी।

– लेकिन शर्मा जी, वे इतने दिनों बाद राजी क्यों हुए ?

– असल में वे कुछ अनुभव लेना चाहते थे। कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी बहुत महत्वपूर्ण है। मोतीलाल और जवाहर लाल, इंदिरा और राजीव गांधी जैसे महान नेता इस पर बैठ चुके हैं। इसलिए राजनीति और दुनिया भर के शासन-प्रशासन का कुछ अनुभव लेना भी तो जरूरी है।

– वैसे शर्मा जी, इस कुर्सी पर सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, मालवीय जी और आजादी के बाद टंडन जी से लेकर कामराज, नरसिंह राव और सीताराम केसरी जैसे नेता भी बैठे हैं; पर आप उन्हें याद नहीं करते।

– करते तो हैं; पर इस परिवार की बात ही कुछ और है। कांग्रेस आज जो भी है और जहां भी है, इनके कारण ही है।

– ठीक कह रहे हैं आप। सबसे पहले इंदिरा गांधी ने ही पार्टी तोड़कर कांग्रेस (आई) बनायी। फिर जगजीवन राम, प्रणव मुखर्जी, चंद्रशेखर, वी.पी.सिंह, देवीलाल, शरद पवार, ममता बनर्जी, नवीन पटनायक जैसे जमीनी नेता इसमें जाते-आते रहे। अब जो बचा है, वह सोनिया कांग्रेस है। इन्हीं मैडम इटली के नेतृत्व में कांग्रेस 2014 में बुरी तरह पिटी। तबसे पूरा काम बेटाश्री के हाथ में है और चुनावों में लगातार सफाया हो रहा है। पार्टी लोकसभा में सैकड़ा से दहाई में तो आ ही गयी है। अब उसे इकाई तक बाबा पहुंचाएंगे।

– जी नहीं। हिमाचल और गुजरात से अच्छी खबरें आ रही हैं।

– यह गलतफहमी आपको मुबारक हो। सुना है कि इस चुनावी हार की थकान उतारने के लिए राहुल बाबा ने अभी से विदेश का टिकट बनवा लिया है। वहां से जो ऊर्जा पाकर वे कर्नाटक में पार्टी को हरवाएंगे।

– तुम चाहे जो कहो; पर अब सब ठीक हो जाएगा।

– ठीक होगा या खराब, ये तो आप जानें; पर अब अगले 30 साल तक कांग्रेस में अध्यक्ष की समस्या नहीं रही। राहुल बाबा 46 साल के हैं। कम से कम 75 के होने तक तो काम करेंगे ही। उनके रहते किसकी मजाल है जो इस बारे में सोच भी सके। तब तक पार्टी बची रही, तो फिर पिंकी दीदी का बेटा है। उसने नाना का नाम जोड़कर खुद को ‘रेहान राजीव वाड्रा’कर लिया है। कुछ दिन बाद वह ‘रेहान राजीव गांधी’हो जाएगा। कुर्सी के लिए बाप-दादा बदलना इस खानदान की पुरानी परम्परा है।

– लेकिन ये मत भूलो वर्मा कि भारत में लोकतंत्र कांग्रेस के कारण ही सुरक्षित है और इस खानदान का इतिहास ही कांग्रेस के विकास का इतिहास है।

– शायद आपने आपातकाल के बारे में नहीं सुना शर्मा जी, जब देवकांत बरुआ ‘इंदिरा इज इंडिया और इंडिया इज इंदिरा’ की चमचावली गाते थे। पिछले दिनों वीरप्पा मोइली ने मैडम इटली को कांग्रेस की मां बताया है; और हां, औरंगजेब को याद करने वाले मणिशंकर साब भी हैं।

– ऐसी बातों को कोई गंभीरता से नहीं लेता।

– शर्मा जी, हर देश की एक सेना होती है; पर हमारे पड़ोस में सेना के पास पाकिस्तान नामक एक देश है। ऐसे ही राजनीतिक दलों के पास समर्पित परिवार होते हैं; पर इस परिवार के पास एक समर्पित पार्टी है। वो उसे ओढ़े या बिछाये, तोड़े या जोड़े, बेचे या खरीदे; पर वह रहती कांग्रेस ही है। इस खानदान, पार्टी और उसके चमचों ने ही लोकतंत्र को राजतंत्र का तबेला बना दिया है।

ये सुनकर वहां खड़े लोगों ने ताली बजा दी। इससे शर्मा जी के चेहरे पर उदासी के बादल घिर आये। उन्होंने बाकी मिठाई डिब्बे समेत कूड़े में फेंकी और घर को चल दिये।

– विजय कुमार

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