राम बाग के इतिहास का रहस्य

विशेष स्वच्छ भारत अभियान सम्पन्न
डा. राधेश्याम द्विवेदी
रामबाग यमुना नदी के बायें तट पर स्थित है। इसे आराम बाग और बाग-ए-गुल अफसान के नाम से भी जाना जाता है। राम बाग की अवधारणा और निर्माण भारत में पहले मुगल बादशाह बाबर ने 1528 में करवाया था। यह चीनी का रोजा से 500 मीटर, एतमादुद दौला का मकबरा से 3 किमी और ताजमहल से करीब 5 किमी दूर है। बाबर के जीवनवृत में उपलब्ध वर्णन के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि रामबाग का निर्माण बाबर ने किया था। सामान्यतया ऐसा माना जाता है कि 1530 ई. में जब बाबर की मृत्यु हुई तो अंतिम समाधिस्थल काबुल ले जाने से पूर्व उसे अस्थायी तौर पर इसी बाग में दफनाया गया था। जब मराठों ने 1775 ई. से 1803 ई. तक आगरा पर अधिकार कर लिया, तो उस समय अपभ्रंशित होकर इसका नाम ‘रामबाग’ हो गया। ‘बाग-ए-नूर-अफसाँ’ के रूप में इसका प्रथम ऐतिहासिक वर्णन देखकर कुछ इतिहासकारों को ऐसा लगा कि इसके नाम की उत्पत्ति काबुल के ‘ बाग-ए-नूर-अफसाँ’ या ‘नूर-अफसाँ’ से हुई है।
चाहरदिवारी से घिरा बाग:-यह बाग ऊँची चाहरदिवारी से घिरा हुआ है। चारों ओर फैला हुआ यह भव्य बाग नहर के जरिए चार भागों में बंटा हुआ है। इस्लाम में जन्नत के बाग या चारबाग की जो अवधारणा है, रामबाग उसी का प्रतीक है।बाग के नहर में पानी यमुना नदी से तीन चबूतरों पर बने झरने से आता है। बाग में दो गुंबददार इमारत भी है, जिसका रुख यमुना नदी की ओर है। इसमें तयखाना भी है, जिसमें कड़ी गर्मी के समय शाही परिवार शरण लेता था। इस बाग की खूबसूरती बेजोड़ है। इसमें ढेर सारे आड़े-तिरछे पानी के रास्ते और फव्वारे हैं। बाग के कोने की बुर्जियों के ऊपर स्तम्भयुक्त मंडप है। नदी के किनारे दो- दो मंजिले भवनों के बीच में एक ऊँचा पत्थर का चबूतरा है। इन संरचनाओं में परिवर्तन पहली बार जहाँगीर के शासनकाल में तथा दूसरी बार ब्रिटिश शासनकाल में हुआ। इस स्मारक के उत्तरी-पूर्वी किनारे में एक दूसरा चबूतरा है जहाँ से हम्माम के लिए रास्ता है। हम्माम की छत मेहराबदार है। नदी के किनारे बनाए गए इस बाग को ऊपर से देखने पर ऐसा लगता है कि यह मुगलकालीन विहार उद्यान का विशिष्ट उदाहरण है। नदी से पानी निकालकर एक चबूतरे से बहते हुए चैड़े नहरों, हौजों (कुंडों), जलप्रपातों के समूहों (तंत्रों) के रास्ते दूसरे चबूतरे में बहाया जाता था। मुगल बादशाह जहांगीर की पत्नी बेगम नूरजहां ने इस बाग का नवीनीकरण भी करवाया था।
संस्कृति मंत्रालय के अधीन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण आगरा मण्डल द्वारा स्वच्छता पखवाडा अभियानः-भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा स्मारकों से 300 मीटर की दूरी को पालिथिन से मुक्त रखने के लिए विशेष स्वच्छता पखवाडा अभियान 16 अप्रैल से 30 अप्रैल 2017 के मध्य चलाया गया। इस कार्यक्रम के माध्यम से जन जागरूकता का कार्यक्रम भी चलाया गया आगरा मण्डल में तीन विश्व धरोहरों तथा लगभग एक दर्जन राष्ट्रीय स्मारकों पर विशेष स्वच्छता अभियान चलाया गया है।19 अप्रैल 2017 को एत्माद्दौला उप मंडल के रामबाग स्मारक पर विशेष सफाई अभियान चलाया गया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here