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रामचरित - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
अरुण तिवारी भजियो रामचरित मन धरियो तजियो, जग की तृष्णा तजियो। परहित सदा धर्म सम धरियो, मरियो, मर्यादा पर मरियो।। भजियो, रामचरित.... भाई संग सब स्वारथ तजियो संगिनी बन दुख-सुख सम रहियोे। मातु-पिता कुछ धीरज धरियो सुत सदा आज्ञा-पालन करियो।। भजियो रामचरित... सेवक सखा समझ मन भजियो शरणागत की रक्षा…