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भारत में सर्व समावेशी विकास से ही तेज़ आर्थिक प्रगति सम्भव - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
वर्तमान परिदृश्य में आर्थिक गतिविधियों का महत्व पूरे विश्व में बढ़ता ही जा रहा है। आचार्य चाणक्य ने भी कहा है “सुखस्य मूलम धर्म:, धर्मस्य मूलम अर्थ:” अर्थात राष्ट्र जीवन में समाज के सर्वांगीण उन्नति का विचार करते समय अर्थ आयाम का चिंतन भी अपरिहार्य रूप से किया जाना चाहिये। भारतीय…