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राष्ट्र की प्रगति के लिए हिन्दी की सर्वस्वीकार्यता आवश्यक - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मनुष्य के जीवन की भाँति समाज और राष्ट्र का जीवन भी सतत विकासमान प्रक्रिया है । इसलिए जिस प्रकार मनुष्य अपने जीवन में सही-गलत निर्णय लेता हुआ लाभ-हानि के अवसर निर्मित करता है और सुख-दुख सहन करने को विवश होता है उसी प्रकार प्रत्येक समाज और राष्ट्र भी एक…