रावण के मन की बात

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तुम मुझे यू ना जला पाओगे
तुम मुझे यू ना भुला पाओगे
तुम मुझे हर साल जलाओगे
मार कर भी तुम न मार पाओगे
जली लंका मेरी,जला मैं भी
तुम भी एक दिन जला दिए जाओगे

मैंने सीता हरी,हरि के लिये
राक्षस कुल की बेहतरी के लिये
मैंने प्रभु को रुलाया बन बन में
तुम प्रभु को रुला ना पाओगे
तुम मुझे यू ना जला पाओगे
तुम मुझे यू ना भुला पाओगे

आज रावण से राम डरते है
आज लक्ष्मण ही सीता को हरते है
आज घर घर में छिपे है रावण
उनको कैसे तुम मार पाओगे ?
तुम मुझे यू ना जला पाओगे
तुम मुझे यू ना भूल पाओगे

सीता हरण तो एक बहाना था
मुझे तो राम का दर्श पाना था
मैंने मर कर भी राम को पाया है
तुम जी कर भी राम को न पाओगे
तुम मुझे यू ना जला पाओगे
तुम मुझे यू ना भुला पाओगे

मैंने राम से युद्ध किया किसलिए
सारे राक्षसों का बध हो इसलिए
आज हर मन में राक्षस बसा हुआ
क्या तुम उसको निकाल पाओगे ?
तुम मुझे यू ना जला पाओगे
तुम मुझे यू ना भुला पाओगे

आज गली गली में सीता हरण हो रहा
आज घर घर में नारी का मरण हो रहा
आज नगर नगर में रेप हो रहा
क्या तुम उनको खत्म कर पाओगे ?
तुम मुझे यू ना जला पाओगे
तुम मुझे यू ना भुला पाओगे

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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