मेरे देश में इन दिनों बहुतेरों को एक अदद ‘अवतार ‘ की शिद्द्त से दरकार है। पीलिया रोग से पीड़ित कुछ नर-मादाओं को तो नरेंद्र मोदी साक्षात विष्णु के अवतार ही नजर आ रहे हैं। महज कार्पोरेट लाबी या हिन्दुत्ववादियों को ही नहीं अब तो खांटी धर्मनिर्पेक्षतावादियों ,कांग्रेसियों और लोहियावादियों को भी मोदी जी ‘कितने अच्छे लगने लगे ‘ हैं। जब शांति भूषण जी को ‘नमो’ भक्ति में लीन देखता हूँ तो लगता है कि बाकई मोदी जी का उन पर भी कुछ तो असर है। सिर्फ किरण वेदी ,शाजिया इल्मी ,जया प्रदा या कृष्णा तीरथ जैसी नादान इच्छाधारणियां ही नहीं , बल्कि जीतनराम माँझी , दिनेश त्रिवेदी ,जनार्दन द्धिवेदी जैसे राजनीतिक ड्रगन भी ‘मोदी जाप’ के लिए कुनमुना रहे हैं। मोदी जी की के अंधभक्तों ने तो सहीदों को भी भगवा दुपट्टा पहना दिया है। सरदार भगतसिंह , सरदार पटेल ,सुभासचन्द्र बोस और लाला लाजपत राय भी इनसे नहीं बच पाये। अमर शहीदों की प्रतिमाओं के कान में भी फुसफुसा कर कहा जा रहा हो ” गांधी को भूल जाओ, लोकतंत्र को भूल जाओ ,इंकलाब को भूल जाओ। इसलिए हे भारत वासियो ! सब मिलकर एक साथ जोर से बोलो – ‘गोडसे महाराज की जय ‘ ! मोदी महाराज की जय ! जय-जय सियाराम !
यूएस प्रेसिडेंट श्री ओबामा जी के गणतंत्र दिवस पर भारत आगमन पर भारत -अमेरिका की कार्पोरेट लाबी बहुत खुश है। अब तो हवाएँ भी पछुआ हो चली हैं। इन फिजाओं में भी मोदी जी का कुछ तो असर है। ‘भगवा आंधी’ योँ ही नहीं चल रही है। दिनेश त्रिवेदी [टीएमसी वाले] से लेकर जनार्दन द्धिवेदी [ कांग्रेस वाले] तक सबके सब ‘हर- हर मोदी’ ही किये जा रहे हैं। कल तक जिन्हे ममता ,सोनिया या राहुल देश के तारणहार दीखते थे वे अब ‘मेरो तो मोदी दूसरो न कोई ‘ का भजन गा रहे हैं। उन्हें तो गाना पडेगा जो चाटुकारिता और दासत्व के सिंड्रोम से पीड़ित हैं। इसीलिये सारे चमचो ,दलबदलुओं एक साथ बोलो – मोदी महाराज की जय !जय-जय सियाराम !
कुछ लोगों ने एक वाहियात सी अवधारणा बना रखी है कि देश और दुनिया का उद्धार करने के लिए हर युग में एक अदद ‘अवतार’ की जरूरत होती है। चूँकि इस आधुनिक दौर में भारत को आर्थिक-सामाजिक -साम्प्रदायिक और सांस्कृतिक महामारियों ने घेर रखा है इसलिए ‘अवतार’ की शिद्दत से जरुरत है। दरसल कांग्रेस के कुकर्मों , मीडिया के ‘अपकर्मों’, धर्मनिर्पेक्षतावादियों – अल्पसंख्यकवादियों के ‘भेड़िया धसान कर्मों ‘ तथा ‘संघ परिवार ‘ के नाटकीय ‘धत्कर्मों’ के परिणाम स्वरूप अवसरवादियों और दल बदलुओं के ‘पापकर्म’ धुल चुके हैं। वास्तव में उनके अच्छे दिन आये हैं जो केरेक्टर की परवाह नहीं करते। उधर आर्थिक ‘नीति’ और ‘नीति आयोग ‘में विश्व बैंक, एनआरआई ,अम्बानी,अडानी जैसे बड़े -बड़े कारोबारियों और ‘दलालों’ के अच्छे दिन आने लगे हैं। अभी-अभी ताजा-ताजा , केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड में ‘राग दरवारियों ,चाटुकारों और चन्दवरदाइयों ‘ के अच्छे दिन आये हैं। राष्ट्र रुपी घूरे के दिन कब फिरेंगे ? ये तो इस वैज्ञानिक -उत्तर आधुनिक युग में कोई भी दावे से नहीं कह सकता ! किन्तु जिनके पहले से ही अच्छे दिन चल रहे थे। उन धूर्त चालक और काइयाँ लोगों के स्वर्णिम दिन बरक़रार हैं। जो सत्ता से महरूम हैं वे मोदी भक्ति को बेकरार हैं।
मजदूरों के तो बहुत बुरे दिन आये हैं। न सिर्फ ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ बल्कि अब तो शुद्ध – निखालिस ‘श्रम नीति’ मुक्त भारत होने जा रहा है। न केवल सांस्कृतिक पुरुत्थान वादियों के सपनों का ‘एंड-वेण्ड इंडिया’बल्कि ‘मेक इन इंडिया ‘याने ‘अतुल्य ‘ भारत भी होने जा रहा है। न केवल ‘लोकतंत्र ,समाजवाद और धर्मनिेपेक्षता ‘ से मुक्त भारत बल्कि संसदीय लोकतंत्र मुक्त भारत की सम्भावनाएँ भी ७ माह में ९ अध्यादेश लागू कर दिखा दींगईं हैं। मानवीय संवेदनाओं से मुक्ति की कामना पूर्ण होने के आसार भी नजर आ रहे हैं। इस घोर नकारात्मक परिदृश्य के वावजूद कुछ लोग ढ़पोरशंखी वयान बाजी और पूँजीवादी आर्थिक राजनैतिक चकाचौंध में मानो ‘रतौंधिया’ गए हैं । ये हर -हर ‘मोदी-मोदी’ के नारे लगाने वाले कभी न कभी कांग्रेस के और गांधी नेहरू परिवार के भी गुणगान किया करते थे ,यकीन ने हो तो अमिताभ बच्चन जी से या अमरसिंह जी से ही पूंछ लो !
श्रीराम तिवारी
आदरणीय इतना परेशान होने की जरूरत नहीं यह तो चक्र है यह. पूरी दुनिया मैं वामपंथ का डंका बजता था. लेनिनं,मार्क्स ,स्टालिन। माओ ,देवता की तरह पूजे जाते थे /आज क्या स्थिति है?लेनिन की समाधि पर हौली वाटर डाला जा रहा है. महाशक्ति रूस टूट चूका है.in नेताओं की प्रतिमाएं गिराई जा रही हैं. चीन मैं माओ के परिवारवालों की सजाये मिल रही है. तथाकथित सर्वहारा वर्ग का पोषण करने का दम्भ भरने वाला चीन भृष्ट ,नेताओं और सेना के अधिकारीयों से परेशान है. भारत मैं तथाकथित धर्म निरपेक्ष वादि. बुद्धिवादी, जनवादी ,समाजवादी परेशान हैं ”मोदी”से. इन्हे रत दिन भारत की चिंता सताये जा रही है. आप चिंता न करें यह समयचक्र है. यह भी बदल जाएगा.