कश्मीर घाटी के विद्रोही नेता

राष्ट्र की एकता व अखंडता की रक्षार्थ भारत को तोड़ने वाले अनुच्छेदों 35 ए व 370 में आवश्यक संशोधन करके जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को संसद के दोनों सदनों में पिछ्ले वर्ष बहुमत से पारित किया जा चुका है। उस समय वहां के लगभग सभी विपक्षी व अलगाववादी नेताओं और उनके प्रमुख सहयोगियों को नजरबंद किया गया था। साथ ही  आतंकवाद को उकसाने वाले पाक समर्थक नेताओं को भी शासन के आदेशानुसार नजरबंद किया गया। इस आवश्यक परिवर्तन व शासन के कठोर प्रशासकीय कार्यो से दशकों बाद इस क्षेत्र में पुन: शान्ति व विकास का वातावरण बनता हुआ प्रतीत होने लगा है।अत: स्वस्थ राजनैतिक प्रक्रिया को आगे बढाने के लिये केंद्र ने भी प्रतिबंधित नेताओं को छोड़ने का कार्य आरम्भ कर दिया है।

लेकिन यह दु:खद है कि स्वर्ग को नर्क बनाने वाले इन नेताओं पर पाबन्दी हटाने से इनके अलगाववादी तेवर पुन: दिखने लगे है। जम्मू-कश्मीर पर लम्बे समय तक शासन करने वाले अब्दुल्ला व मुफ्ती परिवार सहित वहां के कांग्रेस, माकपा व अन्य दलों के नेताओं ने इन अनुच्छेदों की वापसी की मांग पर एकजुट होने के समाचार आने लगा है।परन्तु इन नेताओं को यह विचार अवश्य कर लेना चाहिये कि कश्मीर घाटी के इन नेताओं की दादागीरी से त्रस्त जम्मू व लद्धाख के नागरिक इनका बिल्कुल साथ नहीं देंगे। साथ ही स्वतंत्रता के पश्चात पाकिस्तान व देश के कुछ अन्य भागों से आये हुए पीड़ित दलित हिन्दुओं व सिखों को अब वहां की नागरिकता मिल जाने से उनको समस्त नागरिक अधिकार मिल गए है। ध्यान रहे ऐसे लाखों लोग पिछ्ले 7 दशक से भी अधिक इन नेताओं की भारत विरोधी षडयंत्रकारी नीतियों के कारण ही अपने अनेक मौलिक व संवैधानिक अधिकारों से वंचित तिरस्कृत जीवन जी रहे थे। इसके अतिरिक्त विशेष महत्व का बिंदू यह भी है कि हमारे केंद्रीय नेताओं की दृढ़ इच्छा-शक्ति व पराक्रमी सुरक्षाबलों के युद्ध कौशल से पाकिस्तानी आतंकियों  व उसके स्थानीय नेटवर्क को भी निरंतर धाराशाई करने में सफलता मिल रही है।

केन्द्रीय नेतृत्व को समस्त जम्मू-कश्मीर व लद्धाख की स्थितियों को सामान्य बनाये रखने के लिये पुन: अविलंब अपनी कठोर प्रशासकीय क्षमता का परिचय देना होगा। उसमें चाहे उन्हें उन सभी नेताओं को पुन:  प्रतिबंधित ही क्यों न करना पड़े जो पुन: देेेश विरोधी आग को हवा देना चाहते हैं। अन्ततः राष्ट्रीय एकता व अखण्डता का महान संकल्प सर्वोपरि है। 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here