अगवानी करें नये वर्ष, नये जीवन एवं नई दिशाओं कीं

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– ललित गर्ग-

जाते हुए वर्ष को विदा करना एवं नये वर्ष की अगवानी करना-एक ऐसी संधिबेला है जहां जीवन एक नई करवट लेता है। कोरोना महामारी, प्राकृतिक संकट, आर्थिक अस्तव्यस्तता एवं राजनीतिक उथल-पुथल, अन्तर्राष्ट्रीय बदलाव, किसान आन्दोलन एवं काश्मीर की शांति एवं लोकतंत्र की स्थापना जैसे विविध परिदृश्यों के बीच नए वर्ष का स्वागत हम इस सोच और संकल्प के साथ करें कि अब हमें कुछ नया करना है, नया बनना है, नये पदचिह्न स्थापित करने हैं एवं बीत वर्ष के नुकसानों की भरवाई करनी है। बीते वर्ष की कमियों एवं आपदा स्थितियांे पर नजर रखते हुए उनसे लगे घावों को भरने एवं नये उत्साह एवं ऊर्जा से भरकर नये जीवन को गढ़ने का संकल्प लेना है। दूसरे के अस्तित्त्व को स्वीकारना, सबका विकास-सबका साथ, पर्यावरण संरक्षण, रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास एवं दूसरे के विचारों को अधिमान देना- यही शांतिप्रिय, स्वस्थ, सुशासन एवं सभ्य समाज रचना के आधारसूत्र हैं और इसी आधारसूत्रों को नये वर्ष का संकल्पसूत्र बनाना होगा।
आज सब अपनी समझ को अंतिम सत्य मानते हैं। और बस यहीं से मान्यताओं की लड़ाई शुरू हो जाती है। तीन हजार वर्षों में पांच हजार लड़ाइयां लड़ी जा चुकी हैं। एकसूत्र वाक्य है कि ”मैदान से ज्यादा युद्ध तो दिमागों से लड़े जाते हैं।“ आज भी भारत पाकिस्तान एवं चीन की कुचालों एवं षडयंत्रों से जूझ रहा है, हमने कोरोना काल में भी इन देशों को माकुल जबाव दिया, अब और अधिक सशक्त तरीकों से इनको जबाव देना है। हमने वर्ष 2020 के संकट वर्ष में भी आशा एवं विश्वास के नये दीप जलाये हैं, प्रभु श्री राम के मन्दिर का शिलान्यास हुआ, कोरोना को परास्त करने के लिये दीपक जलाये, तालियां बजायी, विदेशों कोे दवाइयां एवं मेडिकल सहायता भेजी, कोरोना के कारण जीवन निर्वाह के लिये जूझ रहे पीडितों की सहायता के लिये अनूठे उपक्रम किये।  
वर्ष 2020 न केवल कोरोना महासंकट एवं व्याधि से जीवन के स्तर पर बल्कि आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, रोजगार, व्यापार की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण बना बल्कि जीवन पर अंधेरे ही अंधेरे व्याप्त रहे। बीत एक साल में कोरोना काल में कई बड़े बदलाव देखने को मिले। लाॅकडाउन एवं सोशल दूरी का पालन करते हुए शादी-विवाह, मनोरंजन, घूमना-फिरना सब नियंत्रित रहें। लॉकडाउन के दौरान लोगों के मनोरंजन के माध्यम भी बदल गये। सिनेमाघर बंद हो गये, बार बंद हो गये, पार्क बंद हो गये तो लोग घरों पर ही टीवी के आगे बैठ गये। दूरदर्शन ने रामायण, महाभारत, श्रीकृष्णा आदि पुराने धारावाहिक शुरू किये तो वह काफी हिट हुए और ऐसे में जब शूटिंग बंद होने से विभिन्न धारावाहिकों के नये एपिसोड नहीं आये तो लोग वेब सीरिज आदि देखकर समय बिताने लगे। यही नहीं बड़े पर्दे की फिल्में भी तीसरे पर्दे पर रिलीज होने लगीं हैं।
घरों में लॉकडाउन के दौरान काम वाली बाई ना होने के कारण लोग घरों के काम खुद ही करते नजर आये, टाइम पास के लिए सभी परिजन मिलकर लूडो, कैरम बोर्ड आदि खेल खेलने लगे और अधिकांश ऑफिस अब भी बंद होने के कारण वर्क फ्रॉम होम भारत में एक स्थापित संस्कृति बन गया है। दर्जनों भूकंप, पूर्वोत्तर में बाढ़, पूर्वी भारत में तूफान और बिहार में आकाशीय बिजली गिरने से हुई मौतों जैसे हालात आदि भी इस साल की बड़ी मुश्किलों में शुमार रहे हैं। इसके अलावा जहां तक राजनीति की बात है तो वह वर्ष में भी जमकर हुई। भाजपा ने तो अपनी जनसंवाद रैलियों के माध्यम से कार्यकर्ताओं से संवाद बनाने के साथ-साथ मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की पहली वर्षगाँठ पर सरकार की उपलब्धियों का प्रचार भी बहुत हुआ। कांग्रेस पूरे समय नकारात्मक राजनीति करते हुए विपक्षी दलों के बीच भी अलग-थलग पड़ गयी है। आतंकवाद के लिए यह साल कहर बन कर टूटा है। जम्मू-कश्मीर के कई जिले इस साल आतंकवाद मुक्त हो गये और अब तक कई ऑपरेशनों में सैकड़ों  आतंकवादी मारे जा चुके हैं। खास बात यह है कि अधिकतर आतंकवादी कमांडर भी ढेर किये जा चुके हैं। पाकिस्तान की ओर से संघर्षविराम उल्लंघन की कई घटनाएं हुईं जिनका मुँहतोड़ जवाब दिया गया। कश्मीर में अब पहले की अपेक्षा शांतिपूर्ण वातावरण है।
इसी वर्ष में नरेंद्र मोदी सरकार ने कई नामुमकिन को मुमकिन बनाया है। उन सपनों को पूरा किया है जो सपने इस देश ने देखे थे। देश की आवाम ने देखे थे। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने का कदम उठाने के साथ-साथ राज्य को दो हिस्सों में बांटने का काम भी इसी कार्यकाल में हुआ। मोदी सरकार के इस फैसले के बाद कश्मीर में एक देश, एक विधान और एक निशान लागू हो गया है। कोरोना वायरस के कारण जारी लॉकडाउन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए 20 लााख करोड़ रुपये के विशेष राहत पैकेज के अलावा ही ऐसे अन्य पैकेज के द्वारा भारत की अस्त-व्यस्त अर्थ-व्यवस्था को संभाला। इसी वर्ष लोकल के प्रति वोकल होने का संकल्प दृढ़ बना। उत्तर प्रदेश की राजधानी में डिफेंस एक्सपो भी आयोजित हुआ, जिसमें विदेशी कंपनियों ने देशी कंपनियों के रक्षा उत्पादों को देखा और सराहा। इस दौरान कई विदेशी कंपनियों से रक्षा अनुबंध भी हुए। ब्रिटेन में हुए संसदीय चुनावों में जब बोरिस जॉनसन एक बार फिर प्रधानमंत्री चुने गये वही अमेरिका में दिलचस्प राष्ट्रपति चुनाव हुए और जो बाइडेन राष्ट्रपति बने।
नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 1250 करोड़ रुपए की लागत वाली परियोजनाओं की शुरुआत की और काशी-महाकाल एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई। शाहीन बाग आंदोलन एक विडम्बना बना। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पूरे दलबल के साथ भारत की यात्रा पर आये। भारत ने फ्रांस और ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बना। बड़ी राजनीतिक हलचल के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गये। मध्य प्रदेश में सप्ताह भर चले राजनीतिक घटनाक्रम में कमलनाथ की सरकार गिर गयी और शिवराज सिंह चैहान ने एक बार फिर मध्य प्रदेश की सत्ता संभाली। दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में तब्लीगी जमात के सदस्यों का एक साथ एकत्रित होना और लॉकडाउन का पालन न करना एक बड़ा मुद्दा बना। जब यह बात सामने आई कि अधिकांश जमाती कोरोना पॉजिटिव हैं तब तो सरकारों की मुश्किलें और बढ़ गयीं।
लॉकडाउन के कारण रोजी-रोटी छिन जाने से प्रवासी मजदूर अपने-अपने गृह राज्यों की ओर निकल पड़े। चूँकि सार्वजनिक परिवहन के साधन उपलब्ध नहीं थे इसलिए ये कामगार पैदल चलकर, साइकिल चलाकर और ट्रकों के जरिए, यहां तक कि कंटेनर ट्रकों और कंक्रीट मिक्सिंग मशीन वाहन में छिपकर आनन-फानन में अपने घर लौटे थे और इस दौरान कई मजदूर दुर्घटनाओं के शिकार भी हुए। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उनके कैबिनेट सदस्यों और सांसदों ने यह तय किया कि वह एक साल तक अपनी तनख्वाह में 30 प्रतिशत की कटौती करवाएंगे और यह राशि कोविड-19 से लड़ने में खर्च की जायेगी। इसी महीने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पहल पर ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने का कार्यक्रम शुरू हुआ। इसी महीने राजस्थान के कोटा में पढ़ रहे छात्रों की घर वापसी का मुद्दा भी उठा। उत्तर प्रदेश सरकार ने आरोग्य सेतु एप लॉन्च किया। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज का ऐलान किया गया जिसके तहत गरीब परिवारों को तीन महीने के लिए मुफ्त अनाज दिये जाने की घोषणा की गयी। आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम में एक कंपनी के संयंत्र से गैस लीक होने से 7 लोगों की मृत्यु हो गयी और कई लोग बीमार पड़ गये। इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मानसरोवर यात्रा के लिए लिंक रोड़ का वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये उद्घाटन किया। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को डब्ल्यूएचओ कार्यकारी बोर्ड का निदेशक भी चुना गया। इसी महीने चीन के साथ एलएसी पर तनातनी शुरू हुई और नेपाल ने भी आंखें दिखाते हुए अपने मानचित्र में बदलाव करते हुए उसमें तीन भारतीय क्षेत्रों को शामिल कर लिया। इस वर्ष ने अनेक हस्तियों को हमसे छीना।
जटिल हालातों से उभरते हुए नया वर्ष नया संदेश, नया संबोध, नया सवाल, नया लक्ष्य लेकर उपस्थित हो रहा है। नए वर्ष को सचमुच सफल और सार्थक बनाने के लिए हमें कुछ जीवन-मंत्र धारण करने होंगे। यूं तो हमारे धर्म-ग्रंथ जीवन-मंत्रों से भरे पड़े हैं। प्रत्येक मंत्र दिशा-दर्शक है। उसे पढ़कर ऐसा अनुभव होता है, मानो जीवन का राज-मार्ग प्रशस्त हो गया। उस मार्ग पर चलना कठिन होता है, पर जो चलते हैं वे बड़े मधुर फल पाते हैं। कठोपनिषद् का एक मंत्र है-‘उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।’ इसका अर्थ किया गया है-उठो, जागो और ऐसे श्रेष्ठजनों के पास जाओ, जो तुम्हारा परिचय परब्रह्म परमात्मा से करा सकें, सुखद स्थितियों से करा दें। यही साहसी सफर शक्ति, समय और श्रम को सार्थकता देगा और इसी से नया वर्ष सार्थक होगा।

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