क्षेत्रीय दलों के लिए अहम होंगे यह चुनाव

इस माह की २० सितम्बर को अधिसूचना जारी होते ही महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनावी बिगुल बज जाएगा| १५ अक्टूबर को हरियाणा की ९० और महाराष्ट्र की २८८ विधानसभा सीटों पर करीब १० करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर १९ अक्टूबर को उम्मीदवारों के सियासी भविष्य के फैसले के साथ ही खुद के लिए भी नई सरकार चुन लेंगे| दोनों ही राज्यों के चुनाव तमाम राजनीतिक दलों के राजनीतिक भविष्य के लिए अहम हैं| भाजपा जहां केंद्र में सत्ता की ख़ुशी को दुगुना करना चाहेगी वहीं कांग्रेस लोकसभा चुनाव में अपने इतिहास की सबसे करारी हार के गम को भुलाकर जीत की राह पर लौटना चाहेगी| दोनों ही राज्यों में कई क्षेत्रीय दलों के राजनीतिक भविष्य का भी निर्धारण होगा, जिनमें शिव सेना, मनसे, आरपीआई, राकांपा, स्वाभिमानी पक्ष, राष्ट्रीय समाज पक्ष (सभी महाराष्ट्र) और हरियाणा जनहित कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल, हरियाणा विकास पार्टी (सभी हरियाणा) आदि प्रमुख हैं| इनके अलावा समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, वाम दल जैसे स्थापित राजनीतिक दल भी अपना दमखम दिखाने को बेकरार हैं| हरियाणा में यदि २००९ विधानसभा चुनाव परिणाम देखें तो कांग्रेस को ४० सीटें, इंडियन नेशनल लोकदल को ३१, भाजपा को ०४, हरियाणा जनहित कांग्रेस को ०६ तथा अन्य को ०९ सीटों पर विजयश्री प्राप्त हुई थी| इसी तरह महाराष्ट्र की २८८ विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को ८२, राकांपा को ६२, भाजपा को ४६, शिवसेना को ४५, आरपीआई को १४, मनसे को १३ और अन्य को २६ सीटों पर विजयश्री प्राप्त हुई थी| हरियाणा में कांग्रेस को जहां एक बार फिर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व की आस है वहीं महाराष्ट्र में वह केंद्र की अपनी सरकार की नीतियों और सहयोगी दल राकांपा की खामियों को गिनाने के चलते सत्ता की दौड़ में बने रहना चाहती है| भाजपा को दोनों ही राज्यों में जीत से कम कुछ मंजूर नहीं है| चूंकि दोनों ही राज्यों में भाजपा विपक्ष में थी लिहाजा मोदी लहर और सत्ता के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर पार्टी को जीत के प्रति आशान्वित कर रहा है|

हरियाणा में भाजपा ने मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय को प्रभारी बनाकर यह घोषित सा कर दिया है कि उसे स्पष्ट बहुमत से कुछ कम मंजूर नहीं है| गौरतलब है कि कैलाश विजयवर्गीय की गिनती चुनाव मैनेजमेंट में माहिर नेताओं में की जाती है| हरियाणा जाते ही विजयवर्गीय ने मध्य प्रदेश से अपने विश्वस्त नेताओं को अलग-अलग विधानसभाओं में तैनात कर उन्हें जीत की जिम्मेदारी सौंप दी है| हरियाणा जनहित कांग्रेस से गठबंधन टूटने के बाद भी भाजपा को उम्मीद है कि वह अपने दम पर हरियाणा में सरकार बना लेगी| चूंकि हरियाणा में चुनावों के दौरान जातिवाद को भी भरपूर तवज्जो प्राप्त होती है लिहाजा बसपा, सपा जैसे दल भी अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवाने की कोशिश में हैं किन्तु ताजा परिपेक्ष्य देखकर लगता है कि यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में ही है| एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि गीतिका शर्मा हत्याकांड के मुख्य आरोपी गोपाल कांडा भी अपनी पार्टी के साथ राज्य में चुनाव लड़ने को तैयार हैं| उन्होंने बाकायदा घोषणा-पत्र ज़ारी कर सुशासन का वादा किया है| हरियाणा में आम आदमी पार्टी के कदम पर भी निगाह रहेगी| अरविंद केजरीवाल से लेकर योगेन्द्र यादव जैसे आप नेता हरियाणा से ही हैं, लिहाजा इनकी हर गतिविधि राजनीतिक सरगर्मी बढ़ाएगी| हालांकि आप चुनावी रण से बाहर है किन्तु इनकी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष मदद किसी भी राजनीतिक दल के समीकरण बदल सकती है| हरियाणा के चुनाव का एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि यहां के नेता पाला बदलने में माहिर हैं| जिस राजनीतिक दल का पलड़ा भारी होगा, दल-बदलू नेताओं का बड़ा कारवां उसी तरफ दिखाई देगा| कुल मिलाकर हरियाणा में चुनाव दिलचस्प होने जा रहे हैं और इनके परिणाम से कोई भी राजनीतिक दल अछूता नहीं रहेगा| 

जहां तक महाराष्ट्र में होने जा रहे विधानसभा चुनाव की बात है तो तमाम चुनाव पूर्व सर्वेक्षण भाजपा-सेना महायुति की सरकार बनने की घोषणा कर रहे हैं| एक निजी समाचार चैनल के चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के मुताबिक महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन अपना रंग दिखाएगा और यहां बीजेपी-शिवसेना को साफ बहुमत मिलता नज़र आ रहा है|  सर्वेक्षण के मुताबिक महाराष्‍ट्र में बीजेपी को अकेले १०७ सीटें मिलने की संभावना है| इसके साथ ही शिवसेना भी अच्‍छा प्रदर्शन करेगी और ८६ सीटें जीत सकती है| इस प्रकार देखा जाए तो एनडीए को २०० के आसपास सीटें प्राप्‍त होंगी। सर्वेक्षण के मुताबिक कांग्रेस को एक बार फिर निराशा हाथ लगने वाली है और उसके ४० सीटों तक सिमटने की आशंका है। इसके साथ ही राकांपा को २५ सीटें मिल सकती हैं| यदि सर्वेक्षण के आकड़ों पर विश्‍वास किया जाए तो महाराष्‍ट्र में १५ साल से राज कर रही कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन इस बार चुनाव में हार झेलने वाला है| हालांकि भाजपा-सेना के बीच भावी मुख्यमंत्री पद को लेकर रार की खबरें हैं किन्तु सूत्रों पर विश्वास किया जाए तो इस मुद्दे को आपसी बातचीत से सुलझाने का दावा किया जा रहा है| महाराष्ट्र में राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना भी दम भरने का साहस रखती है और जितनी सीटें पार्टी जीतेगी, नुकसान भाजपा-सेना गठबंधन को उठाना होगा| एक बड़ी चुनौती इस बार राकांपा प्रमुख शरद पवार को मिल सकती है जो खुद परिवार में नेतृत्व संकट से जूझ रहे हैं| भतीजे और बेटी में से किसी एक को चुनना उन्हें भारी पड़ सकता है| कांग्रेस अपनी वर्तमान सरकार की नाकामयाबियों का ठीकरा भी राकांपा पर फोड़ रही है| इस स्थिति में पवार की पार्टी को दोहरी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है| देखा जाए तो हरियाणा के साथ ही महाराष्ट्र के चुनाव क्षेत्रीय दलों की ताकत का आकलन करवा देंगे| केंद्र में जिस तरह स्पष्ट बहुमत की सरकार बनी है, यदि दोनों राज्यों में भी जनादेश वैसा ही आया तो यह क्षेत्रीय पार्टियों के लिए आत्मघाती होगा और राष्ट्रीय दलों की अन्य राज्यों में भी स्वीकार्यता बढ़ेगी|
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सिद्धार्थ शंकर गौतम
ललितपुर(उत्तरप्रदेश) में जन्‍मे सिद्धार्थजी ने स्कूली शिक्षा जामनगर (गुजरात) से प्राप्त की, ज़िन्दगी क्या है इसे पुणे (महाराष्ट्र) में जाना और जीना इंदौर/उज्जैन (मध्यप्रदेश) में सीखा। पढ़ाई-लिखाई से उन्‍हें छुटकारा मिला तो घुमक्कड़ी जीवन व्यतीत कर भारत को करीब से देखा। वर्तमान में उनका केन्‍द्र भोपाल (मध्यप्रदेश) है। पेशे से पत्रकार हैं, सो अपने आसपास जो भी घटित महसूसते हैं उसे कागज़ की कतरनों पर लेखन के माध्यम से उड़ेल देते हैं। राजनीति पसंदीदा विषय है किन्तु जब समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का भान होता है तो सामाजिक विषयों पर भी जमकर लिखते हैं। वर्तमान में दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, हरिभूमि, पत्रिका, नवभारत, राज एक्सप्रेस, प्रदेश टुडे, राष्ट्रीय सहारा, जनसंदेश टाइम्स, डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट, सन्मार्ग, दैनिक दबंग दुनिया, स्वदेश, आचरण (सभी समाचार पत्र), हमसमवेत, एक्सप्रेस न्यूज़ (हिंदी भाषी न्यूज़ एजेंसी) सहित कई वेबसाइटों के लिए लेखन कार्य कर रहे हैं और आज भी उन्‍हें अपनी लेखनी में धार का इंतज़ार है।

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