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रिश्तों का बाजार - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
रुक गया जब गया, मै रिश्तों के बाज़ार में।बिक रहे थे सभी रिश्ते खुले आम बाज़ार में।। मैने पूछा,क्या भाव है रिश्तों का बाज़ार में।हर रिश्ते का भाव अलग है इस बाज़ार में।। बेटे का रिश्ता लोगे या बाप का रिश्ता लोगे।दोनो का ही अलग मोल भाव तुम्हे देने होगे।।…