इक़बाल हिंदुस्तानी
पैसा तो कमाना है मगर यह नहीं सोचा,
किरदार बचाना है मगर यह नहीं सोचा।
मंदिर बने मस्जिद बने हंगामा है बरपा,
मकतब भी बनाना है मगर यह नहीं सोचा।
बेटा मेरा अफ़सर बने हर बाप का सपना,
इंसां भी बनाना है मगर यह नहीं सोचा।
कीमत चुका के आपने रिश्ते तो कर लिये,
रिश्तों को निभाना है मगर यह नहीं सोचा।
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