—विनय कुमार विनायक
अमीरी और गरीबी
स्थाई पहचान नहीं होती है आदमी की
आज का अमीर
कल गरीब हो जाता फिजूलखर्ची अनाचार से
आज का गरीब
कल संपन्न हो सकता शिक्षा और संस्कार से!
मगर आदमी गरीबों से
अपनी करीबी रिश्तेदारी को भी छिपाता
और अमीरों से
दूर की रिश्तेदारी भी बढ़ा चढ़ाकर बताता!
पर आदमी के काम तो
हमेशा गरीब लोगबाग रिश्तेदार हीं आते
चाहे हो घर बनाना
गरीब मिस्त्री और मजदूर अपना हो जाते
चाहे हो बेटे बेटी की शादी
रिश्ते में गरीब व्यक्ति अक्सर घटक बन जाते!
जबकि अमीर रिश्तेदार
छ: पांच करके बहाना बनाकर पल्लू झाड़ लेते
सच तो यह है कि अधिकांश
बिना मेहनत और भ्रष्टाचार से बने हुए अमीर
ओछे और दिल से बुरे हुआ करते!
अमीर अपनी बुराई को छिपाने के लिए
अपना बड़प्पन दिखाकर अपनों से दूरी बना लेते!
आदमी अच्छा वही होता
जो अपनी मेहनत व लगन से उपलब्धियों को पाता
धन दौलत सदा से किसका हुआ?
रिश्ता वही टिकाऊ है जो दिमाग नहीं दिल से होता!
आशा ही जीवन है कहते सभी
मगर किसी से कुछ पाने की आशा करें नहीं कभी
अपना तो केवल माता पिता बहन भ्राता होता
बांकी तो सब कोई बनाया हुआ रिश्ता और नाता!
रिश्तेदारी निभाना मुश्किल है जमाने में
रिश्तेदार हमेशा सुख में साथ होते
दुःख के दिनों में रिश्तेदार अक्सर बेवफा हो जाते!
—-विनय कुमार विनायक