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श्रीकृष्ण की धर्म नीति - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
लोकजीवन में ‘धर्म’ शब्द जितना अधिक सुपरिचित है उसका अर्थ-बोध उतना ही अधिक व्यापक एवं गूढ़ है। अर्थ-विस्तार की दृष्टि से धर्म मानव-जीवन के उन समस्त पक्षों का सम्यक् संवहन करता है, जो जीवन को रचनात्मकता एवं सुंदरता की ओर अग्रसर करते हैं किंतु अर्थ-संकोच की दृष्टि से धर्म विशिष्ट…