बगदादी का विनाश और वैश्विक आतंकवाद

अमेरिका ने संसार के सबसे क्रूर और खूंखार आतंकवादी बगदादी को मारकर एक बार फिर सिद्ध किया है कि वह अपने सम्मान और स्वाभिमान के लिए किसी भी सीमा तक जाकर कोई भी कदम उठाने के लिए स्वतंत्र है । उसने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि अमेरिका की संप्रभुता , राष्ट्रीय एकता और अखंडता को कोई चुनौती देगा तो वह उसे पाताल में जाकर ढूंढ कर लाने का भी माद्दा रखता है ।इस्लामिक स्टेट के नेता अबु बकर बग़दादी को परलोक पहुंचाकर अमेरिका ने विश्व की राजनीति को एक महत्वपूर्ण संदेश और संकेत दिया है । इस घटना के दूरगामी परिणाम होंगे । वर्तमान में बगदादी के आतंक से मुक्त होकर कई देशों ने चैन की सांस ली है । डोनाल्ड ट्रंप के विरोधियों का कहना है कि चरमपंथियों पर नकेल कसने में मिली इस सफलता को डोनाल्ड ट्रंप अगले वर्ष होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में भी भुनाने का प्रयास करेंगे ।
कुछ सप्ताह पूर्व जब अमेरिका को बगदादी के गुप्त स्थानों की सूचना मिली थी तो वह तभी से उसे इस बार पूर्ण नष्ट करने की अपनी महत्वपूर्ण योजना पर काम करने लगा था । इस पूरी योजना को गुप्त रखने में अमेरिका ने जिस प्रकार की गोपनीयता बरती उसके लिए भी वह बधाई का पात्र है।
अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनावों के समय किसी भी राष्ट्रपति की विदेश नीति को लोग बड़ी प्रमुखता से लेते हैं । यही कारण है कि अमरीका में डोनल्ड ट्रंप की सीरिया के लिए उनकी नीति की कड़ी आलोचना हो रही थी । ये आलोचना न केवल डेमोक्रेट्स अपितु रिपब्लिकन्स दोनों की ओर से होती आई थी ।
सीरिया से अमरीकी सैनिकों को वापस बुलाए जाने के निर्णय की सार्वजनिक आलोचना स्वयं डोनल्ड ट्रंप के निकटस्थ नेता भी कर रहे थे।
इस सबके उपरांत भी हमें यह नहीं मानना चाहिए कि बगदादी की मृत्यु के पश्चात वैश्विक आतंकवाद पर पूर्णतया लगाम लग जाएगी । हमारा मानना है कि बगदादी की मृत्यु के पश्चात भी आतंकवाद के बारे में हमें केवल इतना ही मानना चाहिए कि इसे अभी केवल एक झटका मात्र लगा है , अभी आतंकवादियों की रीढ़ नहीं टूटी है । उनके पास कितने हथियार हैं और कैसे घातक हथियारों को वह कहां पर एकत्र कर चुके हैं ? – यह सब भी देखने वाली बात होगी । यदि उन सब हथियारों को समाप्त करने में अमेरिका और आतंकवाद के विरुद्ध लड़ने वाले उसके सभी मित्र देश सफलता प्राप्त कर लेंगे तो माना जाएगा कि उन्होंने आतंकवाद की रीढ़ तोड़ दी है । कुल मिलाकर बगदादी की मृत्यु से अमेरिका या विश्व के अन्य देशों को अधिक प्रसन्न होने की आवश्यकता नहीं है ।
इसके अतिरिक्त हमें बगदादी की मृत्यु को इस दृष्टिकोण से भी देखना चाहिए कि अमेरिका जब किसी को अपना शत्रु मान लेता है तो उसे समाप्त करके ही चैन लेता है । भारत जैसे अन्य देशों को भी अपने – अपने ऐसे ही शत्रुओं का चिह्नीकरण करना होगा । साथ ही अमेरिका या अन्य विश्व शक्तियों को आतंकवाद से जूझ रहे भारत जैसे देशों को अपने शत्रुओं को चिन्हित करने की पूरी छूट भी देनी होगी। जब हर देश आतंकवाद के पोषक देशों और उसके प्रचार-प्रसार में लगे लोगों का चिह्नीकरण करने और उनका समूलोच्छेदन करने के लिये स्वतंत्र होगा , तभी विश्व से आतंकवाद जैसे भस्मासुर का विनाश होना संभव है ।
यह एक दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि आतंकवाद के विनाश में विश्व शक्तियां अभी तक दोहरे मानदंडों का प्रयोग करती रही हैं । जब भारत आतंकवाद के किसी पोषक देश या किसी संगठन पर लगाम लगाने की बातें करता है तो मानदंड दूसरे हो जाते हैं , और अमेरिका , रूस , ब्रिटेन , चीन जैसी विश्व शक्तियां अपने देशों में आतंकवाद की गतिविधियों में लगे संगठनों पर लगाम लगाती हैं या उनका विनाश करती हैं तो मानदंड दूसरे हो जाते हैं। दोहरे मानदंडों के कारण भी विश्व में आतंकवाद को प्रश्रय और प्रोत्साहन मिला है ।
हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि ओसामा बिन लादेन के पश्चात बग़दादी का मारा जाना आतकंवाद के विरुद्ध एक बड़ी सफलता है । इस संदर्भ में हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जैसे ओसामा बिन लादेन के पश्चात उसके आतंकी संगठन या उसके आतंकी साथियों का पूर्ण सफाया नहीं हो सका । वैसे ही बहुत संभव है कि बगदादी के संगठन और उसके साथियों का सफाया करने में भी तात्कालिक सफलता न मिले। निश्चय ही आतंकवाद के पूर्ण विनाश के लिए दीर्घकालिक रणनीति और धैर्य की आवश्यकता है ।
अपने विरुद्ध महाभियोग का सामना कर रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए बगदादी का मारा जाना बहुत ही सौभाग्य की बात है । बगदादी के मारे जाने को वह अपने यहां होने वाले चुनावों में भी भुनाने का प्रयास करेंगे । बहुत संभव है कि आतंकवाद के विरुद्ध उनके इस सफाई अभियान का उन्हें आगामी वर्ष में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में लाभ भी मिले। यदि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसे अपने लिए ‘ लाभकारी चुनावी मुद्दा ‘ बनाते हैं तो इसमें कोई बुरी बात नहीं है । कोई भी शासक , प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति ऐसी ‘ बड़ी उपलब्धियों ‘ को अपने शासन की महान उपलब्धियों में गिनता ही है। अतः राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी बगदादी का सफाया करने की अपनी उपलब्धि को अपने शासन की एक ‘ महान उपलब्धि ‘ के रूप में प्रचारित – प्रसारित करने का पूर्ण अधिकार है । राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विरोधी उन पर आरोप लगा रहे थे कि सीरिया ट्रंप के हाथों से निकल चुका है । अब बग़दादी की मृत्यु के पश्चात ऐसे आरोप लगाने वाले या आलोचना करने वाले लोगों के मुंह पर लगाम लगना स्वाभाविक है ।
वैश्विक आतंकवाद के सफाए में लगे विश्व के देशों को यह भी समझना चाहिए कि आतंकवाद की गतिविधियों में लगे आतंकवादी छुपने के लिए विश्व के किसी भी देश या कोने को अपने लिए अनुकूल बना सकते हैं । उनके पास आर्थिक संसाधन भी हैं और साथ ही अपनी सुरक्षा के पूर्ण प्रबंध करने के लिए अपने लड़ाके सैनिक भी हैं । अतः जिन देशों में आतंकवाद की अभी तक कोई भी घटना नहीं हुई है उनको भी सावधान रहना होगा । क्योंकि उन पर किसी प्रकार का संदेह न होने के कारण आतंकी उन देशों में जाकर भी अपने लिए चुपचाप आश्रय स्थल बना सकते हैं । विश्व के बड़े नेताओं को या देशों को ऐसे शांत स्थानों या देशों को भी विश्वास में लेना चाहिए और एक ऐसी स्थाई रणनीति बनाई जानी चाहिए कि यह देश आतंकवादी गतिविधियों में लगे लोगों की जांच करने के लिए वैश्विक सहयोग करने पर सहमत हो जाएं , अर्थात यदि विश्व संगठन अपनी एक शांति सेना या अपने गुप्तचरों को उनके यहां पर आतंकवादियों के गुप्त ठिकानों का पता लगाने के लिए भेजना चाहे तो उसमें यह देश किसी प्रकार का अड़ंगा ना डालें।
विश्व को आतंकवाद मुक्त करने के लिए संप्रदाय से ऊपर उठकर विश्व नेताओं को निर्णय लेने होंगे । कोई भी देश आतंकवाद का यदि इसलिए समर्थन करता है कि आतंकी उसके मजहब को मानने वाले हैं तो समझा जाना चाहिए कि ऐसा देश विश्व शान्ति का शत्रु है। आज विज्ञान के युग में मजहब की अंधी और गंदी गलियों से बाहर निकलने की आवश्यकता है। तभी हम आतंकवाद के भस्मासुर का विनाश करने में सफल हो पाएंगे। बगदादी को मारकर अमेरिका ने इस दिशा में एक ठोस कदम उठाया है , जिसका स्वागत किया जाना चाहिए।

डॉ राकेश कुमार आर्य

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राकेश कुमार आर्य
उगता भारत’ साप्ताहिक / दैनिक समाचारपत्र के संपादक; बी.ए. ,एलएल.बी. तक की शिक्षा, पेशे से अधिवक्ता। राकेश आर्य जी कई वर्षों से देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। अब तक चालीस से अधिक पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं। वर्तमान में ' 'राष्ट्रीय प्रेस महासंघ ' के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं । उत्कृष्ट लेखन के लिए राजस्थान के राज्यपाल श्री कल्याण सिंह जी सहित कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं । सामाजिक रूप से सक्रिय राकेश जी अखिल भारत हिन्दू महासभा के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अखिल भारतीय मानवाधिकार निगरानी समिति के राष्ट्रीय सलाहकार भी हैं। ग्रेटर नोएडा , जनपद गौतमबुध नगर दादरी, उ.प्र. के निवासी हैं।

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