एंड्रीनी रिच की चार कविताएं - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
1. जीत भीतरी तहों में कुछ पसर रहा है, हमसे अनकहा त्वचा के अंदर भी उसकी उपस्थिति अघोषित है जीवन के समस्त रूप-प्रत्यय नाटकीय स्वार्थों की सघन झाड़ियों में उलझे मशीनी देवताओं से संवाद नहीं करना चाहते, स्पष्टत: कटे-छँटे शरणार्थी प्राचीन या अनित्य ग्रामों से हमारे अवसरवादी चाहनाओं में फँसे…