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ऋषि दयानन्द और गांधी जी का हिन्दी प्रेम - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द सरस्वती संस्कृत और हिन्दी के प्रचार व प्रसार को मनुष्य का कर्तव्य व धर्म मानते थे। पंजाब में प्रचार करते हुए एक बार उनके एक अनुयायी ने उनसे उनके प्रमुख ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश का उर्दू में अनुवाद करने की अनुमति देने का अनुरोध किया तो स्वामी…