ऋषि दयानन्द जी का संन्यासियों को उनके कर्तव्यबोध विषयक उपदेश - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
जो वेदान्त अर्थात् परमेश्वर प्रतिपादक वेदमन्त्रों के अर्थज्ञान और आचार में अच्छे प्रकार निश्चित संन्यासयोग से शुद्धान्तःकरणयुक्त संन्यासी होते हैं, वे परमेश्वर में मुक्ति सुख को प्राप्त होके भोग के पश्चात्, जब मुक्ति में सुख की अवधि पूरी हो जाती है, तब वहां से छूट कर संसार में आते हैं।…