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ऋषि वेलेण्टाइन को प्रणाम - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
हमारा देश अपने मूल स्वरूप में रूढि़वादियों या परंपराओं का देश तो नही है पर यहां भेड़चाल बहुत चलती है। लोग बिना इस बात का आगा-पीछा देखे और बिना ये सोचे-समझे कि अमुक परंपरा का क्या उद्देश्य है या वह क्यों प्रचलित की गयी-उसकी लकीर पीटते रहते हैं। जब किसी…