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बढ़ती असमानता : बारूद के ढ़ेर जैसी खतरनाक - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
डॉ.किशन कछवाहा सत्ता का एक बड़ा पक्ष होने के नाते यह आशा की जाती है कि कांग्रेस लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में विश्वास रखे। लेकिन उसके व्यवहार से जनता को कभी यह आभास नहीं होता कि उसका परस्पर बातचीत में विश्वास है। गत एक वर्ष के दौरान घटी घटनाओं से तो यही…