नवीन का संस्कार सुरक्षा बिल

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navin patnaikएल आर गाँधी 

राजमाता और उनके दरबारी तो गरीबी रेखा मापने की माथापच्ची में ही   उलझे थे। क़ोइ १२/- में गरीब को भरपेट खाना परोस रहा था और कोई ५/- और १/- में गरीब का पेट  भर रहा था  …. राजमाता १४ में नयी ताजपोशी से पहले ‘खाद्य सुरक्षा ‘बिल पास करवा कर गरीबों को भूख से निश्चिन्त सुखी जीवन जीने का सपना परोसने की जुगाड़ में लगी थीं कि देश के सबसे पिछड़े राज्य जहाँ सबसे अधिक 57. २ % गरीब नारकीय जीवन जी रहे हैं  …क़े सुलतान नवीन पटनायक ने चुनाव से पहले जीते जी मरने की चिंता में जी रहे ओड़िसा के बिलो पावर्टी लाईन पूअर्ज़  को मरने के बाद की चिंता से मुक्त कर दिया। …।

आजमाता के खाद्य सुरक्षा से पहले , एक नया बिल ला कर , ओड़िसा के सुलतान तो मानो बाज़ी मार ले गए  …. नए बिल को सतयुग के महान सत्यवादी सम्राट हरिश्चंदर सहायता ‘नाम’ दिया गया  … अपनी सत्यनिष्ठा और धर्म परायण प्रतिबध्त्ता के चलते सम्राट अपने मृत पुत्र का संस्कार नहीं कर पाए थे  … मगर इस कलयुग में कोई भी तुच्छ से तुच्छ प्राणी  सुलतान नवीन पटनायक के राज्य में अंतिम संस्कार से वंचित नहीं रह पाएगा  … अब अंतिम संस्कार की सारी ज़िम्मेदारी नवीन सुल्तान की सेकुलर सरकार की होगी  … सी एम् कोष से फंड जारी का दिए गए हैं  … सरपंच १००० -२००० तक और एम् सी चेयरमैन १००० – ३००० तक की सहायता जारी कर सकेगा  ….
इसक साथ ही केंद्र और राज्य के  मोंटेक सिंह के नियोजित आंकड़े भी ‘स्पष्ट’ हो जाएंगे  … गरीबी रेखा से नीचे जी रहे लोग ही मरने पर ‘नवीन’ संस्कार राशी का लाभ पा पाएंगे  … और यह राशी पीले कार्ड धारक स्वर्गवासी को ही मिलेगी  ….
चलो जीते जी सम्मान से जीने का हक़ तो नहीं मिल पाया  … कम से कम मरने के बाद अंतिम संस्कार का अधिकार तो मिला चाहे राजकोषीय भीख सी ही सही।
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एल. आर गान्धी
अर्से से पत्रकारिता से स्वतंत्र पत्रकार के रूप में जुड़ा रहा हूँ … हिंदी व् पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है । सरकारी सेवा से अवकाश के बाद अनेक वेबसाईट्स के लिए विभिन्न विषयों पर ब्लॉग लेखन … मुख्यत व्यंग ,राजनीतिक ,समाजिक , धार्मिक व् पौराणिक . बेबाक ! … जो है सो है … सत्य -तथ्य से इतर कुछ भी नहीं .... अंतर्मन की आवाज़ को निर्भीक अभिव्यक्ति सत्य पर निजी विचारों और पारम्परिक सामाजिक कुंठाओं के लिए कोई स्थान नहीं .... उस सुदूर आकाश में उड़ रहे … बाज़ … की मानिंद जो एक निश्चित ऊंचाई पर बिना पंख हिलाए … उस बुलंदी पर है …स्थितप्रज्ञ … उतिष्ठकौन्तेय

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