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 ऋतुराज बसन्त - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
सखि,बसन्त आ गया । धरती पर छा गया ।। ख़ुशियाँ बरसा गया । सबके मन भा गया ।। सरसों से खेत सजे। सबका मन मोह रहे।। आमों में बौर लदे । कुहू कुहू भली लगे ।। बाग़ों में फूल खिले । भौंरे हैं झूम चले ।। मन्द मन्द पवन चली…