अविकसित मानव बच्चों की कहानियां (6)
डा. राधे श्याम द्विवेदी
ट्रायन कलन्दर रोमानिया देश का रहने वाला लड़का था। उसके पिता उसे तथा उसकी मां को मानते नहीं थे तथा हमेशा मां को परेशान करते रहते थे। पिता से पुत्र के जान का खतरा समझकर मां ने उसको घरेलू हिसा के कारण छोड दिया था। वह 3 साल तक अपने मां बाप से अलग रहां । एक पालिथीन के गत्ते के डिब्बे में उसे आश्रय ले लिया था। जहां नग्न रहते हुए वह उसी डिब्बे में गर्मी व सर्दी से अपने को बचाता रहा। अवारा कुत्तों से उसकी दोस्ती भी हो गई थी। वे जो कुछ मुंह में भरकर लाते वह उसे खाकर जिन्दा रहने लगा था।
उसकी जैविक मां का नाम लीना था जो उसे बहुत प्यार करती थी। लीना उसके लिए बहुत चिंतित रहती थी। मां को यकीन था कि उसका लड़का अवश्य जिन्दा है और एक न एक दिन अवश्य मिल जाएगा। वह किसी परिवार द्वारा अपनाये जाने की संभावना पर यकीन कर रही थी। अपने पति की मर्जी के बिना भी वह ट्रायन के खोज में लगी रही।
घर से विछुड़ने के बाद उसकी देखभाल जंगली कुत्तो ने की थीं। उसके शरीर का मानवोचित विकास नहीं हुआ था। वह आंशिक रूप से कुत्तो द्वारा खा भी लिया गया था। वह सूखा रोग, कुपोषण, रिकेट,संक्रमित घाव तथा चलने फिरने में भी बहुत कमजोर हो गया था। वह अपनी बुद्धिबल तथा ईश्वर के रहम करम पर जीवित रहा। उसे कोई मानवीय सहायता नहीं मिल पायी थी। उसे जब संरक्षण में लिया गया तो वह विस्तर पर सोने के बजाय खाट के नीचे सोना पसन्द करता था। वह बहुत भूखा था। चिड़चिड़ा हो गया था। उसे उसके दादा के देखभाल में रखा गया उसने प्राथमिक स्कूल में जाना शुरू कर दिया है। वह बोलने में असमर्थ था।
वह 2002 में ब्रासोव रोमानिया में पाया गया था उस समय उसकी उम्र 7 साल थी। वह मनालेसू इवान नामक एक चरवाहे के कार के पास देखा गया था। वह काफी कमजोर हो चुका था। इवान ने उसे अपने कब्जे में ले लिया था। उसने उसके इस हालत में मिलने की सूचना इलाकाई पुलिस को दी थी। ट्रायन चिम्पाजी की तरह टेढी चाल से चलता था। वह मानव बालक की तरह आचरण नहीं कर रहा था। उसकी सारी गतिविधियां जानवरों जैसी थी। उसे सामाजिक वातावरण नसीब नहीं हुआ था। वह भोजन भी नहीं करता था। जब उसे खिलाने की कोशिस की जाती थी तो वह बार बार उत्तेजित हो जाया करता था।