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ग्रामीण किशोरियां आज भी माहवारी में कपड़े इस्तेमाल करती हैं - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
निशा साहनीमुजफ्फरपुर, बिहार संकुचित सोच के कारण आज भी समाज में माहवारी को अभिशाप माना जाता है. हालांकि यह अभिशाप नहीं बल्कि वरदान है. आज भी समाज महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बारे में बातचीत करने में झिझक महसूस करता है. जबकि मासिक धर्म के बिना गर्भधारण असंभव है. मानव…