ईसाईयत मतांतरण के विरुद्ध असंख्य सनातन प्रहरियों की बलि

0
169

दिव्य अग्रवाल

सनातन प्रहरियों के विरुद्ध प्रपंच कर उन्हें कारावास भेजना व् सनातन धर्म को अपमानित करने का प्रयत्न करना कोई नयी बात नहीं है । कांग्रेस के शासन काल में अनेको ऐसी घटनाये हैं जिसमें ईसाईयों द्वारा किए जा रहे हिन्दुओ के  मतांतरण को रोकने के विरुद्ध अनेको हिन्दुओ पर निराधार मुकदमें लगाए गए जिसमें कुछ लोग आज तक कारावास काट रहें है तो कुछ को मोदी सरकार शासन काल में  न्याय मिलने में सफलता प्राप्त हुई है। उड़ीसा के दारा सिंह आज की युवा पीढ़ी को शायद ही स्मरण होंगे जो 1999 से आज तक कारवास में हैं । जिनका दोष इतना की वो  सनातन धर्म का निर्वहन करते हुए मतांतरण कराने वाली  ईसाईयत के विरुद्ध खड़े थे । इसके अतिरिक्त हिन्दुओ को आतकवादी घोषित करने का भी षड्यंत्र रचा गया जिसमें ‘साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, स्वामी अमृतानंद , स्वामी असीमानंद, धनंजय देसाई आदि को न सिर्फ कारावास भेजा गया अपितु अमानवीय प्रताड़ना तक भी दी गयी । भारत की भूमि का अस्तित्व ही सनातन धर्म है जिस पर इस्लामिक व्  ईसाईयत के प्रहार निरंतर होते रहे हैं । इसी क्रम में अब वामपंथियों व  ईसाईयत के इकोसिस्टम ने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेन्द्र शास्त्री को अपने निशाने पर ले लिया है । धीरेन्द्र शास्त्री उन आदिवासी  व् गरीब हिंदुओं की निरंतर मदद कर रहे हैं जिनको प्रलोभन देकर व उनकी आर्थिक मजबूरी का लाभ उठाकर  ईसाईयत ने उनका मतांतरण कर दिया था । इसके अतिरिक्त धीरेन्द्र शास्त्री प्रभु श्री राम , माता सीता व प्रभु श्री हनुमान जी के आदर्श व उनकी शक्ति का व्याख्यान कर सनातनियो को उनके धर्म की सत्यता व स्वीकार्यता का भी बोध करा रहे हैं ।  जिससे पिछले कुछ समय में ही मतांतरण का मकड़ जाल कटता जा रहा है ।  कुछ लोग धीरेन्द्र शास्त्री जी की शक्ति के चमत्कार को आडंबर बताकर पूरे सनातन को अपमानित करना चाहते हैं तो इसका व्यक्तिगत प्रमाण तो वही लोग दे सकते हैं जिन्होंने बागेश्वर धाम जाकर ऐसा कुछ अनुभव किया हो । रही बात श्री हनुमान जी की शक्ति की तो बजरंग बाण में, *भूत, प्रेत, पिशाच निसाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर एवं  हनुमान चालीसा में , भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे* जैसी प्रमाणित चौपाईयों की  सत्यता को तुलसी बाबा पहले ही अंकित कर चुके हैं । इसके अतिरिक्त इन चौपाइयों की सत्यता का अनुभव राजस्थान के श्री मेहंदीपुर बाला जी धाम में भी सार्वजनिक रूप से किया जा सकता है । परन्तु यह मानसिक अपाहिजता ही तो है जो मुर्दा कब्रों पर चादर चढ़ाने व् लोहे की कीलों पर लटके हुए व्यक्ति के समक्ष मोमबत्ती जलाने को चमत्कारिक शक्ति व्  सनातन धर्म की प्राकृतिक व् वैज्ञानिक  शक्ति को आडंबर समझा जा रहा  है । अतः सभ्य समाज को स्वयं समझना होगा की जब जब सनातन की रक्षा, व  प्रचार प्रसार करने हेतु कुछ लोग अपना पुरुषार्थ करते हैं तो उनके विरुद्ध वैश्विक स्तर पर षड्यंत्र क्यों व किन लोगों द्वारा किए जाता है ।

दिव्य अग्रवाल

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here