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अंधों की बस्ती में चश्मे की बिक्री - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
हिन्दी शिक्षकों को निरंतर लिखने वाले से खास तरह की एलर्जी है। वे यह कहते मिल जाते हैं कि फलां का लिखा अभी तक इसलिए नहीं पढ़ा गया या विवेचित नहीं हुआ क्योंकि जब तक उनकी एक किताब पढकर खत्म भी नहीं हो पाती है तब तक दूसरी आ जाती…