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शाहजहांपुर की शेरनी के जज्बे को सलाम - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
अनिल अनूप एक पंक्ति गुनगुना कर लिखना पड़ रहा है ये पंक्तियां शाहजहांपुर की बहादुर बिटिया पर बिल्कुल सटीक बैठती है "अंबे है मेरी मां जगदंबे हैं मेरी मां ,तू है मेरी मां----। नारी और बेटी घर की देवी होती है ।नारी की सहनशीलता का कोई भी मूल्यांकन नहीं कर…