सामाजिक चेतना का अग्रदूत: मन की बात

सकारात्मक बदलाव लाती ”मन की बात”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पदभार सँभालने के बाद से ही जनमानस से जुड़ाव की कई सकारात्मक कोशिशें की हैं। मन की बात कार्यक्रम में आमजन से संवाद करना, ऐसा ही एक प्रभावी कदम रहा। प्रधानमंत्री का यह कार्यक्रम न केवल लोकप्रिय बना बल्कि आमजन को जागरूक करने में भी अहम् भूमिका निभाई। इस मासिक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने वाकई मन की बात की जिसका सीधा प्रसारण रेडियो,  दूरदर्शन और सभी एफएम चेनल करते हैं। आमजन से जुड़े कई मुद्दों पर देश की जनता से संवाद किया। पीएम के इसी संवाद की चिंतनशील कड़ियों को शब्दों में संजोने का काम किया है लेखक सिद्धार्थ शंकर गौतम ने। इस जनसंवाद का सबसे बड़ा पहलू है सामाजिक जनजागरूकता से जुड़ा भाव, जो निःसंदेह उस उद्देश्य में सफल भी हुआ जिसे लेकर पीएम् मोदी ने इस जनसंवाद की शुरुआत की थी। लेखक ने भी इसी उद्देश्य से 20 अध्यायों में प्रधानमंत्री की आमजन से की गई मन की बात के सकारात्मक बदलावों को लिपिबद्ध किया है, जो एक संग्रहणीय दस्तावेज बन गया है। यकीनन लोककल्याण से जुड़े इस जनसंवाद का यह किताबी रूप भावी पीढ़ियों के लिए सहेजने योग्य है।

 

2014 में स्वच्छ भारत अभियान के विषय पर पहली बार प्रधानमंत्री मोदी ने जनसंवाद किया।  उन्होंने स्वच्छता का सन्देश देते हुए इसके महत्व को रेखांकित किया और अपने विचार साझा किये जिन्हें लोगों ने सुना और अपना समर्थन भी दिया। मन की बात के जरिये स्वच्छता को जनांदोलन बनाने में प्रधानमंत्री बहुत हद तक सफल भी रहे जिसका असर हमारे परिवेश में भी  दिखाई देने लगा है। प्रधानमंत्री के इस पहले जनसंवाद का का उद्देश्य 2019 तक महात्मा गाँधी के स्वच्छ भारत के सपने को धरातल पर उतारने का है। सफाई से जुड़े ही अगले अध्याय में ‘खुले में शौच से मुक्त होता भारत’ में भी स्वच्च्छता से सम्बनधित बातें शामिल हैं। पीएम् मोदी के जनसंवाद प्रोग्राम का दूसरा अहम् विषय यही था जो केवल सफाई से नहीं आमजन के स्वास्थ्य से भी जुड़ा है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि लेखक ने न केवल प्रधानमंत्री के संवाद को शब्दों में उकेरा है बल्कि इन विषयों से जुड़े आंकड़े देते हुए हकीकत से अवगत भी कराया है। यह लेखा-जोखा इस बात को पुख्ता करता है कि जिन विषयों को देश के शीर्ष नेतृत्व ने मन की बात कार्यक्रम में जनसंवाद का हिस्सा बनाया, उनपर बात किया जाना कितना आवश्यक है। अब तक ऐसे विषय अछूत बने रहे हैं जिनपर प्रधानमंत्री ने खुलकर बात की और आमजन की सलाह भी मांगी।  ‘खादी को मिली सामाजिक स्वीकार्यता’, ‘नशे की समस्या पर संज्ञान: एक सरहानीय पहल’, ‘पास नहीं सफल होने के लिए अर्जित करें ज्ञान’, ‘योग को मिली वैश्विक पहचान’, ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ : एक सामाजिक पहल’, ‘सड़क सुरक्षा पर जागरूकता अभियान’,  ‘अंगदान महादान पर चर्चा: मानवीय संवेदना’, ‘दिव्यांग नाम देकर किया जीवन सार्थक’, ‘जल संचय को लेकर बढ़ी जागरूकता’, ‘जल संचय को देनी होगी प्राथमिकता’, ‘प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान : गर्भवती महिलाओं के लिए वरदान’, ‘खेलों में नए स्तर पर पहुंचाएगी यह नई सोच’, ‘कश्मीर समस्या के लिए एकता और ममता को बताया मूलमंत्र’, ‘सेना का हर जवान भारत रत्न है’ जैसे अध्यायों में प्रधानमंत्री के उन विचारों को शब्दों में उकेरा गया है जो उन्होंने मन की बात कार्यक्रम के जरिये आमजन से बांटे हैं। सभी अध्याय पठनीय हैं क्योंकि ये हर विषय हमारी बुनियादी जरूरतों, मानवीय भावनाओं, देश के मान, सामुदायिक स्वास्थ्य और विकास को गति देने वाले कारकों से जुड़े हैं। लेखक ने इन्हें विश्लेषित करते हुए इनका और गहरे से विवेचन किया है जिसके चलते ये समस्याएं अपने सही रूप ने न केवल समझ आती हैं बल्कि इनकी गंभीरता भी पता चलती है।

 

निश्चित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किये गए इस मौखिक संवाद को लेखक ने न केवल लिपिबद्ध किया है बल्कि हर उस विषय की गहराई से पड़ताल भी की है, जिसपर संवाद किया गया है। सभी विषयों से जुड़े उदाहरण और आंकड़े इस जनसंवाद में आमजन की बुनियादी जरूरतों और मानवीय संवेदनाओं से जुड़े हर विषय को पठनीय और मनन करने योग्य बनाते हैं। यही वजह है कि यह पुस्तक एक सन्दर्भ स्रोत के रूप में पाठक के हाथ में आती है। यही वजह है कि यह लिपिबद्ध जनसंवाद देश एक आम नागरिकों के लिए ही नहीं नीति निर्माताओं के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा। जनमानस से जुड़ी समस्याओं पर विस्तार से चर्चा करती यह किताब एक पठनीय संकलन के रूप में देखी जा सकती है क्योंकि इसमें लेखक सिद्धार्थ शंकर गौतम ने मन की बात कार्यक्रम के संस्करणों  का संकलन करने भर का काम नहीं किया है। इसमें विषयगत विश्लेषण भी शामिल है। ऐसे कई उदाहरणों को भी शामिल किया है जो बताते हैं कि लोगों ने पीएम के विचारों को आत्मसात भी किया है। तभी तो देश एक हर हिस्से के लोग ना केवल स्वच्छता अभियान का हिस्सा भी बने बल्कि  सीमा पर तैनात सैनिकों को संदेश भेजने में भी पीछे नहीं रहे। सड़क सुरक्षा के प्रति सचेत होना हो या दिव्यांगों को लेकर मानवीय और सम्माननीय सोच अपनाने का पहलू, यह जनसंवाद सही मायने में जनमानस में बदलाव का आधार बना। ‘मन की बात- सामाजिक चेतना का अग्रदूत, किताब को पढ़ते हुए जन सामान्य की तकलीफों सही विश्लेषण के साथ को समझना आमजन से मिले सहयोग के बारे में जानना एक सुखद अहसास है।

 

देश एक शीर्ष नेतृत्व का आमजन से जुड़ना जरूरी है लेकिन भारत जैसी विशाल जनसंख्या वाले देश में लोगों से संवाद करना और जन कल्याण के मुद्दों पर विचार रखना और आमजन की राय लेना आसान काम नहीं था। प्रधानमंत्री मोदी ने नियमित जनसंवाद कर इसकी एक सकारात्मक शुरुआत की। इसी  तरह लेखक ने जिस तरह मन की बात कार्यक्रम के संस्करणों में शामिल विषयों को विश्लेषित किया है, वो यह पुख्ता करता है कि ये सार्वजनिक समस्यायें कितनी गहराई से जड़ें जमाये हैं फिर बात चाहे नशे की समस्या की हो या दिव्यांगों के प्रति होने वाले भेदभाव और असंवेदशील व्यवहार की। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी पहल का ज़िक्र हो या सरहद पर तैनात सैनिकों की फ़िक्र, लेखक ने हर विषय को विस्तार से समझाने की कोशिश की है जिसमें वे बहुत हद तक सफल भी रहे हैं। जिस तरह पीएम् की मौखिक रूप से मन की बात आमजन तक पहुंची, विश्वास है कि उसका लिपिबद्ध रूप भी जन साधारण के मन तक राह बना पायेगा।
– डॉ. मोनिका शर्मा

हाल ही मेरी छठवीं पुस्तक ”सामाजिक चेतना का अग्रदूत: मन की बात” प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित होकर आई है जिसका लोकार्पण भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह जी द्वारा किया गया। : सिद्धार्थ शंकर गौतम 

Previous articleअब यूपी में होगा धार्मिक पर्यटन का विकास
Next article“समान नागरिक संहिता” क्यों आवश्यक है…? 
सिद्धार्थ शंकर गौतम
ललितपुर(उत्तरप्रदेश) में जन्‍मे सिद्धार्थजी ने स्कूली शिक्षा जामनगर (गुजरात) से प्राप्त की, ज़िन्दगी क्या है इसे पुणे (महाराष्ट्र) में जाना और जीना इंदौर/उज्जैन (मध्यप्रदेश) में सीखा। पढ़ाई-लिखाई से उन्‍हें छुटकारा मिला तो घुमक्कड़ी जीवन व्यतीत कर भारत को करीब से देखा। वर्तमान में उनका केन्‍द्र भोपाल (मध्यप्रदेश) है। पेशे से पत्रकार हैं, सो अपने आसपास जो भी घटित महसूसते हैं उसे कागज़ की कतरनों पर लेखन के माध्यम से उड़ेल देते हैं। राजनीति पसंदीदा विषय है किन्तु जब समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का भान होता है तो सामाजिक विषयों पर भी जमकर लिखते हैं। वर्तमान में दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, हरिभूमि, पत्रिका, नवभारत, राज एक्सप्रेस, प्रदेश टुडे, राष्ट्रीय सहारा, जनसंदेश टाइम्स, डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट, सन्मार्ग, दैनिक दबंग दुनिया, स्वदेश, आचरण (सभी समाचार पत्र), हमसमवेत, एक्सप्रेस न्यूज़ (हिंदी भाषी न्यूज़ एजेंसी) सहित कई वेबसाइटों के लिए लेखन कार्य कर रहे हैं और आज भी उन्‍हें अपनी लेखनी में धार का इंतज़ार है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here