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कहानी / सामञ्जस्य - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मानिक बन्द्योपाध्याय भीतर और बाहर से गम्भीर होकर उस दिन प्रमथ घर लौटा। बहुत दिनों के बाद आज वह गहरी शान्ति महसूस कर रहा है, परम मुक्ति का स्वाद आज उसे मिला है। सोचविचार कर, भावना चिन्ता कर मन स्थिर कर पाने के बाद ही आश्चर्यजनक रूप से उसका मन…