सांस्कृतिक स्वतंत्रता की आहट…

राजनैतिक रूप से स्वतंत्र हुए आज देश को 72 वर्ष हो चुकें है, परन्तु सम्भवतः किसी भी प्रधानमन्त्री ने सत्ता के मोह में होने के कारण इतना साहस नहीं किया होगा कि वह सार्वजनिक रूप से भारतीय संस्कृति का गुणगान करते हुए भारतीय समाज में स्वाभिमान जगाते। मथुरा में एक कार्यक्रम (11.9.19) के अवसर पर जब हमारे वर्तमान सशक्त प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने ओजस्वी सम्बोधन में भारतीय संस्कृति के आधार स्तंभों के  “ऊँ” और “गाय” को जोड़ा तो हृदय भाव विभोर हो उठा।उन्होंने विपक्ष पर प्रहार करते हुए कहा कि ” ‘ॐ’ शब्द सुनते ही कुछ लोगों के कान खड़े हो जाते हैं, कुछ लोगों के कान में  ‘गाय’ शब्द पड़ता है तो उनके बाल खड़े हो जाते हैं, उनको करंट लग जाता है….ऐसे लोगों ने देश को बर्बाद कर रखा है।”  मोदी जी के इस वक्तव्य ने देश-विदेश में रहने वाले सभी भारतभक्तों को प्रफुल्लित करके उनको अपने नेतृत्व की दृढ़ता का पुनः परिचय कराया। अंततः राष्ट्र के सांस्कृतिक मूल्यों को स्थापित करना या उसके लिए प्रयास करना भी राष्ट्रीय नेतृत्व का एक मुख्य दायित्व बनता है।

दशकों से देश में “हिन्दू मन की बात करना” या “हिन्दुओं के हित में कार्य करने” को साम्प्रदायिक व संकीर्ण बुद्धि वाला बता कर उपहास उड़ाया जाता रहा है। ऐसे अनेक राष्ट्रवादी प्रबुद्ध विद्वानों व महानायकों की अवहेलना व अवमानना करके हिन्दुओं को चिढ़ाना एक फैशन बन चुका था। हमारे पूज्नीय ग्रंथो व देवी-देवताओं को मिथ्या बता कर राष्ट्रवादी समाज को भ्रमित करने वालों को प्रगतिशील माना जा रहा था। हमारी गौरवशाली व जीवनदायिनी  सत्य सनातन संस्कृति पर आक्रान्ताओं की संस्कृति को थोपने के लिए न जानें कितने षडयंत्र चलाये जाते है?विदेशी धन के बल पर समाज सेवा के नाम पर गठित हज़ारों स्वयं सेवी संगठनों ने अपने कुप्रयासों से भारतीयता को दूषित करने के लिए हर संभव कार्य किये। माननीय मोदी जी ने अपने पूर्व कार्यकाल में ऐसे हज़ारों राष्ट्रविरोधी व धर्मद्रोही संगठनों की पूर्णतः जांच पड़ताल करके उनको प्रतिबंधित किया है। यह भी भारतीय संस्कृति की रक्षार्थ एक जटिल परंतु अति महत्वपूर्ण कार्य था। वैश्विक जिहाद के रक्तरंजित वातावरण में राष्ट्र के गौरव को “योग साधना”  द्वारा विश्व में स्थापित करके हमारे प्रधानमन्त्री मोदी जी ने भारतीय संस्कृति के प्रति पूर्णतः समर्पण का भाव अपने पूर्व कार्यकाल में ही दे दिया था।

आज हमारा यह भी सौभाग्य है कि जम्मू-कश्मीर को उसके विकास में अवरोधक बने प्रतिबंधों से मुक्त कराने वाले हमारे ऊर्जावान गृह मंत्री श्री अमित शाह जी ने ‘हिंदी दिवस’ पर अपने मन की बात कह कर सबके मनों को जीत लिया। भारत की संस्कृति का मूल आधार हिंदी भाषा को अपना कर सम्पूर्ण राष्ट्र को एक सूत्र में पिरो कर राष्ट्रीय पहचान को विकसित करने का प्रयास होना ही चाहिये। कुछ विरोधी पक्ष व दक्षिण राज्यों के नेता गणों ने अपनी-अपनी राजनीति के कारण इसका विरोध अवश्य किया है परंतु आज देशवासियों को इसकी महत्ता समझ में आ रही है। हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं के उचित सम्मान से भी भारत का स्वाभिमान अवश्य जागेगा। क्योंकि राष्ट्रीय मूल्यों की अज्ञानतावश आज भी अंग्रेजी के साथ साथ कुछ अन्य विदेशी भाषाओं का चलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है। अपनी मातृभाषा के प्रति विमुख रहने के कारण विद्यार्थियों को कितना अधिक परिश्रम करना पड़ता है इस पर अवश्य विचार होना चाहिये। निःसंदेह इस तथ्य को झुठलाया नहीं जा सकता कि किसी भी विषय का ज्ञान विदेशी भाषा के स्थान पर अपनी भाषा में अर्जित करना अत्यंत सरल होता है।

हम व हमारे पितामाह आदि वर्षों से प्रातः “नमस्ते सदा वत्सले मातृ भूमि…”  के सारगर्भित व उत्साहवर्धक गायन से प्रेरित होकर देश की धार्मिक व सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के लिए सतत्  सक्रिय रहते रहे हैं। ऐसे में वर्तमान राष्ट्रवादी शासन द्वारा हिन्दुओं में अहिंसा व उदारता के साथ साथ वीरता और तेजस्विता का भाव उनमें स्वाभिमान जगा रहा है। सांस्कृतिक स्वतंत्रता की आहट से युवाओं में शूरवीरता का संचार हो रहा है। देश-विदेश में भारतीय संस्कृति की रक्षार्थ सतत् संघर्ष करने वाले करोड़ों हिन्दुओं का मनोबल बढ़ने से उनका सम्मान भी बढ़ा है।

राजनैतिक रूप से स्वतंत्र होने के उपरान्त भी भारतीय संस्कृति पर निरन्तर आघात होते रहने से हमारी सांस्कृतिक स्वतंत्रता स्वार्थी व दास मनोवृत्ति की बेड़ियों में जकड़ी होने के कारण सदैव चिंता का विषय बनी रही। परंतु आज चिंतित देशवासियों में यह विश्वास जगने लगा है कि वर्तमान निर्णायक शासकीय नेतृत्व में इन बेड़ियों को तोड़ने की दृढ़ इच्छाशक्ति है। अतः वर्षो उपरान्त करोड़ों राष्ट्रभक्तों के अस्तित्व व सत्य सनातन वैदिक धर्म और सस्कृति की रक्षार्थ आक्रामक व सक्षम नेतृत्व के होने से ही सांस्कृतिक स्वतंत्रता की आहट हुई है।

विनोद कुमार सर्वोदय

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here