नहीं कामपर बर्तन वाली
दो दिन से आई
इसी बात पर पति देव पर
पत्नि चिल्लाई
काम वालियां कभी समय
पर अब न आ पातीं
न ही ना आने का कारण
खुलकर बतलातीं
बिना बाइयों के घर तो
कूड़ाघर हो जाता
बड़ी देर से कठिनाई से
सूर्य निकल पाता
छोटी बच्ची गिरी फिसल कर
सभटल नहीं पाई
बिना बाई के कौन पतीली
चाय भरी धोये
श्रीमान तो ओढ़ तान कर
बहुत देर सोये
खाना कैसे बनेगा घर में
बर्तन नहीं धुले
कमरों के सब फर्श अभी तक
गंदे बहुत डले
घर के छोटे बड़े सभी को
चाय न मिल पाई
गुडिया को जाना है शाला
टिफिन न बन पाया
कहां नाश्ता कहां दूध है
सब घर चिल्लाया
पानी गरम कहां से होगा
दादा चिल्लाये
दादी की हुंकार सुनी तो
पापा घबराये
नहीं किसी को बाई की
लापरवाही भाई