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कहो कौन्तेय-४३
विपिन किशोर सिन्हा (दुर्वासा-संकट का समाधान) प्रिय सखी स्मरण करे और श्रीकृष्ण उपस्थित न हों, यह कैसे संभव था? इधर स्तुति समाप्त हुई, उधर श्रीकृष्ण नेत्रों के सामने। आनन्दातिरेक के कारण द्रौपदी के नेत्रों से पुनः पुनः अश्रु छलक पड़े। स्वागत एवं चरण-वन्दना के पश्चात उसने दुर्वासा मुनि के आगमन…