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कहो कौन्तेय-५२
विपिन किशोर सिन्हा (पाण्डवों द्वारा हस्तिनापुर को दूत भेजना) विश्वास ही नहीं होता था कि हमने वनवास के बारह वर्ष और अज्ञातवास का एक वर्ष लगभग निर्विघ्न पूरा कर लिया। वैसे भी समय और सागर की लहरें किसकी प्रतीक्षा करती हैं? दोनों अपनी गति से आगे बढ़ते जाते हैं। जो…