राष्ट्र के वैभव का परिचायक है विज्ञान

वास्तविक ज्ञान ही विज्ञान है।प्राकृतिक विज्ञान प्रकृति और भौतिक दुनिया का व्यवस्थित ज्ञान होता है,या फ़िर इसका अध्ययन करने वाली इसकी कोई शाखा। असल में विज्ञान शब्द का उपयोग लगभग हमेशा प्राकृतिक विज्ञानों के लिये ही किया जाता है। इसकी तीन मुख्य शाखाएँ हैं : भौतिकी,रसायन शास्त्र और जीव विज्ञान। रसायन का वास्तविक ज्ञान,रसायन विज्ञान है। भौतिकी का वास्तविक ज्ञान,भौतिक विज्ञान है। जीव का वास्तविक ज्ञान,जीव विज्ञान है। कृषि का वास्तविक ज्ञान,कृषि विज्ञान है। खाद्य का वास्तविक ज्ञान,खाद्य विज्ञान है। दुग्ध का वास्तविक ज्ञान दुग्ध विज्ञान है। आदि ऐसे अनेक क्षेत्रों में विज्ञान है। रसायन,भौतिकी,जीव-जंतु ,कृषि,खाद्य,दुग्ध,आदि अनेक क्षेत्रों के वास्तविक ज्ञान से राष्ट्रहित संभव है। विज्ञान में जो महारथ हासिल कर ले वो वैज्ञानिक है। वो विज्ञान जो अविष्कार या खोज के द्वारा विश्व पटल पर चरितार्थ हो,राष्ट्रीय विज्ञान कहलाता है। भारत देश में अनेक वैज्ञानिक हुए जो विज्ञान के क्षेत्र में अनेक शोध या अविष्कार किये। उनकी यही खोज या अविष्कार,राष्ट्र को विश्व पटल पर चरितार्थ करता है। अतएव हम कह सकते हैं की ऐसा विज्ञान जो राष्ट्र को विश्व पटल पर चरितार्थ करे,वो राष्ट्रीय विज्ञान है। भारत में राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वावधान में सन् 1986 से प्रति वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (नेशनल साइंस डे) मनाया जाता है। प्रोफेसर सी वी रमन (चंद्रशेखर वेंकटरमन) ने सन् 1928 में कोलकाता में इस दिन एक उत्कृष्ट वैज्ञानिक खोज की थी,जो ‘रमन प्रभाव’ के रूप में प्रसिद्ध है। रमन की यह खोज 28 फरवरी 1930 को प्रकाश में आई थी। इस कारण 28 फरवरी राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस कार्य के लिए उनको 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस दिवस का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकर्षित करना,प्रेरित करना तथा विज्ञान एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों के प्रति सजग बनाना है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस देश में विज्ञान के निरंतर उन्नति का आह्वान करता है,परमाणु ऊर्जा को लेकर लोगों के मन में कायम भ्रातियों को दूर करना इसका मुख्य उद्देश्य है तथा इसके विकास के द्वारा ही हम समाज के लोगों का जीवन स्तर अधिक से अधिक खुशहाल बना सकते हैं। रमन प्रभाव में एकल तरंग- धैर्य प्रकाश (मोनोक्रोमेटिक) किरणें जब किसी पारदर्शक माध्यम ठोस,द्रव या गैस से गुजरती है तब इसकी छितराई किरणों का अध्ययन करने पर पता चला कि मूल प्रकाश की किरणों के अलावा स्थिर अंतर पर बहुत कमजोर तीव्रता की किरणें भी उपस्थित होती हैं। इन्हीं किरणों को रमन-किरण भी कहते हैं। भौतिक शास्त्री सर सी वी रमन एक ऐसे महान आविष्कारक थे,जो न सिर्फ लाखों भारतीयों के लिए बल्कि दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। यह किरणें माध्यम के कणों के कम्पन्न एवं घूर्णन की वजह से मूल प्रकाश की किरणों में ऊर्जा में लाभ या हानि के होने से उत्पन्न होती हैं। रमन किरणों का अनुसंधान की अन्य शाखाओं जैसे औषधि विज्ञान,जीव विज्ञान,भौतिक विज्ञान,खगोल विज्ञान तथा दूरसंचार के क्षेत्र में भी बहुत महत्व है।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस(नेशनल साइंस डे) सत्र 2021 ई. का प्रसंग (थीम) है – “एस टी आई का भविष्य : शिक्षा कौशल और कार्य पर प्रभाव ” (फ्यूचर ऑफ़ एस टी आई : इम्पैक्ट्स ऑन एजुकेशन,स्किल्स एंड वर्क)। एस टी आई का तात्पर्य – साइंस(विज्ञान),टेक्नोलॉजी(प्रौद्योगिकी) और इनोवेशन(नवाचार) से है। यह विषय शिक्षा,कौशल और कार्य पर विज्ञान,प्रौद्योगिकी और नवाचार के भविष्य में पड़ने वाले प्रभाव पर प्रकाश डालता है। मुंशी प्रेमचंद ने क्या खूब कहा है -“विज्ञान में इतनी विभूति है कि वह काल के चिह्नों को भी मिटा दे।” विज्ञान किसी भी राष्ट्र के वैभव का परिचायक होता है। विज्ञान में ढेर सारी खूबियां होती है जो राष्ट्र को प्रगति के पथ पर अग्रसर करता है। कहावत है – ‘आवश्यकता अविष्कार की जननी है’ अर्थात जब हमें किसी चीज़ की बहुत जरुरत पड़ती हैं और अगर हम उस विशिष्ट चीज़ के बिना खुश नहीं रह सकते हैं या जीवित नहीं रह सकते हैं तो हम उस आवश्यकता को पूरा करने के तरीके खोजते हैं जिसके परिणामस्वरूप नई चीज़ का अविष्कार होता है। अविष्कारों ने विज्ञान को जन्म दिया। अविष्कार अर्वाचीन (नए) को जन्म देता है। प्राचीन को अर्वाचीन (नए) में बदलने की शक्ति विज्ञान में है। शिक्षा से विज्ञान,कौशल से प्रौद्योगिकी और कार्य से नवाचार को शक्ति मिलती है। इन तीनो से किसी भी राष्ट्र का भविष्य सुदृढ़ ही नहीं अपितु विकसित भी होता है। कोई भी अविष्कार बिना कार्य के संभव नहीं है। कोई भी टेक्नोलॉजी(प्रौद्योगिकी) बिना स्किल(कौशल) के संभव नहीं है। किसी भी क्षेत्र का विज्ञान बिना शिक्षा के संभव नहीं है। विज्ञान जीवन को शिक्षा प्रदान करता है। प्रौद्योगिकी जीवन को ऊर्जा और स्फूर्ति प्रदान करता है। अविष्कार जीवन को सरल और सुगम बनाता है। तीनो मिलकर कर के मानव जीवन को नया रूप प्रदान करते हैं। शिक्षा,कौशल और कार्य पर क्रमशः विज्ञान,प्रौद्योगिकी व नवाचार का पड़ने वाला प्रभाव राष्ट्र को प्रभावित करता है। अतएव विज्ञान,प्रौद्योगिकी व नवाचार का प्रयोग राष्ट्रहित में होना चाहिए। विज्ञान,प्रौद्योगिकी व नवाचार का आधार पर्यावरण हितैषी (इको फ्रेंडली) होना चाहिए। क्योंकि प्रकृति और मानव एक दूसरे के पूरक हैं। प्रकृति से मानव है और मानव से विज्ञान,प्रौद्योगिकी और नवाचार है। तब विज्ञान,प्रौद्योगिकी और नवाचार का शिक्षा,प्रौद्योगिकी और कार्य पर अच्छा असर पड़ेगा और मानव जाती प्रबल बनेगी। कोई भी राष्ट्र बिना मानव के संभव नहीं है। राष्ट्र मानव श्रृंखला से ही निर्मित होता है। अतएव विज्ञान,प्रौद्योगिकी और नवाचार मानव जीवन को सबल बनाने वाला होना चाहिए। विज्ञान सत्य को उजागर करता है। विज्ञान असत्य पर सत्य की जीत का परिचायक है। विज्ञान अंधविश्वास को ख़त्म करता है। विज्ञान जीवन को विश्वास से परिपूर्ण करता है। सर आर्थर इग्नाशियस कॉनन डॉयल ने कहा था कि “विज्ञान व्यग्रता और अन्धविश्वास रूपी जहर की अचूक दवा है।“ सर आर्थर इग्नाशियस कॉनन डॉयल,(22 मई 1859 – जुलाई 7,1930) एक स्कॉटिश चिकित्सक और लेखक थे।
देश में विज्ञान,प्रौद्योगिकी,नवाचार एवं शोध को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2021 के बजट में विशेष प्रावधान किए गए हैं। इस वर्ष,विज्ञान-प्रौद्योगिकी विभाग और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के बजट में 30 प्रतिशत बढ़ोतरी की गई है। इन दोनों विभागों को कुल 16,695 करोड़ रुपये बजट में प्रदान किए गए हैं। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) के बजट में 22.88 प्रतिशत,डीएसटी के बजट में 21.14 प्रतिशत,डीबीटी 52.28 प्रतिशत और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के बजट में 45.93 प्रतिशत वृद्धि की गई है। इसके अलावा,अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड और हाइड्रोजन एनर्जी मिशन शुरू करने की घोषणा भी इस बार बजट में की गई है। नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के लिए 50,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। साथ ही डीप ऑशन मिशन लॉन्च किया जाएगा,जिसका बजट 4,000 करोड़ रुपये से अधिक होगा। इसके अलावा अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के बीच बेहतर तालमेल के लिए 9 शहरों में अम्ब्रेला स्ट्रक्चर स्थापित किए जाएंगे।
अभी हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों ने एक विशाल ब्लैक होल से अत्यधिक रोशनी दिखाई देने का दावा किया है। इस ब्लै क होल का नाम बीएल लैकेर्टे रखा गया है। भारतीय वैज्ञानिकों के इस दावे पर आश्चञर्य इसलिए हो रहा है क्योंाकि माना जाता है कि ब्लै क होल में खगोलीय पिंड गिर तो सकती हैं लेकिन बाहर नहीं आ सकते। इसे ब्लैिक होल नाम देने के पीछे यह तर्क है कि यह अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश को भी अवशोषित कर लेता है यानी ब्लै क होल प्रकाश को भी अपने में समाहित कर लेता है कुछ भी परावर्तित नहीं करता। इस खोज से ब्रह्मांड की उत्पत्ति के राज को सुलझाने में मदद मिलेगी।
अतएव हम कह सकते है कि भौतिक शास्त्री सर सी वी रमन एक ऐसे महान अविष्कारक थे,जिन्होंने अपने अविष्कार (रमन इफेक्ट) के द्वारा,राष्ट्र को विश्व पटल पर चरितार्थ किया । राष्ट्र के विकास के तीन स्तम्भ हैं : जवान,किसान और विज्ञान। हम कह सकते हैं जय जवान ,जय किसान और जय विज्ञान। जवान राष्ट्र की सुरक्षा के दृषिकोण से,किसान राष्ट्र के खाद्यान के दृष्टिकोण से और विज्ञान राष्ट्र के शिक्षा के दृष्टिकोण से अहम् हैं। विज्ञान राष्ट्र का गौरव है। हम कह सकते हैं कि विज्ञान,किसी भी राष्ट्र के वैभव का आधार होता है |


डॉ. शंकर सुवन सिंह

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