सेकुलर सरकार की हज सब्सिडी

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कुरआन ए पाक में सच्चे मुसलमान के लिए हज यात्रा का विशेष महत्तव वर्णित है. हज यात्रा केवल अपनी कमाई में से या फिर निकट सम्बन्धी से प्राप्त धन राशी से ही हलाल मानी जाती है. इसी लिए किसी भी मुस्लिम देश में हज यात्रियों के लिए सरकारी सब्सिडी नहीं दी जाती क्योंकि यह शरियत की हिदायतों के खिलाफ है. बहुत से इस्लामिक विद्वान सरकारी सब्सिडी पर हज यात्रा को ‘हराम’ मानते हैं . फिर भी हमारे सेकुलर हुक्मरान १८० मिलियन मुस्लिम बिरादरी को खुश करने के लिए हज यात्रा के लिए सब्सिडी निरंतर बढाते चले जा रहे हैं . इस वर्ष केंद्र ने हज सब्सिडी के लिए फिर से ८०० करोड़ की भारी भरकम राशि मंजूर की है. १९९४ में यह राशी १०.५७ करोड़ रूपए थी जो २००८ आते आते ८२६ करोड़ हो गई.

प्रति हज यात्री खर्च भी १२०० रूपए से , २००९ आते आते बढ़ कर ५१,६१० रूपए हो गया. हर वर्ष लगभग १.६४ लाख मुसलमान हज यात्रा को जाते हैं जिनमें से १.१५ लाख सरकारी सब्सिडी पर यात्रा करते हैं जिनका चयन हज कमेटी कुर्रह -अर्थात लाटरी से करती है. २००२ में हज कमेटी ने ७०,२९८ यात्री भेजे थे और २००८ आते आते यह संख्या १२,६९५ हो गई.

ऐसे ही केरल और आंध्र प्रदेश में ईसाई यात्रिओं को भी सरकारी सब्सिडी दी जाती है. हमारे सेकुलर हुक्मरानों को शायद खुद को सेकुलर दिखाने के लिए या फिर अल्पसंख्यक वोट बैंक को मजबूत करने के लिए ‘भारतीय जनता के खून पसीने की कमाई के ‘कर’ को लुटाने में मज़ा आता है.

सेकुलर छवि बनाए रखने के लिए यह भी जरूरी है कि यह सुविधा बहुसंख्यक ‘हिन्दुओं’ को हरगिज़ न दी जाए. हर साल ९६० हिन्दू यात्री पवित्र मानसरोवर यात्रा को जाते हैं. इस यात्रा के लिए उन्हें कुमाऊ मंडल विकास निगम को २४,५०० रूपए अदा करने पड़ते हैं जिसमें ५०००/- सिक्योर्टी जो वापिस नहीं होती, भी शामिल है.इसके अतिरिक्त २१५०/- और ७०० डालर (३१५००/-) अलग से देने होते हैं जो चीन सरकार को जाते हैं.यात्रा पर होने वाले अन्य खर्चे अलग से. इस प्रकार प्रतीयेक हिन्दू यात्री को ५८.१५०/- तो यात्रा शुल्क और कर के रूप में ही सरकार को देने होते हैं. इस प्रकार हर वर्ष कैलाश मानसरोवर यात्रा पर हिन्दू यात्री अपनी सेब से ५.५६२४ करोड़ रूपए खर्च करते हैं और हमारी सेकुलर सरकार अपने हिन्दू यात्रियों को १% भी सरकारी सब्सिडी देना मुनासिफ नहीं समझती.

आज़ादी के ६४ बरस बाद भी हम अपनी जनता को स्वच्छ पीने का पानी तक मुहैय्या नहीं कर पाए . हर १५ सैकंड के बाद एक बच्चा जल जनित रोग से मर जाता है. हमारे बंगाली बाबू ने इस साल नदियों के जल को साफ़ करने के लिए, महज़ २०० करोड़ रूपए अपने बज़ट में अलग से रख छोड़े हैं. वोट बैंक सब्सिडी का चौथा हिस्सा ! ठीक ही है भई बच्चे कब वोट डालते हैं.

निरंतर अल्पसंख्यक तुष्टिकरं और आसमान छूती हज सब्सिडी को देखते हुए एक प्रशन हर भारतीय के मन में अपने आप ‘विकिलीक के खुलासों की माफिक उजागर हो उठता है. क्या गाँधी नेहरु का भारत आज भी मुग़ल कालीन ‘इस्लामिक राज्य ‘ तो नहीं ?

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एल. आर गान्धी
अर्से से पत्रकारिता से स्वतंत्र पत्रकार के रूप में जुड़ा रहा हूँ … हिंदी व् पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है । सरकारी सेवा से अवकाश के बाद अनेक वेबसाईट्स के लिए विभिन्न विषयों पर ब्लॉग लेखन … मुख्यत व्यंग ,राजनीतिक ,समाजिक , धार्मिक व् पौराणिक . बेबाक ! … जो है सो है … सत्य -तथ्य से इतर कुछ भी नहीं .... अंतर्मन की आवाज़ को निर्भीक अभिव्यक्ति सत्य पर निजी विचारों और पारम्परिक सामाजिक कुंठाओं के लिए कोई स्थान नहीं .... उस सुदूर आकाश में उड़ रहे … बाज़ … की मानिंद जो एक निश्चित ऊंचाई पर बिना पंख हिलाए … उस बुलंदी पर है …स्थितप्रज्ञ … उतिष्ठकौन्तेय

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  1. अगर हिन्दुओं को धार्मिक सब्सिडी मिलती है और वो लेते है तो मेरी नज़र में वो पाप करते है፣ जब कण कण में भगवान है तो धार्मिक सब्सिडी की कोई आवश्यकता नहीं፣ तीर्थ करने की इच्छा है तो जब इतना कमा लेंगे तो करेंगे፣ किसी दूसरे के पैसे से ऐसा करने से मेरी मान्यता है कि कम से कम भगवान ऐसी प्रार्थना स्वीकार नहीं करेंगे बल्कि सरकार को किसी भी धर्म से जुड़े आर्थिक मामले में कोई दखल नहीं देना चाहिए፣ चाहे धन लेने की बात हो चाहे सब्सिडी देने की፣ सब्सिडी देनी है तो गरीबों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर करे፣ अल्पसंख्यकों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में करें፣ उनके पास रोजगार होगा अच्छा स्वास्थ्य और शिक्षा होगी तो धार्मिक शांति को पाने वो स्वयं सक्षम होंगे
    सरकार अल्पसंख्यकों के हित के लिए कुछ भी करती है कोई योजना बनाती है इसमे कुछ भी गलत नहीं፣ और यही तो उसे करना है፣ मैं उसका दिल से समर्थन करता हूँ हज सब्सिडी से किसी का विकास नहीं होगा፣ आर्थिक संकट की वजह से अगर कोई मक्का नहीं जा पाता तो क्या कुरान में उसके लिए कोई सजा निर्धारित की गयी है
    @अब्दुल रशीद जी आप अच्छी तरह जानते है की मैं इमामों और मौलवियों की बात कर रहा हूँ और उन्हें सरकार से पैसा मिलता है ये भी बात आप जानते है፣ इस तरह के झूठ बोलने की क्या जरूरत है अगर आपको सबूत चाहिए तो मैं कई लिंक्स दे सकता हूँ आप स्वयं भी खोज सकते है

  2. प्रिय महानुभावो, मै अधिक क्या कहू यहाँ पर अधिकतर लोगो के कहने का तात्पर्य ही यही है, कि भले ही देश के भ्रष्ट नेता ये सारा पैसा खा जाये पर मुसलमानों को कोई भी सुविधा न मिले! मै सिर्फ ये जानना चाहता हू कि क्या मात्र सब्सिडी ही देश के विकास में बाधक तत्व है? अगर मात्र सब्सिडी न दिए जाने से ही देश का भला होता है, तो सब्सिडी को नहीं दिया जाना चाहिए! मै स्वयं सब्सिडी का विरोध करूँगा, यदि आप में से कोई भी इस बात कि गारंटी ले ले, कि इन ८०० करोड़ रुपयों का सही उपयोग होगा! जिस देश में पानी की कोई भी कमी न हो, जिस देश के हर राज्य में नदी हो, आखिर वहाँ पर पानी के लिए बजट में प्रावधान क्यों किये जाते है? क्या आप में से कोई भी इस बात की गारंटी ले सकता है कि पानी के लिए दिए गए २०० करोड़ रुपयों का सही उपयोग किया गया है, यदि ऐसा है तो पानी कि समस्या क्यों है, क्या इस देश में जहा पर्याप्त रूप में पीने योग्य पानी उपलब्ध है वहाँ पर ये २०० करोड़ रुपये अपर्याप्त है! सीधी सी बात है अगर इस देश में सब्सिडी न दी जाए तब भी न तो देश का क़र्ज़ उतरेगा और न ही लोगो को खाने खाना और पीने को साफ़ पानी मिलेगा! अगर सरकार द्वारा हर तरह कि धार्मिक सहायता व्यर्थ है तो किसी के लिए भी इस तरह के प्रावधान नहीं होने चाहिए न हिन्दू आश्रम के लिए न ही मुस्लिमो के हज के लिए! पर मै हिन्दुओ को दी जाने वाली सुविधा का विरोध नहीं करता क्योंकि इसमें कुछ भी गलत नहीं है! और न ही हज सब्सिडी गलत है! और अगर हिन्दुओ को मानसरोवर यात्रा के लिए इस तरह कि कोई भी सुविधा दी जाती है तो उसमे भी कुछ गलत नहीं है! अगर इतना कुछ बुरा देश के साथ हो रहा है तो कमी सिर्फ सरकार कि है न कि किसी वर्ग को दी जाने वाली सुविधा की! बजट में किया गया कोई भी प्रावधान देश के लिए अपर्याप्त नहीं है, अगर कुछ अपर्याप्त है तो वो है उस बजट को इस्तेमाल करने वाले शासन और प्रशासन की निष्ठा और ईमानदारी!

  3. शैलेन्द्र जी आपको शायद जानकारी नहीं है इसलिए आपने ऐसा लिखा है न तो कोई मस्जिद सरकारी है और न ही किसी मस्जिद के मौलवी की तनख्वाह सरकारी खजाने से आती है.आप अपने आस पास के मस्जिद से जानकारी लेकर देख लेना आपको आपका जवाब मिल जाएगा.रही बात हज की सब्सिडी का तो हज कि सब्सिडी के लिए क्या मुस्लमानो ने मांग कि है.सब्सिडी तो बी जे पी भी अपने शासन काल में ह्टा सकती थी नहीं हटाई क्यों ! रही बात तुष्टिकरण की तो बोट की राजिनिती को आप भी अच्छे से जानते होंगे. हम आप आपस में कड़वे संवाद करके प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से राजनेता कि राजनीती को हि फ़ायदा दे रहे है.क्या कागरेस क्या बी ज पी सभी यही चाहते है आपस में फ़ूट डालो और राज करो.और यह गुरु मन्त्र किसका है यह विचार जरुर करें.
    सप्रेम
    अब्दुल रशीद
    सिन्गरौली मध्य प्रदेश

  4. भाई रहीद जी
    आपका kahna तो सही है लेकिन कोर्ट भी सर्कार की गुलाम है. muslim भाइयों को समझना चाहिए की सर्कार की भीख पर कोई कोम तरक्की नहीं kar सकती. congress पार्टी कुछ लोलीपोप दिखाकर हमेशा ही मुसलमानों को ठगती रही रही है और न सिर्फ मुसलमानों को बल्कि देश में angrejo की तरह foot डालो राज करो की निति पर kam करते हुए नागरिको को आपस में लड़ती रही है और अपना मतलब साधती रही hei. आप ही सोचो की जैन समाज को अल्पसंख्यकों ka darja kiliye दिया गया जबकि हिन्दुओ के व्यापारी वर्ग में वह आते हैं. yeh sab हिन्दुओ को बाँटने और अन्य अल्पसंख्यकों के हितो मैं hissedari बदने के लिए ही है न.

  5. “आमदनी अठन्नी खर्चा रुपय्या” देश विदेशी कर्ज का ब्याज देने के लिए कर्ज ले रहा है፣ इन महानुभावों को धार्मिक सब्सिडी चाहिए፣ मस्जिदों के मुल्ला मौलवियों को तनख्वाह चाहिए፣ जिसका शिक्षा፣ स्वास्थ्य और विकास से कोई लेना देना नहीं፣ सारा पैसा व्यर्थ

  6. मेरी टिप्पण्णी सिर्फ सैधांतिक है ना की आपके खिलाफ.हा यह प्रश्न जरुर है कि जब आपको भारत के वर्तमान हालात की केवल सतही जानकारी है,गहरे मेँ क्या खेल चल रहा है आपको कैसे पता चलेगा?योजना से हिन्दुओँ को जातीगत रूप से तोड़ कर,मुस्लिम समाज का तुष्टिकरण कर सत्ताधिश समाज को गम्भीर क्षति पहुँचा रहे है ऊपर से सद्भाव का ठेका भी हिन्दु समाज पर है सज्जन मुस्लिम हाशिये पर है उनके समाज पर बंद दिमाग अनपढ़ के मौलवियोँ का कब्जा है जो बार बार दँगे के लिए मुसलमानोँ को भड़काते है और जब पढ़ेलिखे वस्तावनि ने कोई अच्छे काम के लिए कोशिश की तो उनके साथ बुरा बर्ताव हुआ.पढ़ाई लिखाई से दूर यह समाज फिर अपने हर पिछडेपन के लिए हिन्दुऔ को दोष देता है,कोन्ग्रेस इन्हे कितना ज्यादा छल रही है ये इस समाज के पढ़ेलिखे पर बेरोजगार युवकोँ के चेहरे से पढ़ा जा सकता है हज की जगह ढ़ग से पढ़ाया होता तो आज स्थिति कुछ ओर होती।वैसे मुझे भी कैलाश.मानसरोवर जाना है कोई सरकार सब्सिडि देगी?

  7. जो लोग यह मानते हैं कि ह्ज का सब्सिडी गलत है उनके लिए अदालत का दरवाजा खुला है.या अनशन पर बैठ जाए अपने आप दुध का दुध और पानी का पानी हो जाएगा.तिल का ताड़ बनाने से कोई फ़ायदा नहि होने वाला सिवाय आपसी कड़वाहट के.
    मेरा निवेदन है स्वस्थ्य बह्स हो न की किसी विशेश जाति को गलत साबित करना हि मात्र मकस्द हो.

  8. एक सेकुलर सरकार जब अपने भूखे नागरिकों के लिए दो कौर निवाले का जुगाड़ नहीं कर पाती तो उसे लोगों के कर से ‘हज सब्सिडी’ के नाम पर अल्पसंख्यक तुष्टिकरण कर अपना वोट बैंक मज़बूत करने के ओछे हथकंडे अपनाना घोर पाप है. मुस्लिम धरम के जानकार भी इसे ‘इस्लाम की शरियत के खिलाफ मानते हैं. – प्रिंस ऑफ़ आर्कोट -नवाब मोहम्मद अब्दुल अली के अनुसार यह शरिया कानून के विरुद्ध है( २ हदीथ- मोहम्मद )बुक -हज, उमरह & ज़िअरथ- हाजी किसी भी प्रकार की सहायता से बचें. कुरान में यह स्पष्ट किया गया है की हज यात्रा का खर्च हाजी या उसके रिश्तेदार द्वारा किया जाए. किसी भी मुस्लिम देश में हज सब्सिडी इसी लिए नहीं दी जाती.
    जिस देश में हर १५ सेकण्ड के बाद एक बच्चा गंदे पानी से उत्तपन बिमारिओं से मर जाता है. सर्कार स्वच्छ पानी तक मुहैया नहीं करवा पाती. नदियों के जल शुद्धिकरण के लिए बज़ट में २०० करोड़ और हज के लिए ८०० करोड़ … शिट्ट.
    घर से मस्जिद है बहुत दूर ,चलो यूँ कर लें
    की रोते हुए बच्चे को हसाया जाए…..
    यह क्या किसी मानसरोवर या हज से कम है ???????

  9. साजिद भाई, आपके विचारों से प्रभावित होते हुए भी संघ को लेकर मैं स्वयं अपना अभ्यास बताना चाहूंगा| मैंने १९५० दशक में लगभग सात वर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में भाग लिया है| दिल्ली में झंडेवालान स्थित मुख्यालय की सभाओं में भी गया हूं लेकिन वहां मुझे केवल देशभक्ति और चरित्र-निर्माण ही सीखने को मिला है|

  10. साजिद भाई ने इस लेख के विषय पर बड़े सरल भाव में अपने संजीदा विचारों द्वारा मुझे कायल कर दिया है और मैं आशा करता हूं कि सभी टिप्पणीकार अपनी विचारधारा पर पुन: विचार करेंगे|

  11. मेरे विचार में इन सब चीजों का कोई भी औचित्य नहीं है, जिन्हें इतना औचित्य पूर्ण बताया जा रहा है. मेरी समझ में ये नहीं आता है कि अगर इस देश में किसी भी वर्ग, जाति या धर्म के अनुयायी को कोई सुविधा दी जा रही है तो उस पर इतना बवाल क्यों हो रहा है! ऐसी सुविधाए बहुसंख्यक वर्ग को भी प्राप्त है तो उस पर कोई सवाल क्यों नहीं उठा रहा है? जैसे कि हमारे देश में समस्त सन्यासियों को आश्रम के नाम पर मुफ्त ज़मीन, मुफ्त बिजली, मुफ्त में पानी और जेड ग्रेड कि सिक्यूरिटी दी जाती है, तो उस पर कोई आपत्ति क्यों नहीं जताता है? क्या मात्र मुसलमानों को सब्सिडी न मिलने से ही देश का भला हो जायेगा? वैसे अगर ऐसी ही कोई सुविधा हिन्दुओ को मिले तो मुसलमानों को उस पर कोई भी आपत्ति नहीं है! और न ही मुसलमानों ने हिन्दुओ को कभी इस प्रकार की सुविधा का कोई भी विरोध किया है! अगर ऐसी सुविधाए दी जा रही है तो कुछ लोगो को आपत्ति क्यों है? आप सरकार से ऐसी ही या इससे ज्यादा सुविधा मांग सकते है! कुछ सुविधाएँ बहुसंख्यक को मिली है, और कुछ सुविधाएँ अल्पसंख्यक को मिली है! इन चीजों की तुलना की कोई भी आवश्यकता नहीं है! इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी फ़रवरी 2011 में अपने एक फैसले में हज सब्सिडी को अवैध ठहराने वाली याचिका के विरुद्ध फैसला दिया है! अगर मुसलमान भी इस तरह से बाल की खाल निकाल कर हर चीज़ का विरोध करने लगे तो क्या होगा! ये सब चीज़े संघ कि शाखाओ में आपको गुप्त रूप से बताई जाती है क्योंकि वहाँ पर सिर्फ संघ समर्थक ही होते है पर आप लोग बाहर निकल कर भी यही सब राग अलापने लगते है! इस देश में बहुसंख्यक वर्ग को सबसे अधिक सुविधा मिली हुई है! पर वो अपनी सुविधा पर निगाह न डालते हुए दुसरे की सुविधा छीनने की बात करते है! अगर मुसलमानों को कोई सुविधा मिलती है तो आप यह नहीं सोचते कि ये हमको भी मिले बस आप ये सोचते है कि ये सुविधा इनसे छीन ली जाये! हिन्दुओ में दलितों को भी आरक्षण मिलता है और वो अल्पसंख्यको के आरक्षण से बहुत ही अधिक है पर आप लोगो को सिर्फ मुसलमानों के आरक्षण कि चिंता है हिन्दुओ (दलितों) के आरक्षण की नहीं! ये सब बेकार कि बाते है हर इंसान को अपनी मिलने वाली सुविधा का आदर करना चाहिए! हर तरह कि उल जुलूल बाते राष्ट्रभक्ति नहीं होती है!

  12. मेरी ओर संकेत कर कायरता की बात कहते अभिषेक पुरोहित से उनकी वीरता की गाथा सुनाने के लिए कहूँगा| मेरे विचार में कायरता और वीरता दो ऐसे शब्द हैं जिनका उचित ग्रहणबोध मात्र उपस्थित परिस्थिति पर निर्भर है| इस के बावजूद सांस्कृतिक हठधर्मिता के कारण इन दो शब्दों को ठीक से समझने में भ्रान्ति होना स्वाभाविक है| लोकतान्त्रिक समाज में जान माल की रक्षा और संवृद्धि एक अच्छी निष्पक्ष न्याय व्यवस्था और कुशल अनुशासन के अंतर्गत ही संभव हो सकती है| व्यक्तिगत स्थिति में यदि आपकी खोली पर कोई ढोंगी कब्जा कर उस पर अपना हक जताने लगे तो आपको वीरता दिखाते तलवार उठाने की कोई आवश्यकता नहीं है| न्यायलय द्वारा आपको न्याय और ढोंगी से प्रतिकर दोनों मिल सकते हैं| दुर्भाग्यवश देश में वर्तमान दशा में ऐसा संभव नहीं है परन्तु तलवार उठाने की वीरता पर आप तुरंत जेल की हवा अवश्य खा सकते हैं| आप क्रोधित हैं और ऎसी दशा में बिना विचार कीये अनाप शनाप कह बैठते हैं| हक्का बक्का हो ऐसी अवस्था में आप सोच नहीं पाते कि वास्तव में दुश्मन कौन है, नपुंसक, शैतान, और भ्रष्ट शासक, ढोंगी, अथवा समाज में ढोंगी के सभी रिश्ते नाते जिन्हें आप जानते तक नहीं| सामाजिक स्तर पर दिल्ली और भारत में अन्य स्थानों में १९८४ की नरहत्या को आप कायरता कहेंगे या वीरता कहेंगे? यदि वीरता है तो उन वीरों को मैं क्यों देख नहीं पाता हूँ? अच्छी सीख कोई समीप आ आपके कान में फूंके अथवा दूर बैठ लिख कर कहे सदैव अच्छी ही होती है|

  13. शान्ति व सदभाव के नारोँ के बीच पाकिस्तान बन गया,कशमीर हिन्दु विहिन हो गया,भारत मेँ नित नये विस्फोट होते है दंगेँ होते है पर हिन्दु तो शान्ति के पुजारी है भाई?शान्ति का ठेका तो हिन्दुओँ ने ले रखा है ।कायरता जब शान्ति का बाना ओढ़ लेती है तब देश ही टुटता है,दुर बैठ कर वेदान्त झाडना आसान है।आश्चर्य है जिन्हेँ ठेले भर का भी ज्ञान नहिँ है इस विषय पर वे प्रवचन दे रहे है,जहाँ क्षण भर मेँ मजहब खतरेँ मेँ पड़ जाये व हजारोँ मजहबी उन्मादि आँतकवादियोँ को पकड़ने के बड़े अपराध मेँ दगेँ शरू कर दे वहाँ सदभाव की बातेँ कितनी खोखली लगति है ना?फ़िर भी सदभाव होना ही चाहिए पर सज्जन्नोँ के बीच मेँ ना की निरिह कायरोँ व मजहबी उन्मादियोँ के बीच।

  14. मधुसूदन जी, आप बुद्धिजीवी हैं और मैं अज्ञानी अनपढ़ आप जैसे महानुभावों ही से सीख किसी विषय पर स्वतंत्र मत रखने का अनुभव पा सका हूं| इसके अतिरिक्त तीन दशक के अधिक से संयुक्त राष्ट्र अमरीका में रहते मेरी अधेड़ आयु ने यहां विकासशील वातावरण में जीवन के औचित्य को अपने में संजोया है| भारत के पंजाब प्रांत में जन्मे मुझ दोआबे के गंवार को मेरे माता पिता द्वारा दिए गए संस्कारों ने बताया है कि शान्ति व सद्भावना ही उन्नति की वेदिका है| जोर्ज संतायाना द्वारा कथित वक्तव्य शासकों के लिए है ताकि वे इतिहास से मिले विवेक से राजनीति को उपयुक्त दिशा दे सकें| जन साधारण के लिए भी जोर्ज संतायाना ने अपने वक्तव्य में कहा है, “Only the dead have seen the end of war.”

  15. “Those who do not learn from history are doomed to repeat it”
    —-George Santayana —-
    (—just like Kashmir — )

    — प्रेमजी, आप को, अपना अलग और, स्वतन्त्र मत रखने का, अधिकार मुझे मान्य है|
    —आदर सहित
    इस बिंदु पर मेरी अंतिम टिप्पणी।
    —–मधुसूदन—

  16. प्रो. मधुसुदन जी, अभिषेक जी, इंज.दिनेश गौड़ जी आप लोगों की विद्वत्ता और देशभक्ति से भरपूर टिप्पणियाँ पढ़ कर बड़ा सुखद लगा. आप सब प्रतिक हैं इस बात के की अब इस देश को जागने से कोई रोक नहीं पायेगा.
    वैसे है बड़ा अद्भुत दृश्य. कहाँ तो होना यह चाहिए था कि यूरोपियों द्वारा हमारे इतिहास को नष्ट-भ्रष्ट करदेने के बाद, मैकाले की देशद्रोही शिक्षा व्यवस्था के चलते भारत की संस्कृति, राष्ट्रीयता पूरी तरह समाप्त हो जानी चाहिए थी. पर हो कुछ और ही रहा है. भारत बड़ी तेज़ी से जाग रहा है. चारों ओर से देशभक्ति और भारतीय स्वाभिमान कि आवाजें उठ रही है. सचमुच कुछ अघटित घटने को है, भारत सचमुच विश्व गुरु के पथ पर अग्रसर होता मुझे तो स्पष्ट नज़र आ रहा है. अतः में बड़ा अहलादित और प्रसन्न हूँ. निश्चित रूप से सभी देशभक्त, भारत को प्यार करने वाले उत्साहित, आनंदित, प्रफुल्लित हो रहे होंगे. तामसिक ताकतें अपने अस्तित्व की अंतिम परिणति के ओर बढती नज़र आ रही हैं. एक अंतिम प्रयास तो वे एक बार करेंगी ही, उसके लिए तैयार रहना होगा.
    – एक तथ्य स्मरण करवा देना उचित होगा. स्वामी विवेकानंद के अनुसार अरबी आक्रमण शुरू होने के समय सन १०००-१२०० के बीच भारत की आबादी साथ करोड़ के आसपास थी और सन १७०० के समय यह आबादी केवल बीस करोड़ रह गयी थी. फिर भी भारतीय संस्कृति सुरक्षित रही. लोग मरे संस्कृति और राष्ट्र नहीं. जबकि अरब, अफ्रिका, आधे यूरोप की संस्कृतियाँ जड़-मूल से नष्ट हो गयीं. ”कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी” हमें मिटाने वाले ही मिटते रहे और आगे भी मिटते रहेंगे.
    हम तो अजर-अमर हैं न ?
    – उतम लेख हेतु गांधी जी को साधुवाद.

  17. (अंत की नोट पहले पढें)
    akhil Says:
    April 3rd, 2011 at 6:29 pm,===
    GANDHI jee ke lie HINDOO aur MUSALMAAN do ankhon ke samaan थे …….
    प्रश्न:(१) तो क्या एक आंख गांधी जी को छोडकर (फोडकर) पाकीस्तान बना बैठी?
    वह भी भाईचारे से, आपसी बंधुभाव से, एक पाकीस्तान में न रह सकी।
    तो फिर एक जो पूर्वी पाकीस्तान था, वह बंगला देश बनकर अलग हो गया।और पश्चिमी पाकीस्तान रह गया।
    तो क्या कहे? उस आंख के भी दो टुकडे हो गये? अखिल जी क्या उत्तर देंगे इसका?
    दूसरे बिंदु घुसाकर, फैला ना देना। इसी प्रश्नका उत्तर इसी बिंदुपर टिक कर सही तर्क से, दीजिएगा। अब इस में, यहां संघ लाने की कोई आवश्यकता नहीं।
    अखिल जी आपके लिए केवल ऊपर्लिखित प्रश्न ही है।
    इसमें ऐतिहासिक सच्चाई दिखाई है। किसी मुस्लिम भाइयों का द्वेष अभिप्रेत नहीं है। और कैसे, और कौनसे, मृदु शब्दों में इसे कहा जाए? आप कहके दिखा सकते हैं।
    ——————-
    वि. अवलोकन। देखा है, कि, कुछ टिप्पणीकार आते हैं। जब तर्क के आधारपर टिप्पणी नहीं कर पाते, तो फिर कहने लगते हैं, कि प्रवक्ता “संघी” है। जब कहा जाता है, कि “प्रवक्ता तो सभी विचार धाराओं को जगह देता है”।
    फिर कहने लगते हैं, कि नहीं,मेरा कहना है, कि, टिप्पणीकार सारे संघी हैं।
    भाई टिप्पणी कार तो जो टिप्पणी करेंगे वे टिप्पणीकार कहलाएंगे। आपकी टिप्पणी भी छपती ही है, जब सभ्य भाषा में लिखी जाती है।
    क्यों “नाचने न आए तो बोले आंगन टेढा है।”
    नोट: क्षमा कीजिए। कठिनाई से इस स्तरपर लिखना पड रहा है। मुस्लिम भाइयों का द्वेष अभिप्रेत नहीं है। और कैसे, और कौनसे, मृदु शब्दों में इसे कहा जाए? आप कहके दिखा सकते हैं

  18. मधुसूदन उवाच जी आपने तर्क देने को कहा था और मैंने पाया कि आपके प्रश्न प्रस्तुत इतिहासिक आधार को लेकर अनुपयुक्त और लेख के विषय से निर्लिप्त हैं| आप पूछते हैं कि सब्सीडी किस अन्याय के बदले दी जा रही है? इसका उत्तर तो वह सरकार ही दे सकती है जिसको इस और जाने कितने दूसरे प्रश्नों के उत्तर न दिए जाने पर भी लोग बार बार निर्वाचित कर सत्ता में बिठाए हुए हैं| भारतीय जनता के परस्पर व्यवहार और आचरण को लेकर मैंने पहले भी एक बार आपको अतीत के इतिहास में न रहने का सुझाव दिया है| समय और परिस्थितियाँ बदल चुकी हैं| जो लोग इतिहास में उपद्रवी व शत्रु माने जाते थे उनके वंशज और अनुयायी शताब्दियों पश्चात आज लोकतान्त्रिक भारत के नागरिक हैं| और मैं समझता हूं कि देश में शान्ति और परस्पर सद्भाव बनाए रखने के लिए भारतीय नागरिकों के आचरण में किसी प्रकार की कमी नही होनी चाहिए|

  19. धन्यवाद दिनेश जी |apako nirash नहीं hona chahiye सभी अपने ही बंधू है ,आज नहीं तो कल इनका bhi gaourav jagega ………………विवेकानंद जी लिखते है की “एक अंग्रेज के बच्चे को कितना अताम्विश्वास होता है की मई अंग्रेज का बच्चा हु फिर तुम तो महँ वीरो व् ऋषियों की संताने हो ………………तुम अमर पुत्र हो क्यों ghabarate हो ,atmvishvas से खड़े हो जाओ कम करो उन गिरी kandarao में,गरीबो में दलितों में शोषितों में उन लोगो में जो अपने को मनुष्य हीओ मानना भूल गए है …………अपने सभी जातिवादी अहंकार को त्याग कर ज्ञान को बिखेर दो फिर देखना नए भारत का उदय होगा ,बनिए की दुकान से किसान के hal से भंगी की झोपड़ी से मोची की कुटी से…………..”
    ज्यादा जानने के लिए परिवर्जक पुस्तक देखे |
    मुझे एसा लगता है की अखिल साहब व् दुसरे बंधू भी एसा चाहते है लेकिन उनके pas marg नहीं है कारन saral है की वो अपने ज्ञान को “गड़रियो के गीत ” samajhate है कोई बात नहीं लेकिन ये गड़रियो के गीत आज पूरी दुनिया के सर्व्श्रेट संस्थानों में पढाये जा रहे है …………..जल्द ही अपने बंधू भी उनका गुणगान करेंगे…………

  20. प्रेम जी ने प्रश्न पूछा है:कहते हैं। कि “मधुसूदन उवाच ने यहां जो प्रश्न उठाए है उनका प्रस्तुत लेख के साथ कोई संबंध नहीं है|
    उत्तर:(१) शीर्षक में ही सब्सीडी है, उसकी जड ढूंढने का प्रयास किया।मैं इसे संबंध मानता हूं। किसी भी रोगका निर्णय उसकी जड तक गए बिना संभव नहीं।
    (२) जब तक कोई भी समाज Dependent रहेगा, वह Independent नहीं हो पाएगा, वह वोट बॅन्क बन सकता है। हज सबसीडी भी कोई Rational basis पर नहीं, Lottery से दी जाती है। इसका समर्थन कैसे हो?

    (३) “धर्म निर्पेक्षता” का अर्थ है किसी भी धर्मके आधार पर भेद नहीं होगा” –फिर आप बताएं, कि एक ही धर्मके यात्रियों को सबसीडी क्यों? वास्तव में यह वैमनस्यता का कारण बन कर देशके नागरिकॊ में परस्पर शत्रुता फैलाता है।

    (४) किसी भी विषयका मूल देखना चाहिए। इस उद्देश्यसे मैं ने जब सबसिडी शीर्षक ही है। लेखका तो मैं उसके संबध मानता हूं।

    (५) ऊंटपर जो भाला लेकर बैठा हो, वह यह कहे कि “कुत्ते नें मुझे काटा” तो उसपर कोई विश्वास कैसे कर ले?
    (६) सात ऐतिहासिक विधान करते हुए, मैं ने अंतिम प्रश्न पूछा था, जिसका संबध प्रस्तुत लेख से है।
    सब्सीडी किस अन्याय के बदले दी जा रही है? बताइए।

  21. आदरणीय गांधी जी आपके द्वारा लिखे गए इस लेख से कुछ लोगों को मिर्ची लगना स्वाभाविक है, किन्तु कब तक ये लोग सच को छिपाएंगे? आपसे आगे भी इस प्रकार के लेखों की इच्छा है| कृपया हमें इसी प्रकार लाभान्वित करते रहें|
    आपको नवरात्रि एवं नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं…
    जय माँ भवानी…
    जय माँ भारती…

  22. उपरोक्त कमेन्ट में * हठी को हाथी और ११वि लाईन में लड़ा को लादा पढ़ा जाए …

  23. भाई अभिषेक जी अति उत्तम…बहुत ही अच्छा जवाब दिया है आपने| किन्तु आप भी कहाँ समय व्यर्थ कर रहे हैं? अभी एक हिंदी फिल्म का संवाद याद आ रहा है “तुम उसे जगा सकते हो जो सो रहा है, उसे कैसे जगाओगे जो सोने का ढोंग कर रहा है?”
    बात दरअसल यह है की अब अधिकतर लोग भारत की महानता से परिचित हो चुके हैं, किन्तु इसमें इनका स्वार्थ आड़े आता है| यदि भारत महान था तो विदेशों की कृपा हमें कहाँ से मिलेगी? कुछ न कुछ स्वार्थ तो है ही, वरना कोई इतना चिकना घड़ा नहीं हो सकता कि इतने सारे प्रमाण मिलने के बाद भी आँखें मूंदे उन विदेशियों का गुणगान करे जिन्होंने इन्हें ही गुलाम बनाया और उन भारतीयों का अपमान करे जिन्होंने इन्हें बचाने के लिए स्वयं को बलि चढ़ा दिया| वाह रे नियति|
    हुआ दरअसल यह है कि दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा रामदेव की विशाल सभा में देश के अनेक मुस्लिम मौलवियों ने बाबा रामदेव का समर्थन किया तो कांग्रेस को मिर्ची लगना स्वाभाविक ही था| आखिर उनका परम्परागत वोट बैंक जो छिन रहा है| अब बात स्पष्ट हो गयी है कि किसी भी जाति, धर्म, सम्प्रदाय को झूठे आश्वासन दे कर, उनके सम्प्रदाय के नाम पर अब वोट खींचना असंभव हो रहा है| अब सभी को समझ आ रहा है कि हमें वोट बैंक समझने वालों को मूंह तोड़ जवाब तो देना ही पड़ेगा|
    भाई अभिषेक जी भारत और भारतीयों की महानता को आप और हम जानते हैं, इस महानता को सभी निस्वार्थ लोग भी जानते हैं| यही हमारे लिए शुभ है| स्वार्थी लोगों से इसे प्रमाणित करवाने की आवश्यकता नहीं है मेरे भाई| आप और हम साथ मिलकर प्रयत्न करें तो एक दिन यह बात जग जाहिर हो जाएगी| फिर स्वार्थी लोग भी पीछे पीछे दौड़े चले आएँगे|
    इतना अवश्य कहना चाहता हूँ कि आपके द्वारा दिया गया उत्तर पढ़ कर मुझे अति हर्ष हुआ है| अब उम्मीदें मजबूत होने लगी हैं| अब राह सुगम होती प्रतीत हो रही है| युवाओं में इस प्रकार की ऊर्जा देखकर ऐसा लगता है कि आने वाले समय में देश पर मर मिटने के लिए भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु व चंद्रशेखर जैसे महान क्रांतिकारियों की कमी नहीं रहेगी…आप और हम साथ हैं तो वह आज़ाद भारत जरुर बनाएंगे जिसका सपना हमारे क्रांतिकारियों ने देखा था|
    आपको नवरात्रि एवं नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं…
    जय माँ भवानी…
    जय माँ भारती…

  24. भारत को भिखमंगों का देश कहने वाले मित्रों को शायद ऐतिहासिक ज्ञान नहीं या फिर वे जान बूझ कर भारत की समृधि को झुठलाने पर आमादा हैं. अफ्घान आक्रान्ता अहमद शाह दुरानी १७४७-में १८००० अफ्घान लुटेरों के साथ भारत आया कुल ८ हमले किये . मुख्या उद्देश्य इस्लाम फैलाना और लूटना था. मथुरा, वृन्दावन और गोकुल को महज़ इस लिए तहस नहस कर दिया गया क्योंकि ये हिन्दू तीरथ स्थल थे. दुरानी का कहना था की वह इस देश में इस्लाम को मज़बूत करने आया है और काफिरों को समाप्त करने. मथुरा हिन्दुओं का पवित्र स्थान है इस लिए इसे तलवार की नोक पर मिटा दिया जाए . हिन्दू काफ़िर के सर की कीमत ५ रूपए निर्धारित की गई, और अफ्घान सैनिकों ने असंख्य निहत्थे हिन्दुओं को जिनमें अधिकतर बच्चे थे मौत के घाट उतार दिया.
    अब देखिये भिखमंगे देश की लूट -प्रोफ. गंडा सिंह ‘ अहमद शाह दुरानी’ पेज १८६ पर लिखते हैं. दुरानी की लूट लगभग ३० करोड़ की थी (सोना १०/- तोला था ) लूट का सामान २८००० हठी,ऊँट,बैलों, रेह्डों और घोड़ों आदि पर लड़ा गया.शाह की लूटी गई सम्पति में ८०,००० घोड़े और २०० आदम कद सोने की केंडलज़ – हर लुटेरे के पास लूट का बेहिसाब सामान था. – ऐसे बीसियों अफ्घान-मुग़ल ,मंगोल लुटेरों ने इस ‘भिखमंगे’ देश को लूटा. – फिर भी हमारे सेकुलर शासकों की दरिया दिली देखो – इस्लामिक आतंक से मिस्मार हुए अफगानिस्तान के अवाम को अरबों रूपए की मदद कर नया जीवन देने जा रहे हैं और वे बदले में हमारे ‘डाक्टरों और स्वन्म्सेव्कों’ को बुर्के की आड़ में गोलियों का निशाना बना रहे हैं..

  25. अखिल जी दिमाग पर जब जातिवाद का चश्मा चढ़ा हो तो कुछ नहीं दिखाई देता है आपकी समस्या मेरे समझ में आ गयी है ………………आप जैसे जातिवादी लोग भारत के उपलब्धियों को कुछ विशेष जातियों तक शामिल कर जनता को बताना चाहते है की भारत तो हमेशा से भिखमंगो का देश रहा है जिसे शासक व् पुरोहित वर्ग लुटता रहा है ,आखे खोल कर देखेंगे तो पायेंगे आज भी हर जाती के पास उसका अपना ” ज्ञान “है जो उसकी खुद की उपलाभ्धि है लेकिन पहले मुगलों व् फिर अंग्रेजो के भयकर अत्याचारों से वः लगभग विलुप्ति की कगार पर है रही कही कसार आप जैसे बुद्धिजीवी पूरी करना चाहते है कौन झूठा कौन सच्चा यह तो समय पर छोड़ दीजिये पर जो अपने पूर्वजो को ही मुर्ख कहता है उसकी इज्जत मेरे दिल में क्लाभी नहीं होप्ती है ,चाहे आपके पूर्वजो हो या मेरे दोद्नो अधिव्तीय थे तब ही भारत बहुत ज्यादा समर्ध था संघ पर विशवास नहीं है कोइ बड़ी बात नहीं आप तो नेहरू का लिखा थाकथित इतिहास ही पढ़ लीजिये वो भी संकेत करने में पर्याप्त है ,यूनानी,शक,कुषाण,मंगोल,अरब,तुर्क,मुग़ल,तातार,डच,फ्रेच,अंग्रेज जैसे लोग इतने मुर्ख नहीं थे जो एक भिखमंगे देश को लुटने आये |
    एक बार कलाम साहब विदेश में एक myujiyam देखने गए साथ में भारत का भी एक व्यक्ति था कलाम साहब एक चित्र के पास रुक गए व् ध्यान से देखने लगे vah चित्र १८ वि शताब्दी में रॉकेट के इस्तेमाल के बारे में था तो साथ के अत्यंत विद्वान भारतीय वैगयानिक जी ने कहा जरुर किसिस अंग्रेज ने बनाया होगा ,कलाम साहब ने उसे उस चित्र के निचे लिखा बताया जो टीपू सुल्तान के समय का था ………………आप जैसे विद्वान व् बुद्धिजीवी अपनी आत्मविस्मृति की अवस्था में है ये इसा ही है जैसे कोई शेर अपने को भेड़ समझे कोई बात नहीं आप कुछ समय और रुक जाइये जब कोई अमेरिकी या रुसी भारत का गुणगान करेगा तब आप भी करेंगे ……………..विश्वास नहीं होता है जिस क्षेत्र में तिलक,गणेश शंकर विद्यार्थी,ghandhi जी जैसे महँ पत्रकार रहे है उस क्षेत्र में आप जैसे आत्म विष्मृत विद्वान भी है ,आप उच्च शिक्षित है पढ़े लिखे है विद्वान है उन “नकली इतिहास” को लेकर उसकी कट में कोई “असली इतिहास” भी लिख मारिये पर इतिहास तो बताइए अपने देश को आज हालत यह है की किसी को कुछ पता नहीं है बस एक चीज पता है लुटेरे आते गए व् हमें लुटते गए ,पर साहब हम तो भिगामम्गे थे फिरे इतना क्या था हमारे पास की ख़त्म ही नहीं होता ……………………………जवाब जरुर दीजिएगा|
    रही बात मुसलमानों के हज की सब्सिडी की तो साहब आपकी बात बिलकुल सही है आपके पास तो सरे आकडे होंगे जरा पेश करेंगे??फिर प्रश्न यह नहीं है की हज सबसिडी देना सही है या गलत,प्रश्न यह है की क्यों नेता लोग एक समाज को इस छलावे में रखे हुवे है??जबकि यह समाज बार बार अपने लिए क्शिषा-रोजगार-अवसर मांग रहा है|व् चाहता है उसके वो मुद्दों को हल किया जाये जो उअसको प्रभावित करते है न की इसे बेकार के मुद्दे को जो मुद्दा ही नहीं है ………………..आप तो साहब बड़े आदमी है हम तो संघ कार्यकर्त्ता होते हुवे भी सब basti में ghumate है तो शायद isame तो apase jyada janate हो वो भी “असली ekadam” की आज musalaman समाज sabse jyada जिस चीज से pareshan है वो है berojgari……………उसका kara sidh sa है kshisa का abhav …………..लेकिन sarake है की sunana ही नहीं chahati उसके पास कोई हल नहीं है jyada कोई chillaye तो “aarkshan” दे do magar साहब नोकरी है कहा जो usase भी fayada होगा??pravalmi arth vyvstha के karan हम हमेश एक सदक नोकरी इ जुगाड़ में है लेकिन भूल गए की खुद भी नोकरी दे सकने में काबिल हो सकते है ……………………शायद एसा सोचना भी आपकी नजर में “शोषक शै हो” या बर्मन शाही हो” या संघी शै हो” जो भी शाही हो हम आगे बढ़ना चाहते है जिसे अपने अतीत का अभिमान होअता है भविष्य की योअजना होती है वर्त्तमान में प्रमाणिक काम करता है वो हमेशा आगे बढ़ता है ………………..लेकी शायद यह बाते आपकी समझ में नहीं आएगी क्योकि आपके वैचारिक भाव की नीव थोड़ी कमजोर है जिसे भारत की समृधि “पुरोहित-शासक” की समृधि लगती है पर मेगस्थनीज कहता है की एक भी घर में टला नहीं लगा है सरे घर रजा के महल जैसे लगते है लोग बहुत इमां दर व् मेहनती है……………..विजय नगर घुमने वाला एक यात्री लिखता है की हीरे सड़को पर इसे बिक रहे जैसे………………..शायद वो लोग भी बामन ही रहे होंगे जो ………….क्यों है न???
    भारतीय नव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाये……………………

  26. संघी इतिहासकारों के बारे में आप जैसा इतिहास का जानकार नहीं जनता हो ऐसा व्यंग्य मत करिए पुरोहित जी. किसी भी संघ की शाखा कार्यालय या विश्ह्व संवाद केंद्र जैसे कार्यालयों में चले जाइए झूठे गौरवगान से भरी काल्पनिक कहानियां मिल जाएँगी जो बकौल संघी ‘वास्तविक इतिहास’ है…रही बात समृधि की तो आप मान सकते हैं की एक कुछ विशेष वर्ग किसी समय हाइरार्की में नीचे नहीं गए–पुजारी वर्ग और सामंत-शासक वर्ग हर काल में ९५ प्रतिशत मामलों में आम जनता के शोसक और लूटमार बने रहे….
    और एक बात ”मुसलमान कर के रूप में पैसा नहीं देते और वे हिन्दुवों के दिए कर पर हज यात्रा करतें हैं” इस खुशफहमी या मुगालते में भी नहीं रहिएगा….अरब देशों में हिन्दुस्तान की जितनी कामगार मुस्लिम आबादी रहती है उसके भेजे विदेशी मुद्रा और उसके टैक्स से अभी जाने वाले हाजियों से ज्यादा हाजी यात्रा करते हैं….. सरकारें घाटा सह के जनकल्याण के काम भी नहीं करतीं पुरोहित जी……

  27. GANDHI jee ke lie HINDOO aur MUSALMAAN do ankhon ke samaan the….ab ek ankh men dard hai to dawa leni hee hogi na, use kuchh jyada dhyaan dena hoga, bhaap deni hogi, uske lie jyada power ka chasma bhi lagaana pad sakta hai jubki doosre ko ho sakta hai in dawaon aur upayon ke bagair hi aaram ho……….

    hai na ‘gandhi g’

  28. क्या मुस्लिम समाज ने हज के लिए सबसिडी मांगा है और यदि मुस्लिम समाज को दिये जाने वाला सबसिडी किसी का हक़ छीन कर सरकार मुस्लिम समाज पर एह्सान कर रहि है तो सरकार को ऐसे एह्सान करना बन्द कर देना चहिए.रही बात मुस्लिम तुस्टिकरण कि तो सच्चर कमेटी कि रिपोर्ट सबके सामने है.हमारे देश में कुछ लोगों को विद्वान बनने व आजदी के इतने सालो बाद भी देश में खुशनुमा माहौल बनाने के बजाए देश का माहौल को उथल पुथल करने कि कोशिश करते रहना शायद ज्यादा पसन्द हैं.बेह्तर होगा ऐसे लोगों कि बे सिर पैर कि बात को ध्यान न देते हुऐ देश के विकाश में हम कितना योगदान कर सकते है इस बात पर विचार करे.
    भारत किक्रेट का वर्ल्ड चैम्पियन बन ग्या है और इस वक्त इससे ज्यादा अहम बात कुछ हो हि नही सकता. हमारी ओर से पुरे भारत वासीयों को इस ऐतिहासिक जीत कि हार्दिक बधाई.
    अब्दुल रशीद
    सिंगरौली पत्रिका
    सिंगरौली मध्य प्रदेश

  29. अभी के उपराष्ट्रपति जी का बहुत अच्छा वक्तव्य आया था जिसे मिडिया से गायब कर दिया गया जिसमे वो कहते है की “मुसलमानों ने सब्सिडी मांगी ही कब??”
    खान साहब जी ,लुटेरे किसे के जान माल की हिफाजत नहीं करते है दुःख की बात है की आप अपने आपको उन लुटेरो से जोड़ रहे हो|
    अखिल जी अपनी संघ के प्रति frutation को लेख में लेन की कोई जरुरत नहीं थी फिर भी जरा बताएँगे कौन संघी इतिहासकार है??ताकि हमें भी पता चले………………जो देश बहुत समर्ध था जिसको लूटने के लिए दल के दल विदेशी आते गए इतना लुटा की की कोई हिसाब नहीं पुरे देश का अर्थ तंत्र नष्ट कर दिया उन लुटेरो के काल के उन लुटेरो की चमचागिरी करने वाले राजाओ के किस्से तो आप ने बता दिए लेकिन ये नहीं बताया की अगर भारत इतना समर्ध बना ही कैसे??जबकि आपके अनुसार तो रजा लोग तो नोचने वाले थे जबकि जब भी कोई बाहरी व्यक्ति भारत आय उसने यहाँ की samrdhata का vistar से vranan किया है use kahi कोई garib नहीं मिला jisane दिए huve vaktvyo से ही उस कल की bhavyata का पता chal जाता है jisani dimag पर patti huyi है unhe dikhayi नहीं देता की dhaka का वो makamal कहा chala गया??वो kutib minar के pas का लोह स्तम्भ बनाने वालो की तकनीक कहा चहली गयी वो भव्य मंदिर भव्य महल बनाने वाले लोगो का ज्ञान कहा गया अंग्रेजो ने योजना बढ़ दांग से इसे नष्ट भरष्ट किया ओउर उनकी इस कुक्र्टी का पता भूल कर भी भारतीयों को न लगाने पाए उसकी पहेदारी इसे लोग कर रहे है ………………..सब्सिडिय,आरक्षण जैसे भुलावे में रखा कर समग्र समाज को परव्लाम्भी बना रहे है जबकि वो मखमल बनाने वाले या कपडे बनाने वाले या ओजार बनाने वाले या हथियार बनाने वाले या अन्न,मसालों अदि को उअत्न्न करने वाले उशी जाती के नहीं थे फिर भी वो लोग पुरे के पुरे यूरोप से ज्यादा समर्ध थे अंग्रेजो पहले मुगलों ने जमकर लुटा ,कोई संघी नहीं नेहरू लिखता है की पूरा उत्तर भारत जुलाहों की हड्डियों से भर गया था अंग्रेजो के कारन ,इसे लोगो को काम धंधे सिखा कर योग्य बनाने के बजे उनको मुर्ख बना कर उनके सामने आरक्षण रूपी चारा पैका जाता है ताकि वोटो की फसल लहला सके ये के ये बात हज सब्सिडी पर लागु होती है .
    मुझे एसा लगता है की गाँधी जी दवारा लिखा यह लेख उस बात को ही बताता है की “सेक्युलर” देश में “मजहब” की यात्रा के लिए सब्सिडी देने के बजाय उस पैस्से को उन उन वर्गों के उठान में लगाने से ज्यादा लाभ है |रही बात सरकार पैसा देती है हज के लिए हिन्दू नहीं तो साहब सरकार को पैसा हिन्दू देते है मुसमान नहीं ……………ओउर अपने एक पॉइंट में खान साहिब बता ही चुके है की ये देश हिन्दुओ का ही है ……………..जो लोग एक इंच की भूमि के भी हक़दार नहीं थे उन लोगो को देश की भूमि का ३०% हिस्सा मिला उसके बाद भी उनका पेट नहीं भरा ,उनको अनेको सुख सुवुधाये दी फिर भी ये उनका अनहि हुवा हिन्दुओ का हुवा ,जो अपने अप को कत्लें करने वाले बाबर-अकबर-गोरी-गजनी-ओअर्नाग्जेबो से जोड़ते है जो अब्दाली को देश लुटाने का निमंत्रण देते है ओउर अखिल जी जैसे बुद्धिजीवी हिन्दुओ को जातिगत रूप से लड़ा कर उन बर्बर लुटेरो का बचाव करते है इसे लोग क्यों कोई तर्क की बात सुनेंगे ??तथ्य नहीं,इतिहास नहीं,आगे बढ़ने की ललक नहीं,हमें तो बस सब्सिडी दे दो या आरक्षण तब ही हम आगे बदग सकेंगे ,क्या मस्त सोच है …………………..जय भारत मेरे……………

  30. arab deshon men badhali ka ekmatr karan DHARM (majhab) nahi hai……vahan mullao ki madad se shosan hai to apne yahan PUJARIYON kee milibhagat se vahan se umda halaat nahi hai….DHARM agar buraai hai to yah sabhi dharmon ke sath laagu hai….

    aur ek baat sarkaaren to niwaale ke lie bahut se upaay karti han lekin inki pahunch GAREEB tak hone se pahle hi ye sarkaari numaaindon dwara gatak lee jati han…..gatakne men sabse badi bhoomika kya musalmaanon kee hoti hai jo sarkari naukariyon men 2 pratishat se bhee kam kee bhaagidari rakkhta hai ya AAPKE HINDOO matawalambiyon kee jo sarkaari naukariyon men 89 pratishat se jyada han?

    aur ek baat ….kya karen musalmaan bhaai jab unkaa sabse pramukh IBAADATGAAH hi sudoor doosre desh men hai…..unko bharat men to dharmik yatraon ke lie sarkaari sabseedi nahi milti na…..ab hinduon ke saare teerthsthal bharat men ya aas-paas hi han to iske lie kiska dosh hai…….

  31. मुझे बेहद अफ़सोस है की कुछ मित्र मेरे लेख को सम्प्रदायक रूप देने पर तुले हैं. भारत एक प्रजातान्त्रिक देश है और वह भी इस कारन की यहाँ हिन्दुओं की आबादी ८५ % है. देश में सभी को समान अवसर मिलने चाहियें . मगर देश के सेकुलर शैतान वोट की खातिर जनता द्वारा दिया खून पसीने से कमाया कर वोट बैंक को लुटा रहे हैं. जिस देश की आधी आबादी भूखे पेट सोती है- वहां के शाशकों की पहली प्राथमिकता गरीबों को निवाला मुहैया करवाना होना चाहिए न की हज सब्सिडी. साफ़ पानी के लिए २०० और हज के लिए ८०० करोड़ ? शिट्ट ?
    अपने मुस्लिम मित्रों से एक गुज़ारिश है … वे मज़हबी फरेब से बाहर निकल कर मानवता के कल्याण की और ध्यान दें. आज अरब देशों का नौजवान मुस्लिम समाज इस फरेब से बाहर आने को आंदोलित है. वहां के तानाशाह अरसे से मुल्लाओं के साथ मिल कर मुस्लिम समाज का शोषण किये जा रहे हैं. तेल की अकूत दौलत के बावजूद बेकारी, मुफलिसी, और गरीबी जस की तस है. दूसरी ओर इनका चिर विरोधी इजराईल विकास की बुलंदिय छू रहा है. १८ अरब देशो की कुल इंडस्ट्रियल निर्यात आज भी इजराईल से कमतर है. मज़हब के नाम पर मुसलमानों का शोषण जारी है.

  32. मधुसूदन उवाच ने यहां जो प्रश्न उठाए है उनका प्रस्तुत लेख के साथ कोई संबंध नहीं है| भारत के धर्मनिरपेक्ष वातावरण में ऐसे प्रश्न अनावश्यक व अनुपयुक्त हैं| मुझे विश्वास है कि संयुक्त राष्ट्र अमरीका में रहते आप अपने दायित्वहीन वक्तव्य को बिना किसी शासकीय प्रतिक्रिया इतनी सरलता से न कह पाते| माना कि सरकार की ओर से भारतीय नागरिकता के प्रति भारी कमियां हैं लेकिन देश में शान्ति और परस्पर सद्भाव बनाए रखने के लिए भारतीय नागरिकों के आचरण में किसी प्रकार की कमी नही होनी चाहिए|

    मैं एल आर गांधी से उनकी पत्रकारिता को लेकर ऐसे ही आचरण की अपेक्षा करूँगा| यदि यह लेख सरकार के समक्ष किसी प्रस्ताव के संदर्भ में अथवा ऎसी ही किसी अन्य स्थिति को लेकर लिखा गया है तो लेख को उसी स्वरूप में प्रस्तुत करना पत्रकारिता की प्रौढ़ता है अन्यथा यह प्रयास केवल गड़े मुर्दे उखाड़ अराजकता फैलाने समान ही है| पत्रकार को किसी विषय में स्वयं की ज्ञान संपन्नता से अधिक उस विषय पर लिखे लेख द्वारा साधारण और सरलमति नागरिकों की भावुकतापूर्ण प्रतिक्रिया का विशेष ध्यान रखना चाहिए|

  33. क्या professor मधुसूदन साहब, sanghiyon का लिखा इतिहास पढेंगे तब तो हो चूका बंटाधार……ये तो धरती पर हिन्दू से बड़ी कोई सच्चाई मानते ही नाहे..अरे भारत पर मुसलमान शासकों ने अत्याचार किया तो हिन्दू शासक ही कौन भारतीय जनता के मुख चूम रहे थे….रजा या शशक का राजत्व ही ”galbahiyan” करने वाला नहीं होता है…रही बात अत्याचारों के lekhe-जोखे की तो professar होके इतिहास की इस सच्चाई का विश्लेषण नहीं कर पाने पर आप पर तरस और malaal aata है की wo daur ”raajtantron” का था जिसमें उंचा-नीचा दिखाने की गतिविधियाँ ”raajtantr” का anivary hissa thee., जिसमें वास्तव में कुछ अपने होते थे कुछ doosre…पर अब तो लोकतंत्र है professor साहब अब तो ये नहीं होना chaahie न….पिछड़ों और दबे कुचलों को आगे लेन के दो तरीके हैं..

    १- अगड़ों को आगे न आने दिया जाय, या

    २-पिछड़ों को एक dhakka या Push-उप करके अगड़ों की श्रेणी में कर दिया जाय…..jo सरकारें सब्सिसी और आरक्षण के प्रावधानों द्वारा करती हैं…

    आखिर लोकतंत्र में रजा की जिम्मेदारी नीर-क्षीर विवेकी की होनी chaahie…jo सभी कौमों की संतानों को सामान और अपनी संतान की तरह देखे…फिर एक पिछड़ी संतान या बेटा के लिए कोई बाप कुछ ज्यादा कर दे तो doosre बेटे को आंख नहीं दिखाकर खुद भी बाप की मदद करनी chaahie…..क्यों डॉ. साहब….

  34. क्या professor साहब, sanghiyon का लिखा इतिहास पढेंगे तब तो हो चूका बंटाधार……ये तो धरती पर हिन्दू से बड़ी कोई सच्चाई मानते ही नाहे..अरे भारत पर मुसलमान शासकों ने अत्याचार किया तो हिन्दू शासक ही कौन भारतीय जनता के मुख चूम रहे थे….रजा या शशक का राजत्व ही ”galbahiyan” करने वाला नहीं होता है…रही बात अत्याचारों के lekhe-जोखे की तो professar होके इतिहास की इस सच्चाई का विश्लेषण नहीं कर पाने पर आप पर तरस और malaal aata है की wo daur ”raajtantron” का था जिसमें उंचा-नीचा दिखाने की गतिविधियाँ ”raajtantr” का anivary hissa thee., जिसमें वास्तव में कुछ अपने होते थे कुछ doosre…पर अब तो लोकतंत्र है professor साहब अब तो ये नहीं होना chaahie न….पिछड़ों और दबे कुचलों को आगे लेन के दो तरीके हैं..

    १- अगड़ों को आगे न आने दिया जाय, या

    २-पिछड़ों को एक dhakka या Push-उप करके अगड़ों की श्रेणी में कर दिया जाय…..jo सरकारें सब्सिसी और आरक्षण के प्रावधानों द्वारा करती हैं…

    आखिर लोकतंत्र में रजा की जिम्मेदारी नीर-क्षीर विवेकी की होनी chaahie…jo सभी कौमों की संतानों को सामान और अपनी संतान की तरह देखे…फिर एक पिछड़ी संतान या बेटा के लिए कोई बाप कुछ ज्यादा कर दे तो doosre बेटे को आंख नहीं दिखाकर खुद भी बाप की मदद करनी chaahie…..क्यों डॉ. साहब….

  35. एल.आर. गांधी साहेब और मधुसूदन जी कुछ टिप्पणियाँ ऐसी आ रही हैं जिन्हें इस सदी का सबसे बड़ा व्यंग्य मान लिया जाए तो बेहतर होगा कम से कम बीस मिनट अपनी हसी नहीं रोक पाया, इन पर और अधिक ध्यान ना दे अपने कार्य में लगे रहे .

  36. मधुसूदन जी, जवाब हाज़िर है
    १. १००० साल तक मुसलमानों का राज था लेकिन हिंदुओं के साथ कोई अन्याय नहीं हुआ, और आज मुसलमानों के साथ कितना अन्याय हो रहा है.
    २. हिंदुओं ने जजिया दिया (कुछ समय) तो उसके उसके बदले उनके जान मॉल इज्ज़त आबरू की हिफाज़त की गयी और आज मुसलमानों की जान मॉल इज्ज़त आबरू कुछ भी महफूज़ नहीं.
    ३.हिंदु महिलाओं ने बलात्कार और हिंदु पुरूषोंने अमानुषी अत्याचार सहे, आप का ये आरोप सरासर झूठा है, हिंदू उच्च पदों पर आसीन थे और बादशाहों ने खुद महिलाओं की हिफाज़त की.
    ४. मुसलमानों से अंग्रेजों ने राज ले लिया और आप कहतें हैं कि मुसलमानों को सुविधाएँ मिलीं, मुसलमानों ने आज़ादी के लिए खून बहाया और आज़ादी के बाद उन्हें कुछ नहीं मिला.
    ५. छोटा सा टुकड़ा पाकिस्तान, मुसलमानों को मिला तो बाकी भारत किसको मिला?
    ६. भारत की इतनी फ़ौज कश्मीर में तैनात है किसी को कैसे भागाया जा सकता है? अभी भी वहाँ हिंदू हैं.
    ७. भारत में मुसलमनों को सब्सिडी हिंदू नहीं दे रहे हैं अगर मिलती होगी तो सरकार की तरफ से होगी.
    ८. १२०० साल में हिंदुओं ने कोई अत्याचार नहीं सहा ये सिर्फ आप जैसे साम्प्रदायिक लोगों की सोच है,
    १००० वर्ष के बाद हम इस लिए आगे नहीं बढ़ सके क्योंकि हम देश को आगे बढ़ाने में लगे थे आप लोगों की तरह नोचने में नहीं, हम ने अपने खून पसीने से इस मुल्क को सींचा है, मुसलमानों से पहले यहाँ क्या था ?
    भारत निर्माण मुसलमानों ने किया, देश में शांति और खुशहाली कायम की.
    आज देश में हिंसा लूट खसोट दंगे घोटालों और भ्रष्टाचार का बाज़ार गर्म है, मुसलमानों की वजह से नहीं बल्कि आप जैसे लोगों की वजह से.

  37. गाँधी जी, वैसे तो आप शरियत के बारे में अपमानजनक शब्द प्रयोग करते है और इस मामले में शरियत का हवाला दे रहे हैं, शर्म नहीं आती आपको? भारत के मुसलमान लगभग १३००००.०० रुपया देकर हज करने जाते हैं, फ्री में नहीं. भारतीय जनता के खून पसीने की कमाई जब घोटालों में लूटी जाती है तब आप कहाँ सो जाते है, घोटाले बाजों की निंदा क्यों नहीं करते ? अरे हाँ आप उनकी निंदा क्यों करेंगे वो मुसलमान नहीं हैं! मुसलमानों को अगर कोई सुविधा मिलती नहीं बल्कि सिर्फ घोषड़ा होती है तो आप लोग विरोध करने लगते हो लेकिन जब उन्हें उनका हक नहीं मिलता तो क्या करते हो?

  38. कोई तर्क देगा?
    (१) लगभग एक हज़ार वर्ष भारत पर मुसलमान शासकों का राज रहा।
    ==उस समय मुसलमानों पर हिंदुओंने कौनसा अन्याय किया था?
    (२) हिंदुओंने जझिया दिया था।
    == अन्याय किस पर हुआ? मुसलमानों पर? या हिंदुओंपर?
    (३)हिंदु महिलाओं ने बलात्कार और हिंदु पुरूषोंने अमानुषी अत्याचार सहे।
    === अन्याय किसपर हुआ?
    (४) अंग्रेज़ राज में भी मुसलमानोंको पक्षपाती सुविधाएं मिली।
    ===अन्याय किसपर हुआ?
    (५) पाकीस्तान और बंगला मुसलमानों को मिला।
    ===हिंदुओं को वहां कौनसी यात्रा की सबसीडी मिली?
    (६) कश्मीर घाटीसे हिंदुओंको भगाया गया।
    === अन्याय किसने सहा?
    (७) बचे हुए भारतमें अब हिंदुओ मुसलमानों को सबसीडी दो।
    प्रश्न: १२०० वर्ष, सारे अन्याय हिंदुने सहे।तो, इतने” अन्याय सहकर सबसीडी तो उसे ही मिलनी चाहिए।”
    ‌‌‍+++ जो कौम १२०० वर्ष सारी सुविधा पाने पर भी कुछ आगे बढ ना सकी। वह अब क्या सबसीडी से अपना भला कर लेगी?+++

  39. श्रीमान L.R.Gandhi साहब आपने सही लिखा है,की इस्लाम में अपनी कमाई से ही हजयात्रा हलाल मानी जाती है, तो मुसलमानों को स्वयं ही आगे बढ़कर सब्सिडी लेने से इनकार कर देना चाहिए, पर ऐसा होगा नहीं ना ये मना करेंगे ना हमारी शर्मनिरपेक्ष कान्ग्रेस सरकार सोचेगी, वैसे भी हमारे प्रधान मंत्री कह चुके हैं की सभी संसाधनों पर पहला हक मुसलामानों का होना चाहिए, पहली बात तो जो मुसलामानों को अल्पसंख्यक कहता है उससे बड़ा मूर्ख कोई हो ही नहीं सकता, अगर किसी को वास्तविक अल्पसंख्यक कहा जा सकता है तो वे है पारसी, और सिख, लेकिन दोनों ही कोम बेहद खुद्दार हैं ये मेंहनत करके दूसरों को दान करते हैं रोजगार देते हैं ये दोनों ही कोम हराम की कमाई से दूर रहती हैं, आपको शायद मालूम होगा की कुछ लोग इस्लामिक बैंक की स्थापना के लिए एडी छोटी का जोर लगाए हुए क्योंकि उनके अनुसार सामान्य बैंक ब्याज लेती और देती हैं तो भैय्या सब्सिडी तो और भी बुरी चीज है ये तो एकदम से हराम का माल है, जबकि बैंक तो आपके पैसे होने पर उसका ब्याज देती है.

  40. भाई साहब,
    अभी तो आप हज यात्रा पर sabsidy के लिए परेशां है . इन्तेजार kijiiye हर संभावित वोटर को ये सर्कार आपके उपर लगाये जा रहे नए नए टैक्स से रिश्वत के तौर पर नकद रूपया लुटायेगी. क्या आप महसूस नहीं कर रहे की कुछ न करने को उतावली सर्कार वेट कर नयी सेवाओ और वस्तुओं पर लगाती जा रही है. ये सब अपना घर भरने और वाहवाही लूटने के लिए खर्च किया जाना है. आप तो बस देखते रहिये. क्योंकि सदियों से कथा चली आ रही है जुर्म करने वाले के जुर्म को यदि पहली बार मैं नहीं रोका तो उसके हौसलें रोज बड़ते जायेंगे और एक दिन आपको बर्बाद कर डालेंगे. .यही इस सर्कार के साथ है. kaale angrejo की ये सर्कार gore angrejo से bhi jaalim sabit ho रही है. रोज नए khulase ho रहे hain magar besharmo ne had कर rakhi है. aavaj uthane valo को hi dosharopan karke unpar dosh made जा रहे है और kitni besharmi के sath daant fadte najar aate है ये aaj के kathit neta. आप के kahe anusar alpsankhkon के naam पर di jane vali sabsidy पर aam logo ka paisa lutaya जा raha है. jahir है की unka vote pane के लिए ये सब किया जा raha है. mera aapse और baki sabhi से anurodh है alpsankjyako को di जा रही suvidhayoy और baki logo पर thope जा रहे टैक्स के virodh mei aane वाले sabhi chunavo mei kahi bhi koi इस bhrasht, nikammi, besharm, jalim और poonji patiyo की poshak सर्कार को vote न de .

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