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दृश्य देख विध्वंश का धरती भय से थर्राती है ! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
युद्ध किसी भी समस्या का कभी भी स्थाई समाधान नहीं होता है। युद्ध में केवल और केवल विध्वंस है,आग है,धमाका है,खून है, चीत्कारें हैं। युद्ध मानवहीनता की पराकाष्ठा है, वास्तव में युद्ध करूणा का अंत है। युद्ध के विरूद्ध केशव शरण अपनी एक कविता' युद्ध महान् 'में कुछ यूं लिखते…