भोले बाबा के मन की संवेदना

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आर के रस्तोगी 

कल रात भोले बाबा भंडारी शंकर मेरे सपनो में आ गये
कलयुग में कांवडियो की हरकते देखकर चक्कर खा गये
वह बोले, रस्तोगी तुम्हारे क्षेत्र में यह क्या हो रहा है
कांवडियो के कारनामो को देख कर दुखी हो रहा हूँ
मैं बोल्या,प्रभु ये कांवडिये और ये क्षेत्र आपने ही बनाये है
इसलिए ये सारे कांवडिये भक्त तुम्हारी भक्ति में समाये है
वे फिर बोले,भक्ति भावना की बात तो ठीक है
क्या ये उछल-कूद मचा रहे है बिल्कुल ठीक है
चारो तरफ इनके कारण ही ट्रैफिक बंद पड़ा है
पुलिस प्रशासन भी इनके आगे हाथ जोड़े खड़ा है 
जनता भी इनके आगे सब झुकी हुई है
अपने काम करने से सब रुकी हुई है
ये जल के बहाने अपनी गर्ल फ्रेंड ले जा रहे है
उनके साथ ये पूरी मस्ती मना रहे है
किसी ने तो मेरा पूरा रूप धर लिया है
हाथ में त्रिशूल और डमरू रख लिया है
गर्ल फ्रेंड को पार्वती को रूप दे दिया है
उसके साथ वे क्या क्या कर रहे है
ये मेरी समझ में नहीं आ रहा है
चारो तरफ भंडारे व कैम्प लगे हुए है
उनके खाने और सोने के प्रबन्ध हुए है
कोई मेरे नाम पर चरस भांग पी रहा है
कोई मेरे नाम लेकर दारु को पी रहा है
कोई खुली सडक पर नंगा डान्स कर रहा है
गाजे बाजे के साथ पूरी तरह से थिरक रहा है
जल चढ़ा कर खुश करना एक बहाना है
इतनी बारिस में मुझे क्या अब नहाना है
कोई साथ साथ में डी जे लेकर चल रहे है
इस शोर से सारा वातावरण दूषित कर रहे है
स्कूल कॉलेज भी इनके कारण बंद कर दिये है
सारे रास्ते भी इनके कारण ही बंद कर दिये है
मैं इन झूठे आडम्बरो से कदापि खुश होता नही
जनता अगर दुखी है तो मैं भी खुश होता नहीं
पहले ही शोर से वातावरण बहुत दूषित है
और इस नये शोर से क्यों दूषित करते हो
मेरे इस सन्देश को जरा कांवडियो तक पहूचा दो
अब तो सावन के महीने में मुझे राहत दिला दो
अगर सच्चे भक्त है, सब आडम्बरो को हटा दो

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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