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सात प्रेम कविताएँ - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
1 चुपके से मैं तो चाहता था सदा शिशु बना रहना इसीलिए मैंने कभी नहीं बुलाया जवानी को फिर भी वह चली आई चुपके से जैसे चला आता है प्रेम हमारे जीवन में अनजाने ही चुपके से 2 प्रथम प्रेम इंसान को कितना कुछ बदल देता है प्रथम प्रेम उमंग…