शाह-मोदी,सियासी जोड़ी।

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यह सत्य है कि जिस भी क्षेत्र में यदि कोई भी विश्वासी व्यक्ति जुड़ जाता है तो दोगुना ताकत बढ़ जाती है। यह अडिग सत्य है। फिर चाहे वह व्यवसाय हो अथवा प्रशासनिक सेवा या फिर राजनीति किसी भी क्षेत्र में भरोसे का साथी होना अत्यंत आवश्यक है जोकि आपका पूर्ण रूप से विश्वासी हो। यदि ऐसा हो जाता है तो निश्चित ही ताकत दोगुनी हो जाती है। आपने अक्सर देखा होगा कि प्रशासनिक अधिकारी यही कहते हुए नजर आते हैं कि क्या करें पूर्ण रूप से सुधार करना चाहते हैं लेकिन सहयोग नहीं मिल पा रहा है। ऐसा हर एक क्षेत्र में देखा गया है। ठीक ऐसा ही राजनीति का क्षेत्र भी है जिसमें विश्वासपात्र होना बहुत ही जरूरी है। ठीक इसी सिद्धांत के आधार पर देश की वर्तमान राजनीति में एक जोड़ी उभरकर सामने आई जोकि गुजरात से लेकर आज देश की राजनीति की धुरी बनकर उभरी। इसी जोड़ी के कारण देश की राजनीति ने कई अहम मुद्दों पर मजबूत फैसले लेने में तनिक देरी नहीं की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल के एक साल पूरे होने पर देशवासियों के नाम चिट्ठी लिखी जिसमें उन्होंने कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद उपजे हालात से निपटने का संकल्प लिया साथ में प्रधानमंत्री ने चिट्ठी अपनी पार्टी कि विचारधारा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी जाहिर की उन्होंने कहा, राष्ट्रीय एकता-अखंडता के लिए आर्टिकल 370 की बात हो या सदियों पुराने संघर्ष के सुखद परिणाम राम मंदिर निर्माण की बात हो, आधुनिक समाज व्यवस्था में रुकावट बना ट्रिपल तलाक हो, या फिर भारत की करुणा का प्रतीक नागरिकता संशोधन कानून हो, यह सारी उपलब्धियां आप सभी को स्मरण हैं एक के बाद एक हुए इन ऐतिहासिक निर्णयों के बीच अनेक फैसले, अनेक बदलाव ऐसे भी हैं, जिन्होंने भारत की विकास यात्रा को नई गति दी है, नए लक्ष्य दिए हैं, लोगों की अपेक्षाओं को पूरा किया है  इसके साथ ही गृहमंत्री अमित शाह ने भी कहा कि ‘मोदी जी ने इन 6 वर्षों के कार्यकाल में न सिर्फ कई ऐतिहासिक गलतियों को सुधारा है बल्कि 6 दशक की खाई को पाट कर विकासपथ पर अग्रसर एक आत्मनिर्भर भारत की नींव भी रखी है।

गौरतलब है कि केंद्र में दोबारा मोदी सरकार बनते ही शुरुआती दिनों में अपने वैचारिक एजेंडों को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम ने जी जान लगा दी लेकिन लगभग 6 महीने के बाद कोरोना वायरस के संक्रमण ने नई चुनौतियां खड़ी कर दीं और पूरा ध्यान अब अर्थव्यवस्था को उबारने में लग गया है आपको बता दें कि भाजपा की अगुवाई में केंद्र में चल रही मोदी सरकार 2.0 के एक साल रविवार यानी 31 मई को पूरे हो जाएंगे। लगातार दूसरी बार प्रचंड बहुमत से चुनकर आई मोदी सरकार ने अपनी पार्टी अपने राजनीतिक आधार के अनुसार तीव्र गति से कार्य करना आरम्भ किया।

ज्ञात हो कि जनसंघ बनाने वाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी का पहला आंदोलन ही कश्मीर को लेकर था आरएसएस और जनसंघ शुरू से ही कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के खिलाफ थे इसको लेकर पहले जनसंघ और अब भाजपा लगातार आवाज उठाती रही। पहले कार्यकाल में मोदी सरकार ने इस मुद्दे को ज्यादा नहीं छेड़ा लेकिन दूसरी बार सरकार बनते ही अगस्त 2019 में पूरी तैयारी के साथ जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया जम्मू-कश्मीर अब दो केंद्र शाषित प्रदेशों में बंट गया है।

अनुच्छेद 370 की तरह ही अयोध्या में राम मंदिर भी भाजपा के चुनावी घोषणापत्र का दशकों से हिस्सा रहा है सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने अयोध्या में विवादित जगह पर राम मंदिर बनाने का फैसला सुनाया है 90 के दशक में कभी इस मुद्दे से अपना आंदोलन शुरू करने वाली भाजपा को राम मंदिर ने बड़ी संजीवनी दी थी एक समय ऐसा भी था कि जब इस मुद्दे की वजह से भाजपा को सांप्रादायिक पार्टी कहा जाता था और बाकी दल उसकी विचारधारा से बहुत दूर भागते थे।

तीन तलाक का मुद्दा बहुत बड़ा मुद्दा था। कभी इस मुद्दे पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था और तब से यह मुद्दा भी भाजपा के कोर एजेंडे में शामिल था अपने पहले ही कार्यकाल में सरकार ने इसे लोकसभा में पास करा लिया था लेकिन राज्यसभा में यह अटक गया था लेकिन दूसरा कार्यकाल शुरू होते ही सरकार ने इसे दोनों सदनों से पास करा लिया अब देश में तीन तलाक एक अपराध बन गया है इसमें सजा का प्रावधान है। सत्यता यह है कि तीन तलाक एक ऐसा कृत्य था जिससे कि महिलाओं के अधिकारों का पूर्ण रूप से हनन हो रहा था। किसी भी सीधी-साधी कन्या को विवाह के पश्चात उसका हक नहीं मिलता था और वह यदि अपने अधिकारों के प्रति आवाज उठाने का प्रयास करती थी तो उसे तलाक रूपी जिन्न के भय से डरा दिया जाता था। सत्य यही है कि बेचारी सीधी-साधी कन्या तलाक रूपी जिन्न से इतना भयभीत हो जाती थी की वह दुबारा अपना मुँह भी नहीं खोलती थी। यह स्थिति अधिकतर गरीब परिवारों में देखी जाती थी जहाँ बूढ़े माता-पिता अपनी कन्या का उधार और कर्ज लेकर किसी प्रकार से विवाह कर देते थे। विवाह के पश्चात बुढापे में माता पिता उस लिए हुए कर्ज को भरने के प्रयास में लग जाते थे इसलिए बेचारे अपनी पुत्री पर होने वाले अत्याचार का विरोध करने से डरते थे क्योंकि कोई भी ऐसा कानून नहीं था जिससे कि उन्हें किसी भी प्रकार का न्याय मिल सके। इसलिए बेचारे माता पिता उस दुख और दर्द को चुपचाप सहा करते थे। यह बड़ी ही विचित्र परिस्थिति थी। एक ओर कन्या अपने ससुराल में प्रताणित हो रही होती थी तो दूसरी ओर माता पिता उसका दुख देखकर मन ही मन कुढ़ते रहते थे और खून के आँसू रोते रहते थे। परन्तु, इस गम्भीर समस्या का किसी भी प्रकार का कोई समाधान नहीं था। जिससे कि इस समस्या से उबरा जा सकता। लेकिन, केंन्द्र की सत्ता में परिवर्तन होने के बाद भाजपा के शासनकाल में यह बड़ी समस्या से मुक्ति मिल गई जिसका विपक्ष ने पूरी तीव्रता के साथ विरोध भी किया परन्तु विरोध दरकिनार कर मौजूदा सरकार ने इस मुद्दे को पूरी मजबूती के साथ सदन में रखा और बिल पास कराकर कानून के रूप तीन तलाक को अपराध बना दिया जिससे कि एक खास समाज में बहुत ही बड़ा संदेश गया। इस फैसले से भाजपा के प्रति मुस्लिमों की सोच बदली खास करके मुस्लिम महिलाओं ने खुलकर इस फैसले का स्वागत किया। साथ ही भाजपा के वोट बैंक में भी बढोत्तरी हुई। अल्पसंख्यक समुदाय भाजपा के साथ तेजी से जुड़ने लगा।    

नागरिक संशोधन बिल इसके बाद भाजपा ने एक बार फिर एक विवादित मुद्दे को छेड़ा यह था नागरिक संशोधन बिल इसमें पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए ऐसे गैर मुस्लिम जिनके साथ धर्म के नाम पर अत्याचार किया गया हो, उनको नागरिकता देने का प्रावधान है इसके साथ ही एनआरसी मुद्दा का भी उठा जिसमें अवैध रूप रहे बांग्लादेशियों को पहचान करना।

अमित शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे मजबूत नेता के तौर पर उभरे जिन्हें दूसरे कार्यकाल मे देश का गृहमंत्री बनाया गया वह गांधीनगर सीट से लोकसभा चुनाव जीतकर आए हैं अमित शाह ने अनुच्छेद 370 से लेकर नागरिक संशोधन बिल यानी सीएए तक सारे मुद्दों पर सरकार की ओर से मोर्चा संभाला और वह प्रधानमंत्री मोदी के बाद सरकार में सबसे ताकतवर नेता बन गए उनकी जगह पर जेपी नड्डा को भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। अमित शाह की पहचान देश के एक सबसे मजबूत नेता के रूप में होने लगी। अमित शाह ही हैं जिन्होंने भाजपा को दोबारा भारी बहुमत के साथ सत्ता पर पहुँचाया। अमित शाह को इस मेहनत का लाभ भी मिला देश के नम्बर दो नेताओं में अमित शाह की गिनती होने लगी। यदि देश के अंदर प्रधानमंत्री के बाद कोई भी दूसरा सबसे ताकतवर पद होता है तो वह है गृहमंत्रालय। अमित शाह को देश का गृहमंत्री बनाकर मोदी सराकर ने यह स्पष्ट संकेत दिया  कि इस बार कुछ बड़ा होने वाला है। साथ ही अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात का साफ एवं स्पष्ट संकेत दे रहे थे जिस पर अमल करना बाकी था। समय के साथ समय का पहिया चलता रहा और एक के बाद एक कार्य और फैसले जनता के सामने आते रहे। जिसका विचारधाराओं के अनुसार स्वागत एवं विरोध होता रहा।

सज्जाद हैदर

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