शाह की ताजपोशी के मायने

amit shahअमित शाह को दोबारा भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाकर भाजपा ने अपने पुराने सिपाहसलार पर भरोसा दिखाया है। अमित शाह के पिछले कार्यकाल में लोकसभा में भाजपा ने 85 में से 71 सीटों पर अपना कब्जा जमाया था। ऐसे में अमित शाह को दोबारा चुनकर भाजपा ने यूपी में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले एक ट्रंप कार्ड खेला है। हालांकि भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता अमित शाह की दुबारा ताजपोशी के विरोध में रहे लेकिन पीएम मोदी ने फिर से शाह पर अपना भरोसा जताया। शाह का व्यक्तित्व स्वयं में भी काफी आकर्षित करने वाला रहा है। वे बहुत कम बोलते हैं, पार्टी की विचारधारा के प्रति समर्पित हैं, पार्टी-सरकार के बीच सही संतुलन रखते हैं और उन्हें आरएसएस का समर्थन भी है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद कई विधानसभा चुनावों में शाह ने संघ के कार्यकर्ताओं का बखूबी इस्तेमाल किया था। पार्टी और संघ के जमीनी कार्यकर्ताओं से उनका सीधा संपर्क है। शाह के सामने अभी असम चुनाव को लेकर भी सबसे बड़ी चुनौती सामने है क्योंकि लगातार तीन विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद अब कांग्रेस और मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की सरकार से लोग बेजार हो चुके हैं। वो बदलाव चाहते हैं और भाजपा उन्हें एक अच्छी सरकार देने का वादा कर रही है। असम के अलावा यूपी विधानसभा के चुनाव भी शाह के लिए अग्निपरीक्षा साबित होंगे। ऐसे में शाह को यूपी विधानसभा के दृष्टिगत अपनी एक नई टीम बनानी होगी। इस नई टीम में कुछ पुराने चेहरे भी सकते है और कुछ चेहरों को उनके काम का इनाम देकर दिल्ली भी भेजा जा सकता है। वर्तमान में शाह की टीम में कोई भी दलित नेता नहीं है ऐसे में किसी दलित नेता को स्थान मिलना तय है। साथ ही कुछ प्रवक्ताओं के कार्यों में भी फेरबदल किया जा सकता है।  शाह की पुरानी टीम में एक चेहरा काफी महत्व रखता है जो है वर्तमान में लखनऊ के मेयर डाॅ दिनेश शर्मा का। डाॅ दिनेश शर्मा ने दो साल तक लगातार मेयर पद पर आसीन होकर लखनऊ की जनता के बीच अपनी काफी पैठ बना ली है। बेदाग व स्वच्छ छवि के चलते उनको लोग पसंद भी करते है। इसके अलावा मोदी के पसंदीदा नेताओं में भी उनकी गिनती होती है जिसके चलते इस बात के कयास लगाये जा रहे है कि यूपी विधानसभा चुनाव में उन्हें कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। शाह को भी इस बात का भली भांति अंदाजा है कि अगर यूपी में भाजपा को अपनी वैतारिणी पार लगानी है तो किसी अच्छे सिपाही को भाजपा में आगे लाना जरूरी होगा।

देवेन्द्र शर्मा

 

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