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हुनरमंद है वो  - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
विनोद सिल्ला वो भिगो लेता है शब्दों को स्वार्थ की चाशनी में रंग जाता है अक्सर अवसरवादिता के रंग में वो धार लेता है मौकाप्रसती के आभूषण ओढ़ लेता है आवरण आडम्बरों का नहीं होता विचलित रोज नया रंग बदलने में आगे बढ़ने के लिए रख सकता है पाँव अपने…