महिला हितेषी बन उमा के प्रभाव को कम करने में कामयाब रहे शिवराज…

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shivrajप्रदेश सरकार की बागडोर संभालते ही शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सरकार की छवि महिला हितेषी की बनाने के प्रयास प्रारंभ कर दिये थे। इसका प्रमुख कारण यह था कि प्रदेश की महिलाओं के मन में किसी कोने में यह टीस सालती रहती थी कि साध्वी महिला नेत्री उमा भारती के साथ भाजपा ने अन्याय किया हैं। शिवराज इस फेक्टर को समाप्त कर अपना एक विशिष्ट स्थान बनाना चाहते थे।
इसीलिये सत्ता में आने के बाद उन्होने महिलाओं के हित के लिये कई योजनायें प्रारंभ की हैं। जिनमें लाड़ली लक्ष्मी योजना, जननी सुरक्षा योजना, छात्राओं को गणवेश वितरण, छात्राओं को साइकिल वितरण जैसी कई योजनायें प्रारंभ की हैं। इन सबके चलते वे मुख्यमंत्री से शिवराज मामा बन गये और उन्होंने लगातार दूसरी बार प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने का कीर्तिमान अपने नाम कर लिया। अपनी दूसरी पारी में शिवराज ने महिलाओं को नगरीय निकाय में पचास प्रतिशत आरक्षण देने के लिये नियमों में संशोधन किया। इसके खिलाफ मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर हुयी जिसमें इस आधार पर इस संशोधन को चुनौती दी गयी कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गयी व्यवस्था के अनुसार कुल आरक्षण पचास प्रतिशत से अधिक नहीे होना चाहिये। प्रदेश सरकार ने यह लड़ाई उच्च न्यायालय में जीत ली और प्रदेश सरकार के संशोधन को हाई कोर्ट ने सही मान लिया हैं। हाई कोर्ट में मामला हारने के बाद याचिकाकर्त्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी हैं। महिलाओं को नगरीय निकाय में पचास प्रतिशत आरक्षण देने के लिये अब सुप्रीम कोर्ट में उसका सामना करने की तैयारी शिवराज सरकार कर रहीं हैं।
इतना सब कुछ होने के बावजूद भी ऐसा लगता है कि महिला हितेषी छवि को निखारने में मानों शिवराज से एक भूल हो गयी हो। इस बार मंत्री मंड़ल के विस्तार में एक भी महिला को शामिल नहीं किया गया। और तो और मंत्रीमंड़ल में जो दो महिला मंत्री हैं उनके भी विभाग वितरण में पर कतर दिये गये हैं। भाजपा ने प्रदेश के चार सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ाया था और चारों ने ही जीत भी हासिल की थी। इन चार सांसदों में रामकृष्ण कुसमारिया और गौरी शंकर बिसेन तो पहली ही खेप में मंत्री बन गये थे। इस विस्तार में पूर्व केन्द्रीय मंत्री सरताज सिंह भी मंत्रीमंड़ल में स्थान पाने में सफल हो गये हैं। एक मात्र सांसद रहीं विधायक नीता पटेरिया ही मंत्री नहीं बन पायी हैं। वैसे भी शिवराज मंत्रीमंड़ल में 33 मंत्रियों में महिला मंत्रियों की संख्या दो ही हैं जो कि मात्र 6 प्रतिशत होता हैं। ऐसे में नगरीय निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण देकर प्रदेश सरकार भला महिला हितेषी होने का दावा कैसे कर पायेंगी? और कैसे भला शिवराज असली मामा बन पायेंगें? इसे लेकर सियासी हल्कों में तरह तरह की चर्चायें व्याप्त हैं।

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